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जब भारतवासी 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में शहीद सुरक्षाकर्मियों और अन्य लोगों को श्रद्धांजलि दे रहे थे, लगभग उसी समय उस हमले के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद को पाकिस्तान में जेल से रिहा किया जा रहा था। सईद को ऐसे मौके पर रिहा कर पाकिस्तान ने एक बार फिर से दुनिया को दिखाया है कि वह आतंकवाद को पोसने वाला था, है, और आगे भी रहेगा। दरअसल, पाकिस्तान की चाल, चरित्र और चेहरा यही है। इसी चेहरे को एक बार फिर से उजागर किया है पूर्व राष्टÑपति परवेज मुशर्रफ ने। एक पाकिस्तानी चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने पूरी ढिठाई से माना कि वे तालिबान और लश्करे-तोयबा जैसे संगठनों के समर्थक हैं और वे संगठन भी उन्हें पसंद करते हैं। मुशर्रफ यहीं नहीं रुके, उन्होंने कुख्यात आतंकवादियों (जैसे, ओसामा बिन लादेन, अल-जवाहिरी, हाफिज सईद आदि) को पाकिस्तान का ‘नायक’ बताया। साथ ही कहा कि ‘कश्मीर की आजादी’ के लिए भी उन्होंने ही मुजाहिदीन तैयार किए हैं।
ऐसा बोलने या स्वीकारने वालों की कतार में मुशर्रफ अकेले नहीं हैं। सच तो यह है कि पाकिस्तान के खिसियाए फौजी शासक और नेता वर्षों से यही तो कर रहे हैं। सब अपनी कथनी-करनी से आतंकवादियों के पोषक और संरक्षक हैं। यही पाकिस्तान है, जिसने ऐबटाबाद में सेना छावनी के बिल्कुल पास ही कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को छुपाए रखा था और दुनिया के सामने कहा था कि ‘उसके यहां ओसामा नहीं है’। ये तो अमेरिकी ड्रोन ही थे जिन्होंने ऐबटाबाद में उसे खोजकर ठिकाने लगाने में मदद की। ऐसा नहीं होता तो शायद पाकिस्तान उसे अपने अंक में समेटे रहकर अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ मुहिम में शामिल रहने का नाटक खेलता रहता और पैसा उगाही करता रहता।
अब फिर से लौटते हैं सईद पर। दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने हाफिज सईद को कुछ दिनों के लिए नजरबंद तो किया, लेकिन आखिर में वही किया, जो उसका स्वभाव है। अब हाफिज सईद ने वकील के जरिए संयुक्त राष्टÑ में एक अर्जी देकर मांग की है कि उसका नाम आतंकवादियों की सूची से हटाया जाए। जिस सईद के हाथ दुनिया की अनेक आतंकी वारदातों में शामिल हों, जिसको पकड़ने के लिए अमेरिका ने लाखों डॉलर का ईनाम रखा हो, जो चीख-चीख कर कहता हो कि ‘कश्मीर की आजादी’ के लिए वह मुजाहिदीनों के साथ खड़ा है, उसमें इतना दुस्साहस पाकिस्तान के दब्बू हुक्मरानों के समर्थन के बिना नहीं आ सकता।
पाकिस्तान में आतंकवादी, कट्टरवादी, फौजी और सियासी नेताओं के बीच जबर्दस्त साठगांठ जगजाहिर है। यही एक दिन पाकिस्तान के विनाश की वजह बनेगी, इसमें शंका अब नहीं दिखती। यह दुनिया के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है। सभ्य जगत के वासी इस खतरे को भांप गए हैं और उस अनुसार प्रयास भी कर रहे हैं। संदेह नहीं कि आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ साझा प्रभावी प्रहार ही विश्व में आसुरी ताकतों का विनाश करेगा।
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