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पाञ्चजन्य के पूर्व संपादक और सांसद रह चुके तरुण विजय देश के पहले राजनेता हैं जो बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर हिन्दू रोहिंग्या शरणार्थियों से मिलने गए। उनके द्वारा भेजा गया यह फोटो फीचर हिन्दू शरणार्थियों की वेदना और वस्तुस्थिति दर्शाता है।
तरुण विजय
बांग्लादेश में चटगांव के पास कॉक्स बाजार है जो विश्व में सबसे लंबे सागर तट (121 किमी) के लिए प्रसिद्ध है। यहां से 50 किमी दूर है उखिया गांव जहां म्यांमार से आए मुस्लिम और हिंदू शरणार्थी शिविर हैं। मुस्लिम शरणार्थी प्राय: सात लाख हैं। पंजीकृत हिंदू शरणार्थी 523 हैं, पर काफी बड़ी संख्या में उनका पंजीकरण अभी बाकी है।
मुस्लिम शरणार्थी अराकान की पहाड़ियों में म्यांमार को बांट कर अलग रखाइन देश बनाना चाहते हैं। म्यांमार के बौद्ध मानते हैं कि अराकान पहाड़ियों में रहने वाले रोहिंग्या कभी म्यांमार के हुए ही नहीं। उनकी आतंकी एवं विद्रोही गतिविधियों के विरुद्ध म्यांमार सेना की कार्रवाही के कारण मुस्लिम पलायन पर विवश हुए। पर हिंदुओं को अपना क्षेत्र क्यों छोड़ना पड़ा? उसका कारण यह है कि सीमा क्षेत्र के गांवों में म्यांमार की सेना की पहुंच नहीं होने से मुस्लिम अलगाववादी हिंदुओं को लूटने-मारने लगे। सैकड़ों हिंदुओं को उनके बच्चों, परिवारजन के सामने मार कर दफन कर दिया। स्त्रियों को अपहृत कर उनका कन्वर्जन किया। अपनी जान और धर्म को बचाने हिंदू बांग्लादेश आए तो यहां भी शरणार्थी शिविरों में अतिवादी मुस्लिम हिन्दू स्त्रियों पर बुर्का पहनने व निकाह के लिए दबाव डालते हैं। हिन्दू स्त्रियां सिंदूर लगाने से भी डरती हैं। जिस दिन हम गए उससे एक सप्ताह पहले दो हिंदू युवकों का अपहरण हो गया था। एक का शव अगले दिन मिला, पर दूसरे का पता नहीं।
हमारे साथ बांग्लादेश हिंदू महाजोट के अध्यक्ष श्री गोविंद प्रमाणिक, ढाका जिला अध्यक्ष डॉ. मिठू डे व अन्य कार्यकर्ता भी थे। जो भी हमारे पास था, हमने सहायता रूप में शरणार्थियों को दिया। उनकी वेदना कथा सुनी नहीं गई। उत्सवों में व्यस्त भारत के हिंदू अपने ही धर्म बंधुओं की इस कारुणिक स्थिति के बारे में कितने संवेदनशील हैं? हां, ढाका में भारतीय उच्चायुक्त श्री हर्षवर्द्धन श्रींगला को जब हमने यह जानकारी दी तो उन्होंने तुरंत दो वरिष्ठ राजनयिक अधिकारी अगली सुबह शिविरों में भेजे, सहायता दी और चटगांव स्थित भारतीय वाणिज्य दूत को कहा कि वे हिंदू रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भारत से जो भी मदद जा रही है, उसका सही एवं पक्षपातरहित वितरण सुनिश्चित करें।
रोहिंग्या हिंदू म्यांमार के प्रति देशभक्त हैं, विखंडन नहीं चाहते व वापस लौटना चाहते हैं। भारत सरकार निश्चय ही म्यांमार से बात कर उनकी सुरक्षित वापसी की व्यवस्था में मदद करेगी, ऐसा उन्हें विश्वास है।
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