हिन्दुत्व को बदनाम करने की कुटिल चालें
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हिन्दुत्व को बदनाम करने की कुटिल चालें

by
Jul 17, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 17 Jul 2017 12:32:41

आजकल टाइम्स नाऊ चैनल समझौता एक्सप्रेस विस्फोट और कांग्रेस द्वारा हिन्दू आतंकवाद शब्द के प्रयोग पर रोज नए-नए खुलासे कर रहा है। ये खुलासे बाकायदा सबूतों के साथ हो रहे हैं जो बेहद खतरनाक हंै। क्या सत्ता और मात्र मुसलमानों के वोट के लिए कोई पार्टी इतनी गिर सकती है कि देश की संस्कृति और हिंदुत्व को ही बदनाम करे?
आज चैनल पर दो पाकिस्तानी आतंकियों का नार्को टेस्ट भी दिखाया गया, जिसे कांग्रेस सरकार ने ही किया था। इसमें वे विस्तार से एक-एक बात बता रहे हैं। इतना ही नहीं, होश में आने के बाद भी उन्होंने सब कुछ बताया, लेकिन उन्हें मात्र 14 दिनों में चुपचाप पाकिस्तान भेज दिया गया और कोर्ट में यह बताया गया कि वो निर्दोष थे। उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले, इसलिए छोड़ दिया गया।
रॉ के पूर्व उपनिदेशक ब्रिगेडियर (से.नि.) एसएन सिंह ने चैनल पर कहा, ‘‘मैंने अपने स्तर पर कर्नल पुरोहित मामले की पूरी जांच की थी। उसके खिलाफ एक भी सबूत नहीं था। दरअसल, कांग्रेस ने पिछले कई सालों में हजारों मुस्लिम युवकों को आतंकी बताकर पकड़ा, लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किए, जिसके कारण सभी कुछ साल जेल में रहने के बाद रिहा होते चले गए। यही नहीं, ‘मुस्लिम रिहाई मंच’ नामक संगठन भी बना, जो पूरे भारत में पकड़े गए मुस्लिम युवकों की रिहाई के लिए काम करने लगा और मुस्लिम इलाकों में जाकर कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने लगा। इससे मुस्लिम कांग्रेस से दूर होने लगे। फिर कांग्रेस को लगा कि मुस्लिमों को खुश करने के लिए अब देश में हिन्दू आतंकवाद भी पेश किया जाए। इसके बाद देश में अचानक एक के बाद एक कम क्षमता वाले धमाके होने लगे। कांग्रेस ने जानबूझकर ये सारे विस्फोट मुस्लिम बहुल इलाकों में करवाए ताकि हिन्दुओं को आतंकी बताकर मुस्लिमों को खुश किया जा सके। इसके लिए कांगे्रस ने मालेगांव, मक्का मस्जिद, मोडासा को चुना। मालेगांव में दो बार धमाके किए गए।’’
एसएन सिंह ने यह भी कहा कि यदि कसाब को जिंदा नहीं पकड़ा गया होता तो कांग्रेस 26/11 के मुंबई हमले को भी हिन्दू आतंकवाद कहती। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले में कांग्रेस की मिलीभगत हो सकती है, क्योंकि हेमंत करकरे से दिग्विजय सिंह आखिर किस हैसियत से बात करते थे? हेमंत करकरे किस हैसियत से दिग्विजय सिंह से आदेश लेते थे? मुंबई हमले में हेमंत करकरे को कहीं दिग्विजय सिंह के इशारे पर तो नहीं मारा गया? हिन्दू दिखने के लिए सभी आतंकियों ने रक्षा सूत्र, रोली-चन्दन का तिलक लगाया हुआ था, लेकिन कसाब के जिंदा पकड़े जाने पर कांग्रेस की योजना धरी की धरी रह गई। कांग्रेस ने इसमें कई गलतियां की, जैसे- उसने अदालत में कहा कि कर्नल पुरोहित ने सेना के आयुध भंडार से आरडीएक्स चुराया, लेकिन सेना ने कहा कि वह तो आरडीएक्स का इस्तेमाल ही नहीं करती! कांग्रेस की योजना उस समय धरी रह गई जब अमर शहीद तुकाराम ओम्ब्ले ने जान की परवाह नहीं करते हुए कसाब को जिंदा पकड़ लिया। चैनल ने यूपीए सरकार के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम का वह पत्र भी दिखा गया, जिसमें उन्होंने आदेश दिया था कि मालेगांव और मोडासा विस्फोट की जांच केवल हिन्दुत्व आतंक की दृष्टि से ही करनी है।
आने वाले समय में और भी विस्फोटक खुलासे होंगे। जब आप विरोध के अतिरेक में ‘हिन्दू आतंकवाद’ कहते हैं तो मेरा मन करता है कि नहीं #मेरे_नाम_पर_नहीं। दुनिया भर में जब यह मैसेज फॉरवर्ड होने लगा था कि ‘हर मुसलमान आतंकी नहीं होता, लेकिन पकड़ा गया हर आतंकी मुसलमान होता है’ तब हमने भी ऐसी मान्यताओं का विरोध किया। दुनियाभर की सरकारों और सत्ताधारी आतंकियों का उदाहरण देकर साबित किया कि मजहबी पहचान देना गलत है। इसके बावजूद बावजूद आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों ने खुद महजबी पहचान आधारित आतंकवाद फैलाने लगे। हम कहते हैं कि सच्चा इस्लाम वह नहीं है जो इस्लाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। तब अति उत्साह में आकर जो भी यह कहने लगते हैं कि यहां ‘हिन्दू आतंकवाद’ हो रहा है तो ऐसा कहने पर मुझे सख्त आपत्ति है। यह भी पढ़ने को मिला कि सीट के लिए हुई लड़ाई को बीफ का हवाला देकर ह्वाट्सएप के जरिये अफवाह फैलाई गई और परिणामत: जुनैद की हत्या हुई। इसका सीधा मतलब है सामान्य लड़ाई को मजहबी रंग देकर धार्मिक विद्वेष को उभार कर, उकसा कर हत्या करवाना।
इस लोकतांत्रिक, पंथनिरपेक्ष देश में कई ताकतें आक्रोश को नकारात्मक दिशा देने में जुटी हुई हैं। जब आप ‘हिन्दू आतंकवाद’ कहेंगे तो एक बड़ी संख्या वाली सामान्य जनता जो ऐसी हत्याओं को गलत, अमानवीय और अधार्मिक कृत्य मानती है, उसे उन्हीं संकीर्ण संगठनों की दिशा में धकेल देंगे। कल विरोध में उतरे लोगों में क्या हिन्दू नहीं थे? क्या लगातार हिन्दू ऐसी चीजों के विरोध में मुखर नहीं हो रहे? भीड़ का हिंसक हो जाना, भीड़ का राजनीतिक-धार्मिक इस्तेमाल पहले भी होता रहा है। इसका विरोध जरूरी है, पर इसे गलत नाम मत दीजिए। न हिन्दू… न भगवा।
    (नीलम कपूर की फेसबुक वॉल से)

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