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‘‘हमारे समाज में विद्यमान सभी प्रकार के भेदभावों को निर्मूल करते हुए लोग समरसता के निर्माण में संलग्न हों, स्वस्थ समाज व सफल राष्टÑ के लिए सामाजिक समरसता प्रथम आवश्यकता है।’’ उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिया। वे गत दिनों राजस्थान में अपने छह दिवसीय प्रवास के दौरान जयपुर के भारती भवन में राजस्थान क्षेत्र के प्रचारकों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रचारक एक सामाजिक साधना का प्रकार है। उसे समाज में रहकर निर्लिप्त भाव से देश और समाज के हित के लिए कार्य करना होता है। संघ में प्रचारक वह होते हैं जो अपना घर-परिवार छोड़कर पूरी तरह से अपने आप को संघ कार्य में समर्पित कर देते हैं। जब तक वह प्रचारक हैं, तब तक उनको पूरा समय संघ की योजना के अनुसार बताए गए स्थान एवं कार्य में ही लगाना है। जो योजक का कार्य करके क्षेत्र में परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढालकर, सभी को साथ लेकर काम करते हैं, वह स्वयं का परिवार छोड़ समाज को ही अपना परिवार मानते हैं। श्री भागवत ने कहा कि हम अपने कार्य पर ध्यान देंगे तो हमारा उत्साह बढ़ता जाएगा। प्रवास के छठे दिन उन्होंने भारती भवन में ही बागरिया, नट, सांसी, कालबेलिया, बावरी, बंजारा, गाड़िया लोहार जैसी घुमंतू जातियों के मुखियाओं से मुलाकात की। इस दौरान इन जातियों के प्रमुखों ने विभिन्न समस्याओं से श्री भागवत को रू-ब-रू कराया। इस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि स्वयंसेवक वैसे तो सहयोग करते ही हैं लेकिन अब और गति से सहयोग करेंगे। साथ ही इन लोगों का आह्वान किया कि हमको स्वाभिमान के साथ अपने समाज में शिक्षा-संस्कार की व्यवस्था करते हुए दृढ़ता से कार्य करना है।
ल्लविसंकें, जयपुर)
संतों से मिलकर जाने सेवा कार्य
राजस्थान प्रवास के दौरान श्री मोहनराव भागवत ने विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे संतों से भेंट की और उनके द्वारा समाज में चलाए जा रहे सेवाकार्यों के बारे में चर्चा की। संतों से संवाद के दौरान उन्होंने समाज के पीड़ित, वंचित और निर्धन व्यक्तियों की सेवा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज में अभावग्रस्त बंधुओं के लिए सेवा कार्य अधिक कैसे बढ़ें, इस दिशा में हमें प्रयास करने होंगे। साथ ही संतों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सेवा कार्यों हेतु उनके प्रयास की सराहना भी की। इस दौरान अन्नक्षेत्र व चिकित्सा सेवा के लिए प्रसिद्ध सेवाकार्य चलाने वाले, सिंधी भाषी समाज के प्रेमप्रकाश आश्रम, अमरापुर स्थान के महंत श्री भगतप्रकाश जी महाराज, सद्संस्कारी जीवन का संदेश देने वाले सलेमाबाद के संत निम्बार्क संप्रदाय के अखिल भारतीय पीठाधीश्वर पूज्य श्रीजी महाराज और छात्रावास, गोशालाएं, औषधालय एवं विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करने वाले सांगलिया पीठ के युवा संत श्री ओमदास से भी भारती भवन में भेंट की।
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