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भारत में है संस्कृति और अर्थनीति का मेल

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Jul 10, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Jul 2017 12:22:58

पिछले दिनों भाऊ राव देवरस सेवा न्यास द्वारा नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में 24वां भाऊराव देवरस स्मृति व्याख्यान ‘संस्कृति और अर्थनीति के संगम की उभरती विकास ज्ञान परंपरा’ विषय पर आयोजित किया गया। समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान विकास संस्थान के अध्यक्ष डॉ़ महेश चंद्र शर्मा उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संस्कृति की व्यापक अवधारणा है, जिसमें सब कुछ समाहित है। विकास की पश्चिमी ज्ञान परंपरा ने मुखर घोषणा नहीं की थी कि इससे पर्यावरण का हृास होगा, किन्तु मौन घोषणा अवश्य की थी। दुनिया में केवल भारत ही एक ऐसा देश है, जहां संस्कृति और अर्थनीति का संगम देखा गया है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भाऊराव देवरस को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां वास्तविक सुख और मानसिक शांति मिलती है, जिसे तलाशने अमेरिका व पश्चिम के सर्वाधिक अर्थ संपन्न लोग यहां आते रहे हैं। भारत में 800 वर्ष की विदेशी परतंत्रता के बाद भी हिन्दू संस्कृति बची रही। यूनेस्को द्वारा तैयार प्राचीन संस्कृति की सूची में एकमात्र हिन्दू संस्कृति ही है जो आज भी उसी स्वरूप में कायम है। इसका कारण  भारत में संस्कृति व अर्थ प्रणाली में बेहतर समन्वय होना। यहां धर्म, अर्थ और सत्ता विकेन्द्रित थे। ज्ञान, शस्त्र, धन और भूमि के आधार पर सभी के कार्य बंटे हुए थे, लेकिन यह जन्म आधारित नहीं था।   (विसंकें,लखनऊ )

राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर हो शोध
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बीते दिनों शम्भू दयाल पी.जी. कॉलेज में प्रेरणा शोध संस्थान द्वारा ‘राष्टÑीयता में जनसहभागिता’ विषय पर एक प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केशव संवाद पत्रिका के राष्टÑीय अंक का विमोचन भी हुआ। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर उपस्थित रहे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि प्रेरणा शोध संस्थान राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर शोध एवं अन्वेषण के उपरान्त समाज में इस प्रकार की जागरूकता का संचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा
रहा है। मुख्य अतिथि खाद्य एवं रसद मंत्री श्री अतुल गर्ग ने कहा कि राष्टÑीयता जनसहभागिता एक दूसरे के पूरक हैं, ऐसे कार्यक्रम आज की आवश्यकता हैं और समाज में सहभागिता के लिये होते रहने चाहिए। इससे समाज में जागरूकता बढ़ती है और लोगों को एक बड़े स्तर पर सोचने की प्रेरणा भी मिलती है। राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के संयुक्त प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर ने बताया कि केशव संवाद पत्रिका राष्ट्रीय महत्व के सारगर्भित विषयों को जन सामान्य के मध्य पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। प्रेरणा जनसंचार शोध संस्थान के माध्यम से पत्रकारिता से सम्बंधित 42 छोटे-बड़े कोर्स विद्यार्थियों के लिये चलाये जा रहे हैं  जिसमें दूर-दूर के क्षेत्रों से विद्यार्थियों के अतिरिक्त व्यवसायी, डॉक्टर, एडवोकेट एवं गृहिणियां बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहीं है।      प्रतिनिधि

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