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''हिन्दू समाज विजय की ओर बढ़ रहा है। वहीं विश्व में हिंदू का सम्मान बढ़ रहा है। ऐसे में समरसतापूर्ण व्यवहार इस दिशा में महत्वपूर्ण होगा।'' उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिया। वे गत दिनों कर्नाटक के उडुपी में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित (24, 25, 26 नवम्बर) तीन दिवसीय धर्म संसद में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मंदिर, पानी और श्मशान सबके लिए समान हो। यही मंत्र भारत के विकास का है। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संदर्भ में उन्होंने घोषणा की कि वहां मंदिर ही बनेगा, उसी प्रारूप में बनेगा, उन्हीं पत्थरों से बनेगा और उन्हीं के नेतृृत्व में बनेगा जो आंदोलन को यहां तक लेकर आए हैं। बहुत जल्द हिन्दू समाज का यह सपना पूरा होने वाला है। धर्मसंसद के प्रथम सत्र की अध्यक्षता पेजावर पीठाधीश्वर पूज्य श्री विश्वेशतीर्थ जी महाराज ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सब प्रकार की बाधाओं को दूर करके एक साल के अंदर ही श्रीराम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो जायेगा। उडुपी में किसी भी धर्मसंसद में किया गया संकल्प हमेशा पूरा हुआ है। जैसे 1969 में अस्पृृश्यता दूर करने का संकल्प लिया गया था। 1985 की धर्मसंसद में श्रीराम जन्मभूमि का ताला खोलने का संकल्प लिया गया था। जिस तरह वे दोनों संकल्प साकार हो चुके हैं, उसी प्रकार यह तीसरा संकल्प भी पूरा होगा। उन्होंने अस्पृृश्यता को कालकूट विष का नाम देते हुए कहा कि इसका निवारण अवश्य होना चाहिए। एक सत्र में जैन संत वीरेन्द्र हेगड़े ने कहा कि हिन्दू समाज अनादिकाल से चला आ रहा है। सब प्रकार के षड्यंत्रों और अत्याचारों के बावजूद हिन्दुओं को कभी समाप्त नहीं किया जा सका, हिन्दू हमेशा विजेता रहा है।
विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीणभाई तोगडि़या ने कहा कि मठ-मंदिरों का अधिग्रहण और ध्वंस किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि समाज में उत्पन्न अस्पृृश्यता की खाई को पाटना होगा।
तीन दिन विभिन्न सत्रों में क्रमश: विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री श्री चम्पत राय, पूज्य गोविन्द देव गिरि जी महाराज, सुकैर स्वामी (मैसूर), डॉ. परमानंद जी, आदिचुनचुनगिरि मठ के स्वामी निर्मलानंद जी व परमार्थ निकेतन के पूज्य चिदानंद जी महाराज ने हिन्दू समाज का आह्वान करते हुए कहा कि हिन्दू विजय की निर्णायक घड़ी आने वाली है। ऐसे मौके पर बड़े ही धैर्य से काम लेकर विजय प्राप्त की जा सकती है। इस अवसर पर दो प्रस्ताव भी पारित किए गए। प्रस्तावककर्नाटक के पूज्य गंगाधरेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने दो प्रस्ताव रखे कि छुआछूत मुक्त भारत बने एवं मंदिरों का अधिग्रहण व न्यायिक आदेश की आड़ में उनका ध्वंस स्वीकार नहीं किया जा सकता। इनका अनुमोदन पूज्य संग्राम महाराज जी, तेलंगाना ने किया।
-प्रतिनिधि
'जीने की प्रेरणा देती है श्रीमद्भगवद् गीता'
पिछले दिनों हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि देश आज जिस परिस्थिति से गुजर रहा है, उसमें गीता का अनुसरण आवश्यक है। समाज में एकता एवं आत्मीयता की भावना लानी होगी। इसके लिए समाज को गीता का संदेश प्रत्यक्ष रूप से जीवन में उतारना होगा। तभी यह संभव होगा, क्योंकि गीता कर्तव्य निष्ठा से लेकर उत्कृष्ट जीवन जीने तक की प्रेरणा देती है। बिना परिणाम की चिंता किए कर्म करना ही गीता का सिद्धांत है। जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसे ही परिणाम मिलेंगे। जो करेगा वह भोगेगा। फल में मोह न रखते हुए कर्म को उत्कृष्ट बना कर समबुद्धि रखते हुए जीवन जीना चाहिए। उन्होंने कहा कि गीता भारत के विचार का तथा भारत के अनुभवों से पैदा हुई प्रगति का निष्कर्ष है। जिन निष्कषोंर् पर हमारे पूर्वज पहुंचे हैं, उन सारे निष्कषोंर् का सारांश गीता है। उपनिषद् एक तरह से हमारी गाय हैं और उनका दूध दुह कर गीता के माध्यम से हमारे पास पहुंचा है। गीता का पहला संदेश ही यह है कि हमें अपने कर्म से भागना नहीं चाहिए। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा हिमाचल के राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत भी उपस्थित थे। – (विसंकें, कुरुक्षेत्र)
'स्वदेशी से ही खुलेंगे देश-प्रदेश की तरक्की के रास्ते'
स्वदेशी जागरण मंच ने देहरादून के एमकेपी इण्टर कॉलेज में 22 नवम्बर को स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर स्वदेशी का नारा बुलन्द कर स्वदेशी अभियान को क्रान्ति में बदलने की शपथ भी दिलाई गई। स्थापना दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि मैं स्वदेशी विचार को अपने जीवन में उतारता हूं और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करता हूं। यह अभियान हम सभी का है। स्वदेशी से ही मेक इन इण्डिया अभियान सफल होगा और देश के युवाओं को रोजगार के नए मौके मिलेंगे। इससे ही देश-प्रदेश की तरक्की के रास्ते खुलेंगे। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक श्री कश्मीरी लाल ने 'जब बाजार जाएंगे, माल स्वदेशी लाएंगे' नारे के साथ विचार रखे। रा.स्व.संघ के प्रांत प्रचारक श्री युद्धवीर ने कहा कि स्वदेशी अभियान से ही देश पूरी तरह आत्मनिर्भर बन पाएगा। उत्तराखण्ड पीजी कॉलेज के प्रबंध निदेशक जीडीएस वारने ने कहा कि देश के विकास के लिए हमें स्वेदशी से जुड़ना होगा। -(विसंकें, देहरादून)
'संघ का लक्ष्य लोक जागरण एवं लोक संगठन'
''प़ पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भारत को परम वैभव सम्पन्न बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर की थी। राष्ट्र को परम वैभव सम्पन्न बनाने का अर्थ है-भारत विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बने।'' उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री नरेंद्र कुमार ने कहीं। वे पिछले दिनों रांची के आईटीआई मैदान में महानगर के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए डॉ़ हेडगेवार जी ने दो सूत्र बताए। पहला-व्यक्ति निर्माण यानी अनुशासित, देशभक्त, संस्कारित, देश-समाज के लिए नि:स्वार्थ भाव से सेवा के लिए तत्पर रहने वाले नागरिकों का निर्माण। दूसरा, समाज का संगठन यानी वैसे संस्कारित व्यक्तियों के माध्यम से ही समाज को संगठित करना। उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य लोक जागरण करके समाज का संगठन करना है। यह समाज ऐसा हो जो मां भारती के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दे। उन्होंने कहा कि संगठित समाज शक्ति के समक्ष सरकार भी घुटने टेकती है, जिसका उदाहरण केरल का बाल गोकुलम है। बाल गोकुलम द्वारा प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर नन्हे बच्चों के लिए कृष्ण-शृंगार प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसमें मुस्लिम, ईसाई महिलाएं भी अपने बच्चों को बड़े शौक से प्रतिभागी बनाती हैं। इसकी लोकप्रियता के कारण वहां की कम्युनिस्ट सरकार को जन्माष्टमी पर राजपत्रित अवकाश घोषित करना पड़ा। -प्रतिनिधि
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