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गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में केसरिया हवा की महक महसूस की जाने लगी है। उम्मीद है कि इन दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें बनेजा रही है।
हितेश शंकर और मनोज वर्मा
बात सही है कि चुनाव पूर्व होने वाले सर्वेक्षण अंतिम परिणाम नहीं होते, लेकिन यह भी सच है कि सर्वेक्षण चुनाव की दशा-दिशा का संकेत जरूर कर देते हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर मीडिया संस्थानों द्वारा जो सर्वेक्षण किए गए हैं, उसके हिसाब से इन दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनती नजर आ रही है। गुजरात में भाजपा की वापसी हो रही है तो हिमाचल प्रदेश के रूप में कांग्रेस एक और राज्य खोती नजर आ रही है।
उदाहरण के लिए टाइम्स नाउ न्यूज चैनल के सर्वेक्षण में भाजपा को गुजरात में दो तिहाई बहुमत मिलने का अनुमान जताया गया है, जबकि कांग्रेस की हालत में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा। टाइम्स नाउ-वीवीआर के सर्वेक्षण के अनुसार भाजपा इस बार गुजरात में 2012 के चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार 182 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को 118-134 सीटें मिल सकती हैं, जबकि 2012 के चुनाव में भाजपा को 115 सीटें हासिल हुई थीं। 2012 में 61 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को इस बार भी 49-61 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक भाजपा के वोट शेयर में 4 प्रतिशत का सुधार हो सकता है और उसे पिछली बार के 48 प्रतिशत की जगह इस बार 52 प्रतिशत वोट मिलेंगे। वहीं कांग्रेस के वोट शेयर में दो प्रतिशत की गिरावट आएगी और उसे 39 प्रतिशत की जगह 37 प्रतिशत वोट मिलेंगे। अन्य के खाते में 11 प्रतिशत वोट आ सकते हैं।
इंडिया टुडे ग्रुप और एक्सिस माइ इंडिया ओपीनियन सर्वे के अनुसार गुजरात में भाजपा एक बार फिर से सरकार बनाने जा रही है और हिमाचल प्रदेश में वापसी की राह पर है। भाजपा को गुजरात की कुल 182 सीटों में से 115 से 125 सीटें मिल सकती हैं, वहीं कांग्रेस को सिर्फ 57 से 65 सीटों पर संतोष करना पड़ेगा। गुजरात में पिछले कुछ समय से भले ही जीएसटी, नोटबंदी और पाटीदार-ओबीसी-ठाकोर-दलितों को लेकर आंदोलन हो रहे हों, लेकिन लोगों का भरोसा अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कायम है। सर्वेक्षण के अनुसार 66 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से गुजरात को फायदा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज का भी गुजरात के ज्यादातर लोगों ने समर्थन किया है।
गुजरात सरकार की उजाला गुजरात योजना को लेकर 90 फीसदी लोग जागरूक हैं। इनमें से 84 फीसदी लोगों का कहना है कि राज्य सरकार की इस योजना से जनता को फायदा मिल रहा है। बच्चों के टीकाकरण के लिए चलाए जा रहे मिशन इंद्रधुनष अभियान को लेकर 88 फीसदी लोग जागरूक हैं। इनमें से 93 फीसदी लोगों का कहना है कि सरकार की इस योजना से लोगों को फायदा मिल रहा है।
गुजरात में पिछले दिनों हुए स्थानीय चुनावों में तो भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं। उसने 126 में से 109 सीटें जीतीं। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। सुदर्शन न्यूज चैनल के सर्वेक्षण में भी भाजपा को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है। 182 विधानसभा सीटों के लिए कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार भाजपा 145 से 155 सीटों पर जीत का परचम लहराने जा रही है तो गुजरात की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के खाते में 27 से 37 सीटें आती दिख रही हैं।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में कांग्रेस के हाथ से सत्ता जा सकती है और भाजपा की सत्ता में वापसी की प्रबल संभावना है। एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वेक्षण में बताया गया है कि इस बार भाजपा को हिमाचल प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिलने के आसार हैं। कांग्रेस को 68 में से 22 से 28 और भारतीय जनता पार्टी को 39 से 45 सीटें मिल सकती हैं। वहीं अन्य के खाते में 0 से 3 सीटें जा सकती हैं। हिमाचल प्रदेश में इंडिया टुडे ग्रुप ने 25 सितंबर से 8 अक्तूबर के बीच सर्वेक्षण किया था। दावा किया गया था कि राज्य के करीब 6,936 लोगों से इस सर्वेक्षण में बात की गई है। इसके अनुसार राज्य में भाजपा को बढ़त है। वोट प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 49 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं, वहीं कांग्रेस सिर्फ 38 प्रतिशत पर ही सिमट सकती है। वहीं अन्य के खातों में 13 प्रतिशत वोट पड़ सकता है। सीटों की बात करें तो सर्वेक्षण में सर्वाधिक सीटें भाजपा को मिलती दिख रही हैं। राज्य में भाजपा 43-47 सीटों के साथ सरकार बनाती दिख रही है। कांग्रेस को 21 से 25 जबकि अन्य के खाते में 0-2 सीटें आ सकती हैं। मीडिया एसोसिएशन फॉर सोशल सर्विस द्वारा हिमाचल प्रदेश में अक्तूबर में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में भाजपा इस बार 45 से 50 सीट जीत सकती है।
इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि राज्य की जनता ने बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था को बड़ा मुद्दा माना। करीब 68 प्रतिशत लोगों ने माना कि कांग्रेस के शासनकाल में राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति अधिक खराब हुई। जाहिर है मीडिया सर्वेक्षण में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भाजपा का पलड़ा भारी है। वहीं मीडिया सर्वेक्षणों पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी कहते हैं कि गुजरात में भाजपा इस बार ऐतिहासिक जीत हासिल करेगी और 150 से अधिक सीटें जीतेगी। वहीं हिमाचल प्रदेश के मुखमंत्री वीरभ्रद सिंह ने कहा कि सर्वेक्षण गलत साबित होंगे और कांग्रेस जीतेगी। ल्ल
कांग्रेसी पतन की कहानी
गुजरात में 1990 के बाद विधानसभा का एक भी चुनाव न जीतने वाली गुजरात कांग्रेस 2017 के चुनाव में जीतने के सपने देख रही है और वह भी दूसरों के भरोसे। असल में 1985 में गुजरात में हुआ चुनाव कांग्रेस ने माधवसिंह सोलंकी की अगुआई में लड़ा था। माधवसिंह सोलंकी ने चुनाव जीतने के लिए क्षत्रिय-मुस्लिम-दलित और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को अपने साथ कर लिया। इसका नतीजा यह रहा कि गुजरात की 182 सीटों में से 149 पर कांग्रेस को जीत मिली। इस जीत में गुजरात के किसान, जो ज्यादातर पटेल समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, भी कांग्रेस के साथ थे। 1990 का चुनाव गुजरात जनता दल और भाजपा ने मिलकर लड़ा। जनता दल के नेता चिमनभाई पटेल थे और भाजपा ने केशुभाई पटेल को अपना नेता घोषित किया था। अब तक गुजरात की राजनीति समझ चुकी भाजपा को एहसास हो चुका था कि अगर दलित-मुस्लिम और क्षत्रिय मतदाता कांग्रेस के साथ हैं तो वह पटेल समुदाय को अपने साथ करके चुनाव जीत सकती है। इसी कारण केशुभाई पटेल, जो पटेल होने के साथ गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से आते थे, को नेतृत्व सौंपा गया था। भाजपा का प्रयोग सफल भी हुआ और 1990 में कांग्रेस की हार हुई। जनता दल और भाजपा की मिली-जुली सरकार बनी। इसके बाद से गुजरात में कांग्रेस का जो पतन शुरू हुआ तो वह आज तक उठ नहीं पाई।
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