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16 जुलाई, 2017
आवरण कथा ‘पुरानी चाल, नई शरारत’ से ज्ञात हुआ कि चीन जान-बूझकर भारत से उलझने की कोशिश कर रहा है और एशिया में दंबगई के दम पर राज करना चाहता है। लेकिन भारत की कूटनीतिक सक्रियता ने न केवल उसके सत्ता गलियारों में बेचैनी पैदा की बल्कि विश्व स्तर पर यह संदेश दिया कि भारत हर समस्या का समाधान बातचीत से चाहता है, न कि युद्ध से। डोकलाम विवाद को देखते हुए विश्व ने भी भारत के सधे कदमों की प्रशंसा की और चीन की आलोचना। चीन को अब समझना चाहिए कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं होता है। इसलिए उसे बात-बात पर युद्ध की धमकी देनी बंद करनी चाहिए।
— राममोहन चन्द्रवंशी, हरदा(म.प्र.)
ङ्म यदि सभी भारतवासी ठान लें तो कुछ ही समय में चीन की हेकड़ी मिमियाहट में बदल सकती है। इसके लिए लोगों को एक होकर चीन निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार करना होगा। जिस दिन भी ऐसा हो गया, चीन मुंह के बल गिरेगा और उसका
सुर बदलते में देर नहीं लगेगी। इसलिए सरकार जो कर रही है, उसको
छोड़कर भारतीय समाज को भी आगे बढ़ना होगा। इसके सुखद परिणाम
सामने आएंगे।
—परमानंद जोशी, चूरू (राज.)
ङ्म चीन की नीति सदैव धोखेबाजी की रही है। उसने भारत को पहले भी धोखा दिया और वह आज भी उसी राह पर है। भूटान के साथ भारत के मजबूत संबंधों से वह परेशान है। इसलिए डोकलाम की आड़ में वह भारत से भिड़ने की कोशिश में है।
—हरिहर सिंह चौहान, इन्दौर (म.प्र.)
ङ्म डोकलाम विवाद में चीन के सरकारी मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स का यह कहना, कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा के कारण ही यह विवाद है, उसकी खीज को दर्शाता है। भारत के कूटनीतिक पैंतरे के बाद चीन को कुछ सूझ नहीं रहा, इसलिए वह अपने मुख पत्र के जरिए अनर्गल प्रलाप कर रहा है। अच्छी बात यह है कि चीन ने हिंदू राष्ट्र की शक्ति को आसानी से स्वीकार कर लिया।
—डॉ. प्रणव कुमार बनर्जी, बिलासपुर (छ.ग.)
हिंदुओं का दमन कब तक?
‘इस बार जला बशीरहाट (16 जुलाई, 2017)’ रपट पश्चिम बंगाल में बेकाबू होते कट्टरपंथियों की असलियत को सामने रखती हैं। बंगाल में जिस तरह कट्टरपंथ बढ़ रहा है, वह राज्य के लिए अच्छा नहीं है। जो राजनीतिक व्यवस्था किसी एक समुदाय विशेष का दमन करती है, वह हितकारी नहीं हो सकती है। स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, सुभाष चन्द्र बोस की धरती पर हिन्दुओं को सताया जा रहा है और जिन पर उनकी रक्षा करने का दायित्व है, वे वोट के लालच में मुंह सिलकर बैठे हुए हैं। ऐसे में हिंदुओं को ही जागना होगा और अपनी शक्ति का परिचय देते हुए अपनी रक्षा करनी होगी।
—शिवकुमार, फैजाबाद (उ.प्र.)
ङ्म एक फेसबुक पोस्ट से मजहबी उन्मादी इतने आक्रोशित हो जाते हैं कि दर्जनों गांवों में न केवल हिंदुओं पर हमला करते हैं बल्कि घरों को जला देते हैं। इतने सबके बाद भी हिंदू कुछ नहीं बोलता और सब सहन कर लेता है। वहीं हमारे देश के पूर्व उपराष्ट्रपति पद से हटने के एक दिन पहले साक्षात्कार में कहते हैं कि देश में मुसलमान भयभीत और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शायद उन्होंने बंगाल के कट्टरपंथियों का उन्माद देखा नहीं है। वे अगर यहां के कट्टरपंथियों का उन्माद देखेंगे तो उन्होंने दिमाग में जो भ्रम पाल रखा है, वह फुर्र हो जाएगा और हकीकत खुद-ब-खुद दिखाई देने लगेगी।
—हरीशचन्द्र धानुक, लखनऊ (उ.प्र.)
महिलाओं का हो विकास
सामान्य तौर पर कहा जाता है कि किसी भी समुदाय की प्रगति वहां की महिलाओं की प्रगति से आंकी जाती है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता के बाद ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में पर्याप्त सुधार नहीं आया है। जबकि भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है। समाज को विकास के मार्ग पर लाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को आगे बढ़ाना जरूरी है। उन्हें वे सभी अधिकार देने जरूरी हैं जो शहरी महिलाओं को मिले हुए हैं।
—बी.एस.बिष्ट, बागेश्वर (उत्तराखंड)
बहुत दिन मौज उड़ाई
अंसारी को आ रही, अब अपनों की याद
जाते-जाते कर रहे, जनता से फरियाद।
जनता से फरियाद, बहुत दिन मौज उड़ाई
लेकिन सत्ता बदली तो हो गयी विदाई।
कह ‘प्रशांत’ दस वर्षों का हिसाब दिखलाओ
खतरा बतलाकर लोगों को मत भरमाओ ॥
— ‘प्रशांत’
एक निवेदन
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