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डोकलाम विवाद चीन की शरारत का हिस्सा है और उसने एक नीति के तहत भारत को इसमें फंसाने का काफी प्रयास किया। लेकिन उसके मंसूबे कामयाब नहीं हो सके। यह सच है कि चीन इस समय वैश्विक स्तर पर दादागीरी को आतुर है, इसलिए आएदिन किसी न किसी देश से उलझता रहता है। वह चाहता है कि विश्व उसके नेतृत्व को स्वीकार करे। वहीं भारत की वैश्विक स्तर पर बढ़ती साख ने उसकी नींद उड़ा रखी है, इसलिए वह भारत को अनावश्यक विवाद में फंसाकर छवि खराब करना चाहता है।
—राममोहन चन्द्रवंशी, हरदा (म.प्र.)
विश्व राजनीति नए-नए रंग बदलती है। दक्षिण पूर्वी एशिया में कभी पाकिस्तान अमेरिका का विश्वस्त साथी था। पर आज वह चीन का हमदर्द बना हुआ है। लेकिन भारत के दोनों पड़ोसी देश दुश्मन से कम नहीं हैं। एक सीधे हमला करता है तो दूसरा पीछे से वार करता है। डोकलाम विवाद कुछ ऐसा ही है। लेकिन कोई कुछ भी कहे, पर सच यह है कि डोकलाम विवाद ने इस बार चीन की विश्व स्तर पर फजीहत कराई है।
—विमल नारायण खन्ना, कानपुर (उ.प्र.)
भारत के लोगों को अगर चीन की हेकड़ी को मिमियाहट में बदलना है तो उसे आर्थिक रूप से चोट पहुंचानी होगी। और चीन के बने सामान के बहिष्कार के प्रति समाज को जागरूक करना होगा, क्योंकि चीन अपनी आर्थिक समृद्धि के कारण
ही बार-बार डराने का काम करता है। लेकिन जिस दिन भारत के लोगों ने उसके बने सामानों का बहिष्कार करके उसे झूकने को मजबूर किया तो उस दिन विजय भारत की होगी।
—निकुंज श्रीवास्तव, लाजपतनगर (नई दिल्ली)
मीडिया पर उठते सवाल
लेख ‘अथ एनडीटीवी कथा’ उस चैनल की हकीकत को तथ्यों के साथ रखता है। अब यह जगजाहिर है कि एनडीटीवी एक एजेंडे के तहत मौजूदा सरकार के खिलाफ विषवमन करके समाज में सत्यता न लाकर भ्रम फैलाने का काम करता है। चैनल के मालिक टी.वी.पर बैठकर दूसरों से शुचिता और सत्यता की बात करते हैं लेकिन खुद फंसते हैं तो उसे ही
झूठा करार देने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं। क्या उन्हें कानून पर भरोसा
नहीं है या वे जान-बूझकर ऐसा तमाशा
करते हैं?
—मनोहर मंजुल, प.निमाड़ (म.प्र.)
निरर्थक विवाद
कुछ दिन से भारत के मुसलमानों के बीच चर्चा चल रही है कि हम भारत का राष्ट्रगान क्यों गाएं? वे इसी तरह वंदेमातरम् का भी विरोध करते हैं। इस दौरान मुल्ला-मौलवी ऐसे कुतर्क रखते हैं जिसका कोई अर्थ ही नहीं होता। और साथ ही कहते हैं कि हम हिन्दुस्थानी हैं। समाज ऐसे लोगों को पहचाने क्योंकि ऐसे लोग पहले राष्ट्रगान का विरोध करते हैं, जैसे ही इनका हौसला बढ़ता है फिर यही देश विरोध पर उतारू होते हैं।
—बी.एल.सचदेवा, आईएनए मार्केट (नई दिल्ली)
आक्रोशित करता हमला
‘सदियों से है अमरनाथ हमारी आस्था का केन्द्र (30 जुलाई, 2017)’ लेख बाबा अमरनाथ के ऐतिहासिक महत्व को बताता है। लेकिन कुछ दिन पहले अमरनाथ यात्रियों पर जो आतंकी हमला हुआ उसने देश को आक्रोशित कर दिया। लेकिन इसके बाद भी यात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ और उनको जवाब दिया जो मानते थे आतंकी हमला करने से यात्रा रुक जाएगी। उन्हें पता होना चाहिए इस तरह के हमले करने से श्रद्धा घटती नहीं बल्कि बढ़ती है।
—हरिहर सिंह चौहान, इंदौर (म.प्र.)
कुछ दिन से घाटी के अलगाववादियों की मुश्कें कसी हुई हैं। और वे अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। यह तब से हुआ जब से उनकी पोल खुली और केन्द्र की एजेंसी ने उन पर कड़ाई बरती। इससे पहले तो उनकी दामाद जैसी आवभगत होती थी लेकिन इस बार खुफिया एजेंसी की जांच कहर बनकर टूटी और कइयों को दबोचा। इसलिए वे घाटी के युवाओं को भड़का रहे हैं, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए अब हमारे सुरक्षा बल भी मुस्तैद हैं।
— दया वर्धिनी, सिकंदराबाद (तेलंगाना)
आवरण कथा ‘बोल गलत, तोल गलत’ से जाहिर होता है कि चीन एक तरफ भारत की ओर आंखें तरेर रहा है तो वहीं दूसरी ओर बाजार में अंधाधुंध माल भी झोंके जा रहा है। ऐसे में शत्रुता और व्यापार एक साथ कैसे चल सकते हैं। सोचें और बताएं कि क्या चीन को आर्थिक समृद्ध करके उससे युद्ध लड़ा जाएगा? चीन को जवाब देना ही है, तो चीनी सामानों का तत्काल बहिष्कार करना होगा। ऐसा होते ही चीन की हेकड़ी निकल जाएगी।
—आशुतोष अस्थाना, लखनऊ (उ.प्र.)
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