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हरियाणा के फतेहाबाद में 10 सितंबर को घुमंतू, अर्द्धघुमंतू और टपरीवास जातियों का 66वां राज्य स्तरीय समारोह आयोजित हुआ। इसमें इन जातियों के हजारों लोगों ने अपनी परंपरागत वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के साथ भाग लिया। इस समाज के लोगों का कहना था कि यह सम्मेलन उनके भविष्य के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। समारोह के मुख्य अतिथि थे राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल। उनके साथ घुमंतू बोर्ड के अध्यक्ष दादा भीखूराम इदातेे और अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में इन जातियों का बड़ा योगदान रहा है। इन बहादुर जातियों ने कभी भी अंग्रेजों के सामने सिर नहीं झुकाया। इससे नाराज होकर अंग्रेजों ने 1871 में आपराधिक कानून बनाकर घुमंतू जातियों को अपराधी घोषित किया था। सरदार पटेल की पहल पर 21 अगस्त, 1952 को इस कानून को खत्म करके इन जातियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया गया। तब से यह दिवस 'विमुक्त दिवस' के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने 2015 में पानीपत में आयोजित कार्यक्रम में जो घोषणा की थी, उसके मद्देनजर 2016 में इस समाज के लिए एक सलाहकार समिति बनाई गई थी। समिति की सिफारिशों को गंभीरता से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी 22 जिलों में अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए 44 छात्रावासों का निर्माण करवाया जाएगा, जिनमें घुमंतू जातियों के बच्चों को भी समायोजित किया जाएगा। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घुमंतू जातियों के 9,920 बेघर परिवारों को घर दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि हरियाणा आवास बोर्ड द्वारा अब तक 15,072 मकान उपलब्ध कराए जा चुके हैं। उन्होंेने लोगों का आह्वान किया कि वे शगुन योजना, उज्ज्वला योजना, अंतरजातीय विवाह, मेधावी छात्र योजना, सिलाई प्रशिक्षण आदि सरकारी योजनाओं में बराबरी की भागीदारी बनाकर उन्हें मजबूत बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग 30 अक्तूबर से 20 नवबंर तक मतदाता सूची बनाने के लिए विशेष अभियान चलाने वाला है। इन जातियों के लोगों को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए जागरूक करें। उन्होंने यह भी बताया कि जोगी, जंगम, रैबर, मनियार और बंजारा जाति को टपरीवास जाति की श्रेणी में शामिल कराने के लिए राज्य सरकार अपनी रपट भारत सरकार को भेजेगी।
दादा भीखूराम इदातेे ने कहा कि ये लोग देश की संस्कृति और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपनी जान भी न्योछावर कर देते थे। इन्होंने अपने धर्म और देश की आन-बान-शान की रक्षा और रोजी-रोटी के लिए कभी भी बेटी-चोटी नहीं कटाई। इसी कारण ये पहले मुगल शासकों और फिर अंग्रेजों की आंखों की किरकिरी बनते रहे। घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. बलवान सिंह ने कहा कि इन जातियों की जनसंख्या लगभग 15 करोड़ है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में विमुक्त और अर्द्ध घुमंतू जातियों के लिए सरकारी नौकरियों में 11 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान है। उम्मीद है कि अब सभी राज्य सरकारें इसके लिए प्रयास करेंगी। सम्मेलन को राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, कविता जैन, सुभाष बराला आदि ने भी संबोधित किया। -डॉ. गणेश दत्त वत्स
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