|
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्टÑपति शी जिनपिंग को दूसरा कार्यकाल संभालने का अवसर दे दिया है यानी अब वे 2022 तक राष्टÑपति रहेंगे। ताकतवर जिनपिंग ने हुंकार भरी कि 2049 तक चीन को ‘पूर्ण विकसित राष्टÑ’ में बदल देंगे
संतोष
बीजिंग में 18-24 अक्तूबर तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की 19वीं राष्टÑीय कांग्रेस का आयोजन हुआ। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम था। पार्टी के नेता हर पांच साल में एक सप्ताह के लिए मिलते हैं, ताकि वे अपने नेतृत्व पर निर्णय लेने के साथ ही राष्टÑीय नीतिगत प्राथमिकताएं निर्धारित कर सकें। चीन में परंपराएं दिखाती हैं कि पार्टी हर 10 साल में अपने नेतृत्व को बदलती रही है। 2012 में पिछली कांग्रेस के दौरान शी जिनपिंग ने अपना पहला पांच साल का कार्यकाल शुरू किया था। इस बार उन्हें फिर से पांच साल के लिए नियुक्त किया गया है।
पार्टी ने शी जिनपिंग के साथ नीचे के स्तरों जैसे, केंद्रीय समिति, पोलित ब्यूरो, केंद्रीय सैन्य आयोग और सबसे अधिक शक्तिशाली पोलित ब्यूरो स्थायी समिति में शीर्ष पदों पर लोगों को भी नियुक्त किया। पोलित ब्यूरो स्थायी समिति एक समूह है, जिसमें सात सदस्य होते हैं, जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में उच्चतम स्तर पर निर्णय लेने वाले निकाय का निर्माण करता है। इसके सदस्यों के पास देश की अर्थव्यवस्था या प्रचार अभियान चलाने जैसे निर्णय लेने के व्यापक अधिकार होते हैं।
सीपीसी के प्रमुख पदाधिकारी
केंद्रीय समिति के महासचिव – शी जिनपिंग
स्थायी समिति के सदस्य
शी जिनपिंग, ली केकियांग, ली झांशु, वांग यांग, वांग हुनिंग, झाओ लेजी और हान झेंग।
राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य
डिंग ज्यूक्सियांग, शी जिनपिंग, वांग चेन, वांग हुनिंग, लियू हू, जू क्विलियांग, सन चुनलन (महिला), ली क्सी, ली क्विंग, ली केकियांग, ली होंग्हहोंग, यांग जेईची, यांग क्सिअडू, वांग यांग, जांग यूक्सिया, चेन क्सी, चेन क्वगुओ, चेन मिनर, झाओ लेजी, हू चनहुआ, ली झांशु, गुओ शेन्गकुन, हुआंग कुनमिंग, हान झेंग और कै क्यूई।
केन्द्रीय समिति सचिवालय के सदस्य
वांग हुनिंग, डिंग ज्यूक्सियांग, यांग क्सिअडू, चेन शी, गुओ शेंगकुन, हुआंग कुनमिंग और यू क्वन।
केंद्रीय सैन्य आयोग के पदाधिकारी
अध्यक्ष : शी जिनपिंग
उपाध्यक्ष : जू क्यूलींग और झांग यूक्सिया
सदस्य : वी फेन्गे, ली जुओचेंग, मीओ हुआ और जांग शेन्गमिन
अनुशासन निरीक्षण के लिए सीपीसी केंद्रीय आयोग
सचिव : झाओ लेजी
उप सचिव : यांग, झांग शेन्गमिन, लियू जिन्गुओ, यांग शियाचाओ, ली शुलेई, शु लिंगाई, जिओ पी और चेन क्सिओ जियांग
स्थायी समिति के सदस्य
वांग होंग्झिन, बाई शाओकांग, लियू जिन्गुओ, ली शुलेई, यांग शियाचाओ, यांग, जिओ पी, जू जियाई (महिला), झांग शेन्गमिन, झांग चुनशेंग, चेन क्सिओजिआंग, चेन चाओयिंग, झाओ लेजी, हाउ काई, जियांग शिनजी, लुओ युआन, झू लिंगी, लिंग जी और कुई पेंग।
कांग्रेस की शुरुआत में 2,200 से ज्यादा प्रतिनिधियों के सम्मुख अपने 203 मिनट के लंबे भाषण में जिनपिंग ने पार्टी की नीति और दिशा बताते हुए चीन को इस शताब्दी के मध्य तक एक ‘महान समाजवादी राष्टÑ’ के रूप में रूपांतरित करने के लिए दो चरण की योजना का खुलासा किया।
इस महान सपने को पूरा करने के लिए, शी ने पिछले नेतृत्व द्वारा निर्धारित दो उदार आर्थिक लक्ष्यों, जिन्हें एक साथ ‘शताब्दी के दो लक्ष्य’ कहा जाता है, का प्रयोग किया। शताब्दी का प्रथम लक्ष्य पार्टी की स्थापना की 100वीं सालगिरह यानी 2021 तक गरीबी को पूरी तरह मिटाकर एक ‘समृद्ध समाज’ बनाना है, वहीं दूसरा और अधिक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ यानी 2049 तक चीन को ‘पूर्ण विकसित राष्टÑ’ में बदलना है।
शी ने पहली बार शताब्दी के दूसरे महत्वपूर्ण लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक विशिष्ट समय सारिणी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम पार्टी चीन को 2035 तक मूल रूप से समाजवादी आधुनिक राज्य बनाने पर जोर देगी जहां, अन्य बातों के अलावा, देश में संपन्नता और विपन्नता के बीच की खाई को कम करने और पर्यावरण सुधार जैसे विषयों पर जोर रहेगा। दूसरा चरण 2035-2050 के दौरान रहेगा। इसमें शी के अनुसार चीन एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बन जाएगा और चीनी लोग मूल रूप से ‘समान संपत्ति’ का आनंद लेंगे। शी ने अर्थव्यवस्था को अधिक चुस्त और समृद्ध बनाने के लिए राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को सुधारने की तरह अनेक चीजें करने के बारे में बहुत कुछ कहा, लेकिन एक बात स्पष्ट रूप से कही गई कि चीन पारंपरिक बाजार अर्थव्यवस्था की तरफ अग्रसर नहीं होगा।
शी ने चीन के विश्व पटल पर बढ़ते प्रभाव को रेखांकित किया, साथ ही अपने पहले कार्यकाल के दौरान विवादित दक्षिण चीन सागर पर चीन के बढ़ते नियंत्रण को सराहा और चीनी सेना को और अधिक शक्तिशाली बनाने के प्रयासों के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। शी ने संकेत दिया कि वे अपने पहले कार्यकाल के सबसे बड़े कदमों में से एक को जारी रखेंगे और वह है-घरेलू दमन। शी जिनपिंग के शासन के तहत, चीनी अधिकारियों ने मुक्त अभिव्यक्ति और नागरिक समाज पर कठोर दमन की नीति अपनाई है।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में पिछले साल 6़ 7 प्रतिशत की गिरावट आई, जो एक चौथाई शताब्दी में सबसे धीमी वार्षिक वृद्धि थी। शी के भाषण में अर्थव्यवस्था के आकार या प्रति व्यक्ति जीडीपी के दीर्घकालिक लक्ष्य का उल्लेख नहीं किया गया था। विश्लेषकों ने माना है कि सरकार संरचनात्मक सुधार की दिशा में आगे बढ़ने को अग्रसर है तो धीमी वृद्धि स्वाभाविक है।
भ्रष्टाचार पर होगी सख्ती
भ्रष्टाचार के मामले में शी ने कहा कि हम दृढ़ता को मजबूत करेंगे, ताकि अधिकारी भ्रष्ट न हो सकें और सतर्कता को मजबूत करेंगे ताकि वे भ्रष्टाचार करने की इच्छा न रखें। सैन्य मसले पर उन्होंने कहा कि 2035 तक हमारी राष्टÑीय रक्षा का आधुनिकीकरण मूल रूप से पूर्ण हो जाए, और 21 वीं सदी के मध्य तक हमारे सशस्त्र बल पूरी तरह से विश्वस्तरीय बलों में परिवर्तित हो जाएं।
चीनी संप्रभुता पर उन्होंने कहा कि हमारे पास संकल्प, आत्मविश्वास और किसी भी रूप में ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ को पराजित करने की क्षमता है। चीन के किसी भी हिस्से को चीन से अलग करने के लिए हम किसी को, किसी भी संगठन या किसी भी राजनीतिक दल को किसी भी समय या किसी भी रूप से कभी भी अनुमति नहीं देंगे। अर्थव्यवस्था पर उन्होंने कहा कि चीन अब व्यापार, आउटबाउंड निवेश और विदेशी मुद्रा भंडार में दुनिया का नेतृत्व करने की ओर अग्रसर है।
पार्टी पर पकड़
नई सात सदस्यीय पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के पांच सदस्यों को शी द्वारा अनुमोदित माना जा रहा है जो 18 अक्तूबर को नियुक्त किए गए हैं। वर्तमान में पार्टी के सेवानिवृत्ति मानदंडों के चलते, उनमें से कोई भी आज से पांच वर्ष बाद 64 वर्षीय शी से पार्टी के नेता के रूप में उत्तराधिकार प्राप्त करने के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा है। एक स्पष्ट उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति से शी की महत्वाकांक्षाओं का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे इस बात को बल मिलता है कि शी जिनपिंग दूसरा पांच साल का कार्यकाल पूर्ण करने के उपरांत तीसरा कार्यकाल भी लेना चाहेंगे और इसके बाद ही वे अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करेंगे। इस अधिवेशन में पार्टी के संविधान में शी और उनके सिद्धांतों को शामिल करने से शी और ताकतवर हुए हैं।
इन सबके साथ ही शी को अनेक कठिन चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। उनमें प्रमुख हैं- ऋण के बढ़ते स्तरों में सुधार करना, अमेरिका और यूरोप के साथ व्यापारिक तनावों को दूर करना, उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ युद्ध को रोकने और बीजिंग के प्रभाव से सावधान रहने वाले दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को व्यवस्थित करना आदि। अब वक्त ही बताएगा कि शी इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं। ल्ल
टिप्पणियाँ