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अमेरिका/बंदूक संस्कृति-टेक्सास, चर्च और हमला

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Nov 13, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 13 Nov 2017 11:11:11

टेक्सास की घटना बहुत कुछ पिछले महीने लास वेगास में हुई अंधाधुंध गोलीबारी की घटना से बहुत अलग नहीं है। ऐसी घटनाओं के तार आतंकी संगठनों से किसी न किसी रूप में जुड़े पाए जाते रहे हैं

सुधेन्दु ओझा

यह विडम्बना ही कही जाएगी कि विश्व के किसी भी कोने में अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों के प्रति सजग विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को लगातार अपने देश में अपने ही नागरिकों द्वारा किए गए नरसंहार झेलने पड़ रहे हंै। अभी 5 नवंबर, 2017 को टेक्सास के एक चर्च में एक बार फिर अमेरिकी बंदूक संस्कृति का दुर्दांत उदाहरण देखने को मिला, जिसमें 26 लोगों की नृशंस हत्या हो गई और 20 से अधिक  घायल हो गए। अमेरिका में बंदूक संस्कृति से जुड़ी हिंसा के रिकॉर्ड के अनुसार, इस वर्ष अभी तक अंधाधुंध गोलीबारी की 52,385 घटनाएं सामने आई हैं। इसमें 13,149 लोगों की जाने गई हैं। इसमें से 307 मामले बेहद गंभीर माने गए हैं। टेक्सास में जनसुरक्षा से जुड़े अधिकारी फ्रीमैन मार्टिन के अनुसार, 5 नवंबर की घटना में मारे गए लोगों की उम्र 5 से 72 साल तक है। संदिग्ध हमलावर घटना के बाद वहां से एक गाड़ी से भागने लगा, लेकिन कार पर नियंत्रण नहीं रहा और कार हादसे की शिकार हो गई।  पुलिस ने संदिग्ध को कार में मरा पाया। हत्यारे की पहचान 26 साल के डेविन पी. केली के रूप में हुई है। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी इतिहास में 1949 के बाद के 5 सबसे बड़े हत्याकांडों में से दो तो पिछले 35 दिनों के दौरान हुए हैं।  

लास वेगास में बरपा था कहर
अभी कुछ दिन पूर्व ही अमेरिका के लास वेगास शहर में एक संगीत समारोह में हमले में अमेरिकी नागरिकों की निर्मम हत्या विकृत सोच और पैसे के नशे के मेल का नतीजा है। 1अक्तूबर को हुई गोलीबारी की उस घटना में 58 लोग मारे गए थे। संगीत के शौकीनों पर हुए इस अप्रत्याशित हमले में करीब 550 से ज्यादा  लोग घायल हो गए थे। 11 सितंबर, 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद से यह अमेरिका  में निर्दोष नागरिकों पर हमले की सबसे बड़ी वारदात थी। इससे पहले जून 2016 में ओरलैंडो के नाइट क्लब में हुई गोलीबारी में 49 लोग मारे गए थे।

विकृत बंदूक संस्कृति
लास वेगास  के हत्यारे स्टीफन पैडॉक के पास से 47 बंदूकें बरामद हुई थीं, इनमें राइफल और सेमी-आॅटोमैटिक बंदूकें भी थी। 33 बंदूकें तो उसने महज एक महीने में खरीदी थीं। अमेरिका में बंदूक की संस्कृति का मुद्दा अमेरिकी राजनीति में अहम रहा है। बंदूकों की बिक्री करने वालों को भी बड़ी मात्रा में बंदूकें खरीदने या बेचने के लिए ज्यादा कड़े नियमों का पालन नहीं करना पड़ता। लचर कानून और अकूत पैसे वालों की लापरवाह जिंदगी के कारण अमेरिका  में बंदूक  संस्कृति जमकर फली-फूली। प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार अमेरिका में आतंकी की बंदूक से जितने लोग मारे जाते हैं, उससे 2000 गुना ज्यादा लोग अपने ही देश के कुछ सिरफिरे नागरिकों की अंधाधुध गोलीबारी में मारे जाते हैं। अमेरिका में इस हिंसाचार का रिकॉर्ड रखने वाली संस्था के अनुसार 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका में जिहादी आतंकी हमले में 103 लोग मारे गए हैं। यह संख्या 2014 के बाद से अंधाधुंध  गोलीबारी में मारे गए लोगों की संख्या के मुकाबले एक प्रतिशत से भी कम है।
बंदूक की बिक्री को लेकर अमेरिका में नियम काफी लचर हैं। टेक्सास में अमेरिकी नागरिकों को एआर-15 जैसी घातक राइफल लेकर घूमने की अनुमति है। 1776 में अमेरिका  के स्वतंत्र  होने के महज 15 साल बाद 5 दिसंबर, 1791 को अमेरिकी संविधान के दूसरे संशोधन में बंदूक रखने को बुनियादी अधिकार माना गया है। यही वजह है कि प्रति 10 लाख आबादी पर सरेआम गोली चलाने (मास शूटिंग) की घटनाएं अमेरिका  में सबसे ज्यादा होती हैं। दिसंबर 2012 में सैंडी हुक स्कूल में गोलीबारी के बाद से अमेरिका  में ऐसी 1,500 घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 1,715 लोग मारे गए हैं और 6,089 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अमेरिका के 55 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि वहां बंदूक रखने संबंधी नियम कड़े किए जाएं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को वहां हथियार कानूनों को सख्त बनाने का मुखर समर्थक माना जाता था, लेकिन आठ वर्ष के शासन में उनकी भी एक नहीं चली। अमेरिका  में तकरीबन हर घर में, हर किसी के पास हथियारों का जखीरा है। जहां ओबामा नियमों को कठोर बनाने के लिए प्रयत्नशील थे, वहीं रिपब्लिकन इसके विरोध में थे। प्रश्न उठता है कि क्या ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन इस मामले में अपना रुख बदलेगी?  अमेरिका  में लगभग 50 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अंधाधुंध गोलीबारी या बंदूक हिंसा एक गंभीर समस्या है, जबकि केवल 32 प्रतिशत रिपब्लिकन ही इसे गंभीर मानते हंै।

आतंकियों के पैर पसारने का खतरा
अमेरिका सहित दुनिया के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिकी नीतियों के निर्माता हथियार निर्माताओं तथा विक्रेताओं के पक्ष में इसी तरह नरम रवैया अपनाएंगे तो टेक्सास और लास वेगास जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी। खतरा यह है कि ऐसे सिरफिरे बंदूकधारियों को आतंकी बरगला सकते हैं और उनसे जब चाहे, जहां चाहे हत्या करवा सकते हैं। अमेरिका  में  जान-बूझकर बंदूक से की गई मानव-हत्या की दर अन्य उच्च आय वाले देशों की तुलना में 25.2 गुना अधिक है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस तथा अल-कायदा इन हथियारों का अपने मंसूबों के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।  हालांकि अभी तक टेक्सास हमले के पीछे किसी आतंकी संगठन के होने का सुराग नहीं मिला है। वैसे भी, अमेरिकी जांच एजेंसियां किसी ठोस सबूत के बाद ही निष्कर्ष पर पहुंचना चाहती हैं। लेकिन एक बात साफ है कि आतंकी जिस तरह के बद्दिमाग और हथियारों से लैस युवकों आदि की खोज में रहते हैं उसे देखते हुए अमेरिका में उनके लिए ‘उपजाऊ भूमि’ दिखाई दे रही है। ट्रंप प्रशासन पर इस वक्त दबाव बढ़ता जा रहा है कि इस खुली बंदूक संस्कृति पर लगाम कसने के उपाय किए जाएं ताकि विश्व शांति के लिए खतरा और न बढ़े।  

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