अंधेरी गलियों की ‘प्रेरणा’
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अंधेरी गलियों की ‘प्रेरणा’

by
Oct 16, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 16 Oct 2017 14:57:50

प्रीति पाटकर की संस्था बीते 28 वर्षों से मुंबई के देह व्यापार कर्मियों के बच्चों का भविष्य संवारने की दिशा में काम कर रही है। उनकी संस्था  इन बच्चों को शिक्षित करने के साथ उन्हें रोजगार भी उपलब्ध करा रही है

 

नाम : प्रीति पाटकर (53 वर्ष)
कार्य : बच्चों और महिलाओं के यौन शोषण के विरुद्ध कार्यरत
अविस्मरणीय क्षण: देह व्यापार क्षेत्र देखने के बाद महसूस हुई बेचैनी
अविस्मरणीय क्षण: देह व्यापार क्षेत्र देखने के बाद महसूस हुई बेचैनी

उनका नाम उनके काम से सामंजस्य रखता है। वे टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज से गोल्ड मेडलिस्ट हैं और 28 वर्षों से उनका जीवन सामाजिक कार्य के लिए समर्पित है। प्रीति पाटकर की संस्था ‘प्रेरणा’ समाज की उन अंधेरी गलियों में उजाला लाने का प्रयास कर रही है, जिन्हें कोढ़ की तरह छिपाया तो जाता है, लेकिन उनका अस्तित्व सदा बना रहता है।
मुंबई में देह व्यापार कर्मियों के बच्चों के लिए प्रीति स्नेहमयी और उनका शोषण करने वालों के लिए पाषाण की तरह कठोर हैं। उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए दुनिया का पहला ‘नाइट केयर सेंटर’ शुरू किया। ऐसे बच्चों के लिए उन्होंने शिक्षा और रोजगार देने की योजना भी शुरू की। इसी तरह बच्चों की तस्करी रोकने और एड्स पीड़ित बच्चों के लिए भी वे बरसों से अभियान चला रही हैं। बच्चों और महिलाओं के शोषण के विरुद्ध प्रीति भारत में सर्वाधिक कानूनी हस्तक्षेप करने वाली और याचिका दाखिल करने वाली महिला हैं। प्रीति बताती हैं कि 1986 में देह व्यापार क्षेत्र की एक झलक देखकर उनका सिर चकराने लगा। वहां के बच्चों की दुर्दशा के बारे में प्रीति बताती हैं कि 5 से 7 साल के बच्चे सड़क पर भीख मांगते घूमते हैं। किशोरावस्था में पहुंचते-पहुंचते ये लड़के देह व्यापार की दलाली करने लग जाते हैं, जबकि कुछ अपराध की दुनिया की ओर मुड़ जाते हैं। हालांकि हालात अब पहले जैसे नहीं हैं। ‘प्रेरणा’ ने अब तक ऐसे 10,000 से अधिक बच्चों की मदद की है। वे कहती हैं, ‘‘पढ़ाई के नौकरी का ख्याल उस दिन छूट गया, जब देह व्यापार क्षेत्र के बच्चों पर मेरी नजर पड़ी। मैं यह देखकर विचलित थी कि कैसे एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां देह व्यापार के दलदल में फंसी हुई थीं और अगली पीढ़ी पर दलालों की नजर थी।’’ एक अनुमान के अनुसार, भारत में 3 से 5 लाख बाल वेश्याएं हैं। प्रीति अपना अनुभव बताते हुए कहती हैं, ‘‘देह व्यापार में फंसी महिलाएं अपने बच्चों को इस भंवर से बाहर निकालना चाहती हैं, पर उनके पास या तो विकल्प नहीं होते हैं या बहुत सीमित होते हैं।
‘प्रेरणा’ इन बच्चों की पढ़ाई, भोजन से लेकर व्यवसाय तक की व्यवस्था करती है। संस्था के सदस्य प्रतिदिन इन क्षेत्रों में जाते हैं और ऐसे बच्चों का पता लगाकर उन्हें ले आते हैं। वे कहती हैं, ‘‘हम अपने कार्य से जुड़ी जानकारियां दूसरे संगठनों से साझा करते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग सहयोग के लिए आगे आएं व हमारे अनुभवों से लाभान्वित हों।’’    
– प्रस्तुति: प्रशांत बाजपेई

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