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3 सितम्बर, 2017
आवरण कथा ‘मामला दिल का नहीं है’ का स्पष्ट सार है कि लव जिहाद के पीछे एक बहुत बड़ी साजिश है। इसका एकमात्र उद्देश्य है देश में जनसांख्यिक परिवर्तन लाना। इस षड्यंत्र से हिंदू समाज को अवगत कराना बहुत जरूरी है। यह काम पाञ्चजन्य कर रहा है, पर इसमें गति लाने की आवश्यकता है। जहां पाञ्चजन्य नहीं पहुंचता है वहां भी इस मुद्दे को कारगर तरीके से उठाने का प्रबंध होना चाहिए।
—रामावतार, नेहरू प्लेस (नई दिल्ली)
ङ्म पूरे देश में लव जिहाद चलाया जा रहा है। इसके पीछे आंतरिक और बाहरी दोनों ताकतें काम कर रही हैं। ये ताकतें लव जिहाद में संलग्न लड़कों को हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं। लेकिन देश का सेकुलर वर्ग लव जिहाद के अस्तित्व को ही नहीं स्वीकार रहा है। इस कारण हिंदू समाज में दुविधा है। इस दुविधा को खत्म करने के लिए हर स्तर पर कार्य करना चाहिए।
—मनोज सक्सेना, रामपुर (उ.प्र.)
ङ्म कुछ लोग कहते हैं कि प्यार मजहब नहीं देखता है। ऐसे लोग बताएं कि क्या प्रेम संबंध एकतरफा होते हैं? यदि नहीं तो हिंदू लड़कियां ही मुसलमान क्यों बन रही हैं? साफ है कि प्यार के नाम पर लड़कियों के साथ धोखा किया जा रहा है। धोखे से निकाह करके उसे मतांतरित जीवन जीने को मजबूर किया जाता है। ऐसे अनेक उदाहरण आज देश के सामने हैं।
—श्याम गर्ग, पंजाबी बाग (नई दिल्ली)
अपनों को अपनाना होगा
पिछले दिनों झारखंड सरकार ने कन्वर्जन को रोकने के लिए एक कानून बनाया है। झारखंड सरकार का यह कार्य प्रशंसनीय है। चर्च की देखरेख में पूरे झारखंड में कन्वर्जन हो रहा है। आज से 10 साल पहले जिन गांवों में एक भी ईसाई नहीं होता था, उनमें अनेक ईसाई हो चुके हैं। वहां लोभ-लालच से कन्वर्जन कराया जा रहा है। इन्हें रोकना आवश्यक है।
—भूदेव मांझी, रामगढ़ (झारखंड)
ङ्म चाहे ईसाई हों या मुसलमान, ये दोनों ही हिंदू समाज को कमजोर करने के लिए कन्वर्जन कराने में लगे हैं। इसके लिए बहुत हद तक हिंदू समाज भी दोषी है। कुछ हिंदुओं को छोड़ दें तो शेष हिंदू समाज को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि कौन ईसाई बन रहा है या मुसलमान। अपने समाज के उपेक्षित वर्ग के उद्धार के लिए हिंदुओं को आगे आना ही होगा।
—शशिकांत, भोजपुर (बिहार)
पाञ्चजन्य का धर्म
पृष्ठ 32 पर ‘वनवासी समाज पर चर्च की नजर’ शीर्षक से एक रपट प्रकाशित हुई है। इसके साथ एक चित्र है, जिसके परिचय में लिखा गया है, ‘‘पिछले दिनों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कांचा इलैया ने अपनी पुस्तक ‘हिंदुत्व-मुक्त भारत’ का विमोचन सेकुलर नेता शरद यादव से कराया।’’ यह कार्यक्रम कब हुआ, उसकी तारीख भी होती तो और अच्छा होता। कांचा इलैया के बारे में थोड़ी जानकारी भी देनी चाहिए थी। हिंदुओं को पता तो लगे कि कुछ लोग कैसे-कैसे सपने देख रहे हैं। देश में अनेक ऐसे लोग हैं, जो नाम से हिंदू लगते हैं, लेकिन वे असल में हिंदू-विरोधी होते हैं। इन लोगों का एक ही मकसद होता है देश-विदेश में हिंदू विरोधी अभियान चलाना। ऐसे लोगों
और उनके आकाओं को बेनकाब करना पाञ्चजन्य का धर्म है।
—बी.एल. सचदेवा, 263, आई.एन.ए. मार्केट (नई दिल्ली)
शफीन कहां से लाता है पैसा!
लव जिहाद का जो मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा है, वह गंभीर है। इस मामले का आरोपी शफीन केरल में सक्रिय अतिवादी संगठन पी. एफ.आई. से जुड़ा हुआ है और अत्यंत ही साधारण परिवार का है। उसकी आय उतनी नहीं है कि वह बड़े-बड़े वकीलों का शुल्क दे सकता है। लेकिन यह जानकर आश्चर्य होता है कि उसके मुकदमे की पैरवी कई बड़े वकील कर रहे हैं। ये वकील एक तारीख के लिए लाखों रुपए लेते हैं। सवाल उठता है कि शफीन वकीलों को पैसा कहां से देता है? साफ है कि उसकी मदद कोई संगठन या बड़ा आदमी कर रहा होगा। इसलिए यह मामला पूरी तरह साजिश का लगता है। कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच एन.आई.ए. से कराने का आदेश दिया था। इस आदेश को रद्द कराने के लिए शफीन के वकील कई बार सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं। शफीन ने हिंदू लड़की अखिला अशोकन से निकाह किया है। कहा जाता है कि निकाह से पहले अखिला ने इस्लाम कबूल कर लिया था। अखिला के माता-पिता का कहना है कि उसे जबरन मुसलमान बनाया गया था। इसी आधार पर केरल उच्च न्यायालय ने इस निकाह को रद्द कर दिया था। इसी के विरुद्ध शफीन सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा है। यदि शफीन पाक-साफ है और उसने अखिला के साथ कोई जबर्दस्ती नहीं की है तो उसको एन.आई.ए. जांच का सामना करना चाहिए, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहा है। इससे भी कई आशंकाएं उभरती हैं। इसलिए इस मामले की जांच होनी ही चाहिए। देश को पता तो चले कि लव जिहाद के नाम पर किस तरह की साजिशें हो रही हैं।
—सतीश मांडीवाल, ग्राम एवं पोस्ट – जलालगढ़, जिला-पूर्णिया (बिहार)
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