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देश का बच्चा-बच्चा गुरु गोबिंद सिंह जी को अपना आदर्श मानता है, क्योंकि उनका जीवन हमें समाज को जोड़ने की सीख देता है। हम सभी को उनके चरित्र, वाणी, और उपदेशों का अध्ययन करके उसमें से कुछ न कुछ ग्रहण करना चाहिए। प्रयास करना चाहिए कि वे हमारे आचरण में आएं।’’
उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिया। वे 25 अक्तूबर, 2017 को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा आयोजित गुरु गोबिंद सिंह महाराज के 350वें प्रकाश पर्व पर आयोजित विशेष समागम में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत को अगर भविष्य में विश्व गुरु बनना है और उसकी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पानी है तो हम सभी को पंथ-संप्रदाय का भेद किए बिना दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह के आदर्शों को अपनाना होगा, क्योंकि देश को उनके जैसे नेतृत्व की जरूरत पहले भी थी, आज भी है और आगे भी रहेगी। इस मौके पर विशेष रूप से उपस्थित केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया में भारत की संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है। इस संस्कृति को बचाए रखने के लिए अगर किसी का नाम विशेष रूप से आता है तो वह है खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी का नाम खालसा पंथ भारतीय संस्कृति के रक्षा कवच के समान है। राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष स. गुरुचरण सिंह गिल ने कहा कि विदेशी आक्रान्ताओं के आगे गुरु गोबिंद सिंह जी कभी झुके नहीं। उन्होंने देश की अस्मिता के लिए लड़ना-मरना सिखाया। देश पर आए संकट को अपने ऊपर लेकर समाज को एक नई दिशा दिखाई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विशिष्टजन व नागरिक उपस्थित थे। प्रतिनिधि
‘भारत का आध्यात्मिकता से अटूट संबंध’
गत दिनों कोलकाता में भगिनी निवेदिता के 150वें जन्मदिवस पर विशाल सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत उपस्थित रहे। सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने जो राह चुनी थी, वह व्यक्ति व समाज को तैयार करने की थी। भगिनी निवेदिता ने स्वामी जी के आदेश का पूर्ण अनुशासन से पालन कर अपने लिए जो दिशा तय की, वह उस समय चल रही व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए थी। भगिनी के जीवन में एक विशेष बात है कि उनका जन्म तो यूरोप में हुआ था, परंतु उन्होंने अपने मानस को संपूर्ण रूप से बदलते हुए अपने आप को भारत के साथ एकाकार किया। विदेश में जन्मे एक व्यक्ति ने अपनी भक्ति के बल पर यह किया है तो क्या हम करोड़ों भारतवासी आज की तारीख में स्वतंत्र देश में अपनी भक्ति इतनी नहीं बढ़ा सकते कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति का जीवन भारत के साथ तन्मय हो जाए? यह हमारा कर्तव्य बनता है और भगिनी निवेदिता हमारे सामने आदर्श के रूप में हैं। हमें उनके जीवन का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए।
श्री भागवत ने कहा कि निवेदिता कहती थीं कि भारत की सभी समस्याओं के मूल में भारत को अपने भारतपन का अहसास न होना है। भारत की जनता को इसका अहसास कराना होगा, क्योंकि भारत और भारतीयता का, भारत व आध्यात्मिकता का अटूट संबंध है। इसलिए भारत को कोई मिटा नहीं सकता। इस राष्टÑीयता के धर्म को निभाना है तो अपना सारा स्वार्थ त्यागना होगा। देश को अखंड बनाना है तो धर्म, संप्रदाय के नाम पर होने वाली हिंसा को समाप्त करना होगा। देश के लिए आपसी मतभेदों को भूल कर कार्य करना होगा।
उन्होंने रविंद्र नाथ ठाकुर के एक वक्तव्य का उदाहरण देते हुए कहा कि रविंद्र नाथ कहते थे कि विदेशी सोचते हैं कि भारत के हिन्दू-मुसलमान हमेशा ऐसे ही लड़ते रहेंगे, ऐसा नहीं है। एक दिन वे इसका रास्ता निकाल लेंगे और वह रास्ता हिन्दुत्व का ही रास्ता होगा। हिन्दू और मुसलमान आपसी सहमति से भारत को श्रेष्ठ बना सकते हैं।
‘ग्राम विकास के कार्यों को गति देगा संघ’
गत दिनों भोपाल में अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की रा.स्व.संघ के तीन दिवसीय बैठक संपन्न हुई। कार्यक्रम के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैयाजी जोशी ने पत्रकारों से संवाद के दौरान बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णयों की जानकारी दी। इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ़ मनमोहन वैद्य भी उपस्थित रहे। इस दौरान श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ की दो तिहाई शाखाएं गांव में और एक तिहाई नगरों में चलती हैं। चूंकि भारत में लगभग 60 प्रतिशत समाज गांव में बसता है। वर्तमान परिस्थितियों में ग्रामीण परिवेश के समक्ष अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं। इसलिए संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में शाखाओं के माध्यम से गांवों में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। गांव में समरसता की बड़ी चुनौती है। संचार माध्यमों की उपलब्धता के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में सही और उपयोगी जानकारियों का अभाव है। गांव में सही जानकारी और सही दृष्टिकोण पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में ग्राम विकास और कुटुंब प्रबोधन के विषय में विचार-विमर्श कर कार्य योजना बनाई गई है। पिछले कुछ समय से गांव और किसान अनेक प्रश्नों से जूझ रहे हैं। संघ का विचार है कि किसान को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए। किसानों के प्रश्नों को समझकर उनके अनुकूल नीति सरकार को बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में कृषि के संबंध में भी विचार किया गया है। संघ प्रयास करेगा कि किसान जैविक खेती की ओर लौटें। संघ ने इस दिशा में कुछ योजना बनाई है। किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार को नीति बनानी चाहिए। प्रतिनिधि
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