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गत दिनों श्री गुरु गोबिंद सिंह महाराज का 350वां प्रकाशोत्सव हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के महामृत्युंजय हॉल में मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह श्री वी.भागैया ने कहा कि जब-जब देश पर संकट आया, तब-तब हमारे महान गुरुओं ने आगे बढ़कर इसका समाधान निकाला। गुरुओं ने समाज की विपदाओं को अपने ऊपर लेते हुए समस्त समाज और राष्ट्र की रक्षा करने का काम किया। गुरु साहिब की महान प्रेरणा, मीरी-पीरी एवं संगत और पंगत ने देश को एक किया, यह अपने आप में एक मिसाल है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने देश को एक धागे में पिरोने के लिए देश के कोने-कोने से संगतों को बुलाकर खालसा पंथ की स्थापना की। ऐसे महान गुरुओं को युगोें-युगों तक याद रखा जाएगा। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाए रखने में श्री गुरु गोबिंद सिंह महाराज का अमूल्य योगदान रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा कि श्रेष्ठ मनुष्य की तीन अवस्थाएं होती हैं। संत, सुधारक और शहीद। गुरु गोबिंद सिंह महाराज इन तीनों गुणों का समन्वित रूप थे। उन्होंने धर्म, संस्कृति और मानव सेवा तथा राष्ट्र के लिए पूरे परिवार तक का बलिदान कर दिया। डॉ. पंड्या ने घोषणा की कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय में निकट भविष्य में विद्यार्थियों को गुरु गोबिंद सिंह जी से संबंधित पाठ्यक्रम को पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। इस अवसर पर राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय महामंत्री(संगठन) श्री अविनाश जायसवाल, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अवतार सिंह शास्त्री सहित विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्यजन उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
'हमारे पास है ज्ञान का अपार भंडार'
''अनुसंधान के माध्यम से चीजें आसान एवं तथ्यपरक होती हैं। हमारे वेद, उपनिषद्, सभी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं। जो बातें आज अनुसंधान के बाद कही जा रही हैं, वह हमारे वेदों में कई सौ साल पहले लिखी गई थीं। हमारे वेदों ने सब कुछ दिया है, बस उसे पढ़ने की जरूरत है।'' उक्त बातें स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान के कुलाधिपति डॉ. एच़ आर. नागेंद्र ने कहीं। वे गत दिनों नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय एवं भारतीय शिक्षण मंडल के भारत बोध केंद्रित संवाद-व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे पास ज्ञान का भंडार है। बस अपने ज्ञान को समझने की जरूरत है। न्यूटन के सिद्धांत को समझने से पहले हमें अपने ज्ञान-विज्ञान को समझना होगा, क्योंकि न्यूटन से सैकड़ों साल पहले हमारे यहां गुरुत्वाकर्षण के बारे में बताया गया है। इसलिए हमें अपने विश्वास को पुन: जाग्रत करने के लिए वेदों का गहन अध्ययन करना होगा। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि भारत बोध व्याख्यान शृंखला को न सिर्फ पूरे देश में बल्कि दूसरे देशों में भी ले जाने का लक्ष्य है। हम इसे कॉलेजों के बाहर आम लोगों तक ले जाएंगे ताकि व्याख्यान के जरिए भारत का संपूर्ण बोध हो। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो से आने के बाद उनके कोलंबो से लेकर अल्मोड़ा तक जोरदार स्वागत हुआ था। स्वयं स्वामी जी ने रामेश्वरम से लाहौर के अपने भाषण में राष्ट्र बोध की ही बात बार-बार दोहराई थी। उन्होंने कहा कि जिस संस्कृति को दबाया जाता है, वह बाद में उभर कर पुन: स्थापित होती है। आज यही हो रहा है। इस मौके पर उपस्थित केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने डिजिटल पाठयक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि दुनिया को याद करते समय भारत को जरूर याद रखें। (इं.वि.सं.के., दिल्ली)
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