|
अशोक नागपाल निर्यातक और समाजसेवी हैं। वे बिना किसी सरकारी सहयोग के एक अस्पताल चलाते हैं, जिसमें गरीबों का 5 रुपये में इलाज किया जाता है और दवाएं भी मुफ्त में दी जाती हैं
नाम : अशोक नागपाल (63 वर्ष)
व्यवसाय : होम फर्निशिंग वस्तुओं के उत्पादक एवं निर्यातक
प्रेरणा : बहन का सहयोग बना प्रेरणा
अविस्मरणीय क्षण : सपना साकार होने के बाद मिलने वाली खुशी
नागार्जुन
हरियाणा के पानीपत में रहने वाले अशोक नागपाल पेशे से निर्यातक हैं। वे ‘जनसेवा अस्पताल’ के संचालक हैं, जहां गरीबों का पांच रुपये में इलाज और दवाएं मुफ्त दी जाती हैं।
इस अस्पताल के निर्माण के पीछे एक कहानी है। नागपाल की बहन अमेरिका में डॉक्टर हैं और 46 वर्षों से वहीं जनसेवा कर रही हैं। कुछ साल पहले पता चला कि वह अपनी संपत्ति यूनिसेफ को दान देना चाहती हैं। नागपाल ने बहन को समझाया कि उन्हें डॉक्टर बनाने में भारत सरकार का भी योगदान है। अत: संपत्ति यूनिसेफ को देने की बजाय वे इस राशि से देश में एक अस्पताल बनवाएं जिसमें गरीबों का मुफ्त इलाज हो। करीब डेढ़ साल तक समझाने के बाद वे तैयार हुर्इं, पर शर्त जोड़ दी कि अस्पताल का संचालन नागपाल ही करेंगे। इसके बाद पानीपत के मॉडल टाउन औद्योगिक क्षेत्र में 22,000 वर्ग फुट जमीन खरीद कर 2007-08 में अस्पताल का निर्माण शुरू हुआ और दो साल में यह बनकर तैयार हो गया। 15 बिस्तरों वाले अस्पताल ने 2010 से काम करना शुरू किया। इसमें करीब 250 मरीजों की ओपीडी हैं, जिनमें बाल एवं स्त्री रोग का इलाज किया जाता है। यहां प्रसूताओं का सिजेरियन आॅपरेशन मात्र 3,000 रुपये में होता है। इसी में एनेस्थीसिया और दवाएं भी शामिल होती हैं। अन्य अस्पतालों में यह राशि 30-40 हजार रुपये होती है। दवाओं पर खर्च अलग से होता है। अस्पताल पर मासिक 6-7 लाख व सालाना करीब 80 लाख रुपये का खर्च आता है। इस साल 1 नवंबर से अस्पताल में 18 से 60 साल के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का भी इलाज शुरू होगा।
इस काम में काफी मुश्किलें आर्इं और अभी भी आ रही हैं। लेकिन इरादे नेक हों तो रास्ते भी निकल ही आते हैं। अभी जो समस्या सामने है, उसका भी कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा।
अशोक नागपाल कहते हैं, ‘‘2014 में भारत सरकार से नोटिस मिला, जिसमें एफसीआरए नंबर मांगा गया। बैंक से पता चला कि विदेश से आर्थिक मदद लेने के लिए एफसीआरए जरूरी होता है तो इसके लिए आवेदन दिया। इसके बाद जांच हुई। हालांकि जांच में कोई गड़बड़ी तो नहीं मिली, पर विदेश से पैसे मंगाने पर रोक लगाने के साथ बहन से जो राशि मिली थी, उस पर पांच फीसदी यानी 70 लाख रुपये जुर्माना भी लगा दिया गया। अब मैं गरीब बच्चियों के लिए नर्सिंग कॉलेज शुरू करना चाहता हूं ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। इसके लिए दो साल पहले सरकार से मंजूरी मांगी थी, पर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।’’ ल्ल
टिप्पणियाँ