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5 नवंबर, 2017
आवरण कथा ‘धर्मक्षेत्रे…’ हरियाणा दिवस पर प्रदेश के गौरव की झलक प्रस्तुत करती है। पुरातनकाल से यह पवित्र भूमि अपने शौर्य के लिए जानी जाती रही है। यहां का कण-कण लोक-संस्कृति से पुष्पित-पल्लवित है तो दूसरी ओर यहां की हवा खेल और खिलाड़ियों में ऊर्जा का संचार करती है।
—कृष्ण वोहरा, सिरसा (हरियाणा)
हरियाणा राज्य पर केंद्रित आवरण कथा अच्छी लगी। यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं कि यह ऋषिभूमि पौराणिक काल से ज्ञान से लेकर शौर्य की भूमि रही हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने दुनिया को श्रीमद् भगवद्गीता का ज्ञान इसी धरा से दिया। आज भी हरियाणावासी विभिन्न क्षेत्रों में विश्व में राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं।
—रोशन, रोहतक (हरियाणा)
हरियाणा सरकार अपने राज्य के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए हर जरूरी कदम उठाती है। यही कारण है कि हरियाणा से खेल के क्षेत्र में अनेक खिलाड़ी निकले और देश का नाम रोशन किया। मौजूदा सरकार को चाहिए कि वह खेल और खिलाड़ियों को और अधिक प्रोत्साहित करे ताकि यहां से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी निकलें। हरियाणा ने खेलों में अनेक प्रतिभाएं दी हैं, यह स्वाभाविक ही है।
—बी.एस. शांतावाई, बंगलुरू (कर्नाटक)
सच झुठलाते वामपंथी
लेख ‘हत्यारे टीपू के प्रशंसक सिद्धारमैया (5 नवंबर, 2017)’ उन इतिहासकारों की पोल खोलता है जो टीपू की तारीफ करते नहीं थकते। इतिहासकारों ने टीपू ही नहीं हर उस हिंदूहंता के काले कारनामों को छिपाया जिन्होंने हिंदुओं पर जुल्म ढहाया। ऐसे लोगों ने सदैव इतिहास छिपाकर उनकी शान में कसीदे पढ़े और हिंदू समाज को दिग्रभमित किया। क्योंकि वे नहीं चाहते कि देश सच इतिहास को जाने। क्योंकि वास्तविक इतिहास को जानते ही उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी। इसलिए यह खेल अभी तक खेला जा रहा है।
—अनुराग सिरोही, गाजियाबाद (उ.प्र.)
स्वतंत्रता के बाद अगर देश के खिलाफ रचे गए बड़े षड््यंत्रों को गिना जाए तो उसमें वामपंथियों द्वारा शिक्षा व्यवस्था को विकृत करना भी रहा है। शैक्षिक स्थानों पर काबिज इन लोगों ने भारत के समूचे इतिहास को विकृत करके ऐसे इतिहास को लिख डाला जिसका न कोई आदि है और अंत। इसे झूठ का पुलिंदा ही का जाएगा। भारत के लोग वर्षों से झूठे इतिहास को पढ़ते चले आ रहे हैं। मुगल आक्रांताओं को ‘वीर, महान’ जैसे विश्लेषण दिए जाते रहे हैं। पर अब इसे बदलना होगा और वास्तविक इतिहास से परिचित कराना होगा।
—परमानंद जोशी, रतनगढ Þ(राज.)
इतिहासकारों ने कभी ये नहीं बताया कि देश किसने लूटा? कभी जयचंद और तक्षशिला नरेश आम्बी का विस्तार से जिक्र क्यों नहीं किया? बाबर, अकबर, मीरबाकी, औरंगजेब के क्रूर इतिहास को लिखते इनकी कलम पता नहीं क्यों कांपने लगती है।
—शिवचरण वौहान, कानपुर (उ.प्र.)
आतंक का सफाया
रपट ‘अब निर्णायक मोड़ (15 अक्तूबर, 2017)’ कश्मीर के हालात को लेकर बिल्कुल सही बैठती है। घाटी में आज के हालातों पर नजर डालें तो स्पष्ट है कि वर्षों से कश्मीर में जो जिहाद की लड़ाई चली आ रही है उसका अब दम खुटने लगा है। सुरक्षाबलों ने अपने पराक्रम और वीरता से उन जिहादियों को ठिकाने लगाया जो देश के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए थे। एक तरीके से यह कहा जा सकता है कि अब घाटी में जल्द ही आतंक का सफाया होेगा।
—राजेंद्र सिंह, दतिया (म.प्र.)
अद्भुत उदाहरण
रपट ‘मानव सेवा के तीर्थ (15 अक्तूबर, 2017)’ जैसी रपटें समाज के लिए न केवल प्रेरणादायी होती हैं बल्कि सेवा की ओर उन्मुख करती हैं। असल मायनों में देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो नाम और यश को की परवाह न करके रातदिन देशवासियों का दु:ख-दर्द दूर करने में लगे हुए हैं।
—बालमुकुंद अग्रवाल, जांजगीर चांपा (छ.ग.)
कोई नहीं हिसाब
फारुख का है आ गया, सचमुच समय खराब
जाने क्या है बक रहा, कोई नहीं हिसाब।
कोई नहीं हिसाब, नये रस्ते बतलाते
खुलेआम भारत शासन को हैं धमकाते।
कह ‘प्रशांत’ पूरी दुनिया पहचान चुकी है
आतंकी है ये भी, जनता मान चुकी है॥
— ‘प्रशांत’
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