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कर्णप्रयाग परियोजना के 125 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग में 20 किलोमीटर को छोड़ शेष सुरंगों से होकर गुजरेगा
लंबी जद्दोजहद के बाद विदेशों और देश के दूसरे पर्वतीय स्थलों स्टेशनों की तरह उत्तराखंड के पहाड़ों में भी रेल दौड़ने लगेगी। इससे खास तौर से चार धाम यात्रा के सुगम हो होने की उम्मीद है। उत्तराखंड में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग और कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक रेल लाइन बिछाने की योजना पर काम शुरू है। हालांकि यह देश की सबसे बड़ी और चुनौतीपूर्ण योजनाओं में से एक होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए भारतीय रेल और भारतीय इंजीनियरों ने इस योजना का खाका खींच लिया है। खास बात यह है कि इस परियोजना में पर्यावरण का बहुत कम
नुकसान होगा।
प्रस्तावित परियोजना के तहत ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग पर देश की सबसे लंबी सुरंग बनाई जाएगी, जिसकी लंबाई 15 किलोमीटर होगी। अभी तक की सबसे लंबी रेल सुरंग जम्मू-कश्मीर में है,
जिसकी लंबाई 11.25 किलोमीटर है। उत्तर रेलवे ने इसे 2013 में तैयार किया था।
भारतीय रेलवे की यह बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना कई मायनों में अनूठी है। इस 125 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग पर कुल 16 सुरंगें और 16 पुल बनाए जाएंगे। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग पर प्रस्तावित 16 सुरंगों में से पांच सुरंगों की लंबाई नौ किलोमीटर से अधिक है। इसके अलावा, छह सुरंगों की लंबाई नौ किलोमीटर तक होगी। इस परियोजना पर इसी
वर्ष नवम्बर-दिसंबर में काम शुरू होने की उम्मीद है।
इस रेल मार्ग की एक और खासियत है। इस मार्ग पर रेल केवल 20 किलोमीटर ही खुले आसमान के नीचे चलेगी, शेष 105 किलोमीटर मार्ग सुरंगों से होकर गुजरेगी। इसके अलावा इस रेल मार्ग पर छह किलोमीटर और इससे अधिक लंबी हर सुरंग से एक निकासी सुरंग भी बनाने की योजना है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच प्रस्तावित 18 सुरंगों में से 11 सुरंगों की लंबाई छह किलोमीटर से अधिक है। इन सभी के साथ निकासी सुरंगें बनाई जानी हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में काम आएंगी।
आधुनिकतम सुरंगें
इस रेल मार्ग पर 105 किलोमीटर यात्रा के दौरान ट्रेन 18 सुरंगों से होकर गुजरेगी, लेकिन यात्रियों को किसी भी तरह से घुटन महसूस नहीं होगी। रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि इन सुरंगों में हवा की पर्याप्त व्यवस्था होगी। वायु के आवागमन का तंत्र पूरी तरह से आधुनिक और तकनीक से लैस होगा। प्रत्येक सुरंग का व्यास आठ से दस फुट का होगा।
मालगुड़ी ने आगे बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग पर 18 सुरंगों के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण हो चुका है। सुरंगों के निर्माण के लिए टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) और एनएटीएम (न्यू आॅस्ट्रियन टनलिंग मेथड) से काम किया जाएगा। इस बाबत जम्मू-कश्मीर में अब तक की सबसे बड़ी रेल सुरंग का निर्माण करने वाले इंजीनियरों और विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। रेल मंत्रालय इस परियोजना को शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण करने का इच्छुक है। कहने की जरूरत नहीं कि इस घोषणा से इस राज्य के पर्यटन क्षेत्र की शक्ल ही बदल जाएगी, स्थानीय ग्रामीणों की आजीविका में बढ़ोतरी होगी और पलायन भी रुकेगा। ल्ल दिनेश
टनल का नाम जगह लंबाई किमी में
पीर पंजाल जम्मू-कश्मीर 11.215
करबड़े महाराष्ट्र 6.506
नाथूवाड़ी महाराष्ट्र 4.389
टाइक महाराष्ट्र 4.077
बर्डेना महाराष्ट्र 4.000
ढालवाला से शिवपुरी 10.850 किमी
शिवपुरी से गूलर 6.470 किमी
गूलर से व्यासी 6.720 किमी
व्यासी से कौड़ियाला 2.200 किमी
कौड़ियाला से बागेश्वर 9.760 किमी
राजचौरा से पौड़ी नाला 220 मीटर
पौड़ी नाला से सौड़ (देवप्रयाग) 1.230 किमी
सौड़ से जनासू- 15.100 किमी
लछमोली से मलेथा 2.800 किमी
मलेथा से नैथाणा (श्रीनगर) 4.120 किमी
श्रीनगर से परासू (धारी) 9.000 किमी
परासू से नरकोट 7.080 किमी
नरकोट से तिलनी 9.420 किमी
तिलनी से घोलतीर 6.460 किमी
घोलतीर से गोचर 7.160 किमी
रानो से सिवई 6.400 किमी
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