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उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद परिवहन मंत्रालय ने राज्य के उन 3,000 से अधिक गांवों तक परिवहन की सुविधा पहुंचाने का काम किया है, जहां अब से पहले कभी बसें नहीं पहुंचीं थीं। राज्य के परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह से परिवहन के क्षेत्र में आए बदलावों और भविष्य की योजनाओं पर पाञ्चजन्य ने विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को जनता ने भारी जनमत दिया। जनाकांक्षाओं की सरकार बनी। यह आकांक्षाएं कितनी पूरी हुईं और सरकार का एजेंडा किस दिशा में है?
देखिए, उत्तर प्रदेश में जनसामान्य की इच्छा थी कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने और माननीय योगी जी मुख्यमंत्री बनें। सरकार बनने के बाद सौ दिन के भीतर ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। पहला, किसानों की कर्ज माफी का ऐतिहासिक निर्णय। लेकिन सरकार के सामने संकट भी था कि यह पैसा देंगे कहां से? इसका भुगतान कैसे होगा। क्योंकि कोई भी बैंक लोन देने को तैयार नहीं था। क्योंकि पिछली सरकार में उत्तर प्रदेश की छवि खराब हुई। हम पहले से घाटे में चल रहे थे। दूसरा, 15-20 साल में राज्य में जितनी भी सरकारें रहीं, चाहे वह बसपा की से या सपा की, सभी ने शोषण करने का ही काम किया। लेकिन योगी सरकार आने के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में सभी मंत्रियों को ‘होमवर्क’ दे दिया गया कि क्या-क्या लक्ष्य पूरे करने हैं। अब जो रिपोर्टिंग आ रही है, उसमें स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि मंत्रियों ने अंदर अपने-अपने विभागों में बहुत काम पूरा किया है। खुद योगी जी रात-दिन जनता की सेवा में लगे हुए हैं।
आपने अपने मंत्रालय के लिए क्या पहला बड़ा लक्ष्य लिया था?
मेरा पहला लक्ष्य यह था कि मैं सभी बस अड्डों को वाईफाई करूंगा। उसमें हमें सफलता मिली और लगभग 65 बस अड्डों को वाईफाई कर दिया गया है। दूसरा, यात्रियों को शुद्ध पानी पीने को मिले। इसके लिए मैंने कई जनपदों में ‘वाटर एटीएम’ लगाए। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग ने 11 बिंदुओं का चयन किया और तय किया कि हमें 100 दिन के भीतर इन बिन्दुओं पर कार्य करके निर्णय देना है। इसमें उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच यात्रियों के बीच आवागमन को लेकर महत्वपूर्ण करार था। हमने ऐसे ही 11 राज्य चिह्नित किए थे, जिनके साथ करार करना था। इन समझौतों का मूल उद्देश्य यही था कि इन सभी राज्यों सें एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में यात्री आएं। अभी तक ये समझौते लंबित चले आ रहे थे। जैसे हरियाणा में आठ साल से लंबित था। राजस्थान में करीब 5 साल से यह समझौता लंबित था। हमने राजस्थान सरकार से बात की और वे करार के लिए तैयार हुए और समझौता हुआ। इससे फायदा यह होगा कि जहां यात्रियों की संख्या में करीब 3.5 करोड़ का इजाफा होगा तो वहीं होटल आदि व्यवसायों उद्योगों को लाभ होगा। दूसरा, उत्तर प्रदेश में मोदी जी और योगी जी का सपना है कि राज्य के सभी गांवों तक परिवहन सुविधा हो। क्योंकि गरीब लोगों के पास व्यक्तिगत वाहन नहीं होते, गांव से अधिक दूरी की वजह से उन्हें ट्रेन पकड़ने में समस्याएं होती हैं। इसलिए उनके गांव के नजदीक ही साधन मिले जहां से वे दिल्ली, लखनऊ आ और जा सकें। इसे देखते हुए मैंने वर्तमान परिवहन व्यवस्था के तहत ही नई बसें न खरीदते हुए राज्य के लगभग तीन हजार से अधिक गांवों को परिवहन व्यवस्था से जोड़ने का काम किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पहली बार उत्तर प्रदेश में ट्विटर, फेसबुक के माध्यम से सीधा संवाद हुआ और उसके जरिए सैकड़ों समस्याओं का तत्काल हल हुआ। इस सबके चलते परिवहन विभाग का सम्मान बढ़ा।
परिवहन विभाग से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए ट्विटर या अन्य सोशल साइट्स पर फॉलोअप करने के लिए कैसे कार्य करते हैं?
यह तीन-चार लोगों की टीम है जो पूरे तंत्र को आॅनलाइन व्यवस्था से जोड़े हुए है। शाम को मैं स्वयं इसकी निगरानी करता हूं और जरूरत समझने पर कुछ लोगों से सीधे फोन से भी बात करता हूं। साथ ही बसों में र्इंधन की खपत कम हो, इसके लिए फास्ट ट्रैक की व्यवस्था की जिसके कारण डीजल की बचत हो रही है।
फास्ट ट्रैक क्या कोई सिस्टम है?
हां। दरअसल टोल टैक्स पर गाड़ियां खड़ी होती हैं, जिससे र्इंधन की खपत होती है। इसके लगने से टोल टैक्स से हमारी गाड़ियां सीधे निकल जाएंगी, इससे र्इंधन ज्यादा जलेगा नहीं और डीजल की बचत होगी। दूसरी बात, आॅटोमेटेड फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम 73 डिपों में लगना शुरू हो गया है, जिसके कारण अब कोई डीजल चोरी नहीं कर सकता। और न ही डीजल निकाल सकता है। इससे भी डीजल की बचत होगी। कुल मिलाकर परिवहन की जो सामान्य समस्याएं थीं, जिसके चलते विभाग के कदम ठिठके हुए थे, हमने इतने दिनों में उन्हें ठीक करने का काम किया है।
रात के समय परिवहन की क्षमता आधी रह जाती है। ऐसे में यात्री सुरक्षा के अभाव में यात्रा करने से बचते हैं। ऐसी स्थिति में राज्य कैसे आगे बढ़ेगा, जब रात में सड़कों पर चलने में लोग डरेंगे?
उत्तर प्रदेश सरकार का प्रशासन को स्पष्ट निर्देश है कि वह राज्य में प्रशासनिक व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त करते हुए माहौल को भय रहित बनाए। लेकिन एक पूरी तरह बिगड़ी हुई व्यवस्था को लाइन पर लाने में कुछ समय तो लगेगा ही। अभी शुरुआत है लेकिन आगे चलकर सब ठीक हो जाएगा। रही बात परिवहन से जुड़े अपराधों कीं तो जो घटनाएं होती थीं, उसमें कुछ स्थानीय अपराधी किस्म के लोग कट्टा दिखाकर लोगों को भयभीत करते थे। लेकिन अब ऐसी वारदातों पर नियंत्रण हुआ है। आने वाले समय में केन्द्र सरकार से जो राशि हमें मिली है, हम उससे प्रत्येक बस में सीसीटीवी कैमरा लगाएंगे। इससे इस तरह की हरकतों पर लगाम लगेगी।
परिवहन विभाग के बारे में माना जाता है कि यह विकास को जमीन पर उतारने वाला विभाग है लेकिन उसके बाद यह भी माना जाता है कि बहुत भ्रष्ट भी है। केन्द्र में परिवहन मंत्री कहते हैं कि आरटीओ सबसे भ्रष्ट हैं। आप उनसे सहमत हैं क्या?
इसमें कोई दोराय नहीं है कि परिवहन विभाग में आरटीओ विभाग की स्थिति बहुत ही खराब थी। लेकिन राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद ओवर लोडिंग पर नियंत्रण हुआ और डग्गामार वाहनों पर नियंत्रण लगा है। यह हिंदुस्थान का पहला राज्य है जहां परिवहन को इस तरह से प्रतिदिन चार करोड़ रुपए की बचत होती है। इसके चलते परिवहन व्यवस्था जहां चुस्त-दुरुस्त हुई, वहीं बसों का समय से संचालन हो रहा है। और अब कोई भी आरटीओ मेरे पास स्थानांतरण के लिए नहीं आ रहा। दरअसल व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं चाहता। लेकिन प्रशासन व्यवस्था अच्छी मांगते हैं। अधिकारी केवल आठ दस जिलों- लखनऊ के नजदीक, बाराबंकी, उन्नाव, रायबरेली और कानपुर देहात, नोएडा, गाजियाबाद इसके अलावा कहीं भी जाने को तैयार नहीं थे। पर अब कहते हैं कि हमें कहीं भेज दो तो अब हमें लगता है कि परिवहन विभाग में सुधार शुरू हो गया है।
केन्द्र में भाजपा की सरकार आने के बाद पिछले साल हल्ला मचा था कि वह बहुत असहिष्णु है। पर यहां तो आप एक दूसरी तस्वीर दिखा रहे हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में आप बहुत असहिष्णु हैं?
(हंसते हुए) देखिए, भ्रष्टाचार को समाप्त करना मोदी जी और योगी जी का सपना है। न खाएंगे, न खाने देंगे। न सोएंगे, न सोने देंगे। इसलिए भ्रष्टाचार के रास्तों को बंद करना हम सभी की जिम्मेदारी है। और अगर भ्रष्टाचार रुकेगा तो विकास होगा और रुपए की
बचत होगी। अच्छा ये तो शुरुआती महीनों की बात हुई, एक साल का क्या लक्ष्य है?
मैं प्रदेश के अंदर परिवहन व्यवस्था बिल्कुल सुदृढ़ करने के साथ प्रत्येक क्षेत्र को डिजिटल करना चाहता हूं। इससे भ्रष्टाचार खत्म होगा और लोगों को राहत मिलेगी। दूसरी बात, परिवहन की बसें गांव-गांव तक पहुंचें, क्योंकि अभी भी बहुत से गांव हैं जहां मीलों पैदल चलने के बाद बसें मिलती हैं। हमारा लक्ष्य ऐसे गांवों को जल्द से जल्द परिवहन से जोड़ना।
आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सरकार ने क्या बड़े कार्य किए उस प्रतिफल का आकलन प्रदेश से होना है। परिवहन विभाग के तौर पर आपको लगता है कि जनता की आकांक्षाएं लोकसभा चुनाव तक बहुत हद तक पूरी कर देंगे?
हां। हमें तो लगता है कि हम अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल होंगे। क्योंकि मैं जनमानस से जुड़ा हुआ हूं और माननीय योगी जी का सपना है। वे भी आग्रह करते हैं कि लोगों को आने जाने की सुविधा हो। यात्रा सुलभ-सुगम हो और किसी को परेशानी न हो। दुर्घटनाएं भी न हों। हम इन सब बातों का ध्यान रखकर लगे
हुए हैं।
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