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पर्यटन व्यवसाय में युवाओं के लिए रोजगार के ढेरों अवसर हैं और सृजनशीलता के इस दौर में भारतीय युवा के पास भविष्य निर्माण के बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। एक बेहतरीन कार्यशैली वाले कार्यक्षेत्र के बतौर पर्यटन देश की रीढ़ बन गया है। युवाओं के लिए अत्यधिक आकर्षण एवं संभावनाओं से भरा है यह क्षेत्र
प्रो. (डॉ.) कुलदीप कुलश्रेष्ठ
आज के वैश्विक दौर में पर्यटन तेजी से उभरता क्षेत्र है, जिसने देश की भावी अर्थव्यवस्था में विशेष वृद्घि की असीम संभावनाएं उत्पन्न की हैं। पर्यटन ने जहां देश की दशा, दिशा और छवि को सुधारा है, वहीं युवाओं के लिए रोजगार सृजन की परिपाटी तैयार की है। इसे देखते हुए केंद्र व राज्य सरकारें इस क्षेत्र में विशेष आर्थिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश से सहयोग एवं समझौते कर रही हैं। साथ ही, देश में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटनसम्मत ढांचों के विस्तार के लिए नई वीजा नीति एवं खुले व्यापार जैसी पहल की गई हैं। इसके अलावा, ‘ब्रांड इंडिया’ को अंतरराष्ट्रीय मंच मिला है, जिसकी पुष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका, जापान, आॅस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों के दौरों से स्वत: हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर पर्यटन के क्षेत्र में एशिया महाद्वीप ने काफी तरक्की की है। भविष्य में भी इस पर उसका विशेषाधिकार होगा तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशिया अहम भूमिका निभाएगा। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउंसिल के अनुसार, 2015 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में यात्रा एवं पर्यटन की कुल प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 2,66,8़30 अरब रुपये थी। एक अनुमान के अनुसार 2016 में इसमें 7़1 फीसदी की वृद्धि हुई। 2026 तक जीडीपी मेंं इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 7.9 फीसदी यानी 6,11,5़50 अरब रुपये की होगी। यह राशि जीडीपी की 2.4 फीसदी होगी। साथ ही, 4,64,22,000 नौकरियों का सृजन होगा जो कुल रोजगार का 9 फीसदी बैठता है। भारत के लिए सर्वाधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने के मामले में पर्यटन उद्योग तीसरे स्थान पर है। पर्यटन में कई आर्थिक गतिविधियां होती हैं जिनमें एयरलाइंस और अन्य परिवहन सेवाएं, होटल, रेस्तरां, ट्रेवल एजेन्सी सहित अन्य सुख-सुविधाएं भी शामिल हैं। बता दें कि देश में घरेलू पर्यटन एक अहम भूमिका निभा रहा है तथा यह कुल पर्यटन व्यय का 82़5 फीसदी है।
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटन के क्षेत्र में भारत तेजी से विकसित होने वाला पांचवां देश होगा। खास बात यह कि यह क्षेत्र तकनीकी रूप से भी विकसित हो रहा है। इसलिए पेशेवर लोगों की मांग बढ़ रही है। पर्यटन उद्योग में करियर बनाने के लिए पूर्णकालिक और अल्पकालिक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। पूर्णकालिक पाठ्यक्रम में बैचलर आॅफ टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन, बैचलर आॅफ टूरिज्म स्टडीज, मास्टर आॅफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन इन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट, एमए इन टूरिज्म मैनेजमेंट इत्यादि आते हैं। वहीं, एयरलाइन टिकटिंग, एयरलाइन ग्राउंड आॅपरेशंस, ग्राउंड सपोर्ट एंड एयरपोर्ट मैनेजमेंट, टूरिज्म मैनेजमेंट, गाइडिंग एंड एस्कॉर्टिंग, कार्गो मैनेजमेंट एवं एयरपोर्ट लॉजिस्टिक मैनेजमेंट एक वर्षीय पाठ्यक्रम हैं। पढ़ाई के बाद करियर के लिए अलग-अलग रास्ते खुलते हैं और योग्यता और रुचि के मुताबिक इनमें से कोई भी चुन सकते हैं। पर्यटन विभाग में रिजर्वेशन एंड काउंटर स्टाफ, सेल्स एंड मार्केटिंग स्टाफ, टूर प्लानर्स, टूर गाइडेंस के अलावा संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर अधिकारी भी बन सकते हैं।
योग्यता: 10+2 के बाद त्रिवर्षीय स्नातक और दो वर्षीय पीजी पाठ्यक्रम हैं। कई संस्थान एक वर्षीय सर्टिफिकेट व डिप्लोमा भी कराते हैं।
संस्थान: दिल्ली विश्वविद्यालय, इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट और भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, लखनऊ विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, तेजपुर विश्वविद्यालय, आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, तमिलनाडु और इग्नू।
संभावनाएं: इस क्षेत्र में सुविधाओं और पैसों की कमी नहीं है। बतौर प्रशिक्षु शुरुआती वेतन 15 से 25,000 रुपये हो सकता है। आप सरकारी, निजी एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भी रोजगार तलाश सकते हैं।
टूर आॅपरेशन : इसमें पर्यटन उत्पाद, पैकेज निर्माण, यात्रा कार्यक्रम निर्माण, टूरफाइल हेंछंिलंग, विपणन, टिकिटिंग व अन्य आवश्यक सेवाओं के संयोजन एवं समायोजन जैसे विशेष प्रबंधन कार्य शामिल हैं। इसमें कमाई भी अच्छी होती है।
ट्रेवल एजेन्सीज : पर्यटन व्यवसाय में ट्रेवल एजेंट खुदरा व्यापार का ही नया रूप है, जिसमें वह पर्यटक एवं पर्यटक सेवा प्रदाता के बीच एक कड़ी होता है। इस क्षेत्र में आने के इच्छुक युवाओं के लिए पारस्परिक कौशल में निपुण होना जरूरी है। पर्यटकों के साथ सम्मत व्यवहार एवं संवाद के साथ आईटी ज्ञान भी जरूरी है।
परिवहन/कार्गो: पर्यटन से जुड़े एयरलाइंस, जहाज एवं सड़क परिवहन क्षेत्र में भी सृजनशील, मेहनती युवाओं की बहुत जरूरत है। इस क्षेत्र में नई कंपनियां निवेश कर रही हैं, इसलिए इसमें भी रोजगार के अच्छे अवसर हैं। इसके अलावा, रोमांचक पर्यटन भी कंपनियों को लुभा रहा है, जिसमें युवाओं को आकर्षक वेतन पैकेज दिए जा रहे हैं।
टूर गाइड: टूर गाइड के लिए पर्यटन ज्ञान ही नहीं, बल्कि भारत के इतिहास, संस्कृति एवं पर्यटन क्षेत्रों का सूक्ष्म विश्लेषण आना अनिवार्य है। प्रतिभाशाली युवाओं को ‘टूरिस्ट हैंडिलिंग’ की जिम्मेदारी दी जाती है। यह एक तरह से सांस्कृतिक राजदूत जैसा काम है।
पर्यटन निगम व नियामक : पर्यटन प्रबन्ध में स्नातक व स्नाकोत्तर युवा देश एवं राज्यों के पर्यटन निगमों एवं पर्यटन विकास निगमों में नीति-निर्माता के तौर पर कार्य करते हैं।
पर्यटनविद्/पर्यटन शिक्षक : देश में पर्यटन शिक्षा न केवल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपितु स्कूलों में भी महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरी है। देश के लगभग 72 विश्वविद्यालय, निजी कॉलेज व संस्थान पर्यटन शिक्षा पर आधारित मानव संसाधन विकास में योगदान दे रहे हैं। भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान इस क्षेत्र के लिए हर साल हजारों युवाओं को तैयार करता है। भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (आईआईटीटीएम) जो कि पर्यटन मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी निकाय है, वह भी पर्यटन शिक्षा, पर्यटन परामर्श, पर्यटन शोध, मानव संसाधन विकास और पर्यटक उद्यमों के लिए सुयोग्य मानव संसाधन विकसित करता है। ग्वालियर, भुवनेश्वर, नोएडा, नेल्लोर व गोवा में इसके केंद्र हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्र व राज्य स्तरीय गाइड ट्रेनिंग कार्यक्रम जैसे विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं। विद्यार्थियों को शत-प्रतिशत प्लेसमेंट देने के लिए यह दक्षिण एशिया में प्रमुखता से जाना जाता है।
लेखक भारतीय पर्यटन एवं यात्रा
प्रबन्ध संस्थान ग्वालियर के निदेशक हैं
स्पा चिकित्सा
राहतभरा स्पर्श
मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण लोगों के लिए स्पा थेरेपी एक बेहतर करियर हो सकती है। खास बात यह कि इसकी पढ़ाई कोई भी कर सकता है, बशर्ते उनकी रुचि लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से आराम पहुंचाने में हो। इसके तहत विद्यार्थियों को स्पा चिकित्सा के तहत मालिश के तमाम बुनियादी तरीके सिखाए जाते हैं। इसमें शारीरिक संरचना, शारीरिक क्रिया, आयुर्वेदिक व प्राच्य चिकित्सा तथा सौंदर्य उपचार जैसे विषय शामिल होते हैं। साथ ही, इसमें संस्कृति और संवाद भी एक हिस्सा है, जिसके तहत विद्यार्थियों को बातचीत के तौर-तरीकों के अलावा स्पा चिकित्सक के तौर पर व्यवहार के बारे में बताया जाता है। पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी स्पा और रिसॉर्ट में चिकित्सक की नौकरी या अपना स्पा भी खोल सकते हैं। वैसे स्पा चिकित्सक को शुरुआत में ही किसी पंचसितारा स्पा या रिसॉर्ट में एक-दो लाख रुपये तक की भी नौकरी मिल सकती है।
एथिकल हैकिंग
ज्ञान का सही इस्तेमाल साइबर
जगत में वायरस की तरह कंप्यूटर हैकिंग भी एक बड़ी समस्या है। हैकर्स आपके कंप्यूटर, लैपटॉप या उससे जुड़े अकाउंट को हैक कर डाटा चुरा लेते हैं या उसे नष्ट कर देते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती इस समस्या से निबटने के लिए ही एथिकल हैकिंग का पाठ्यक्रम शुरू किया गया। डिजिटल क्रांति के इस दौर में कंप्यूटर नेटवर्क, वेबसाइट, ई-मेल अकाउंट की सुरक्षा दांव पर लगी होती है, इसलिए साइबर अपराधों को रोकने के लिए पेशेवर एथिकल हैकर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। एथिकल हैकर में भी वही खूबियां होती हैं, जो एक शातिर हैकर में होती है। ये कंपनी के सूचना तंत्र को शातिर हैकर्स से सुरक्षित रखते हैं। यह चुनौती भरा पेशा है, क्योंकि इसमें 24 घंटे मुस्तैद रहना पड़ता है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की अच्छी जानकारी के साथ, कंप्यूटर विज्ञान, आईटी या कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री अनिवार्य है। एनआईईएलआईटी, सीईआरटी, इंडियन स्कूल आॅफ एथिकल हैकिंग, तिलक महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी जैसे संस्थान में इससे जुड़े विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
फुटवियर डिजाइनिंग
बदलते दौर के साथ कदमताल
मौजूदा दौर में फैशन केवल कपड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि फुटवियर भी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग आकर्षक और पैरों के लिए आरामदेह फुटवियर चाहते हैं। साथ ही, कम खर्च में अच्छी गुणवत्ता सहित इसके अन्य पहलुओं को भी ध्यान में रखते हैं। इस जरूरत को फुटवियर डिजाइनर पूरा करते हैं। पढ़ाई के साथ रचनात्मक विद्यार्थियों के लिए फुटवियर डिजाइनिंग में बेहतर अवसर हैं। अब इस क्षेत्र में केवल चमड़े का ही इस्तेमाल नहीं होता, बल्कि प्लास्टिक, जूट, रबड़ और कपड़े के भी फुटवियर बनने लगे हैं। फुटवियर उद्योग में कई स्तरों पर काम होते हैं, जैसे- डिजाइनिंग, उत्पादन और विपणन। डिजाइनिंग के तहत ग्राहक की रुचि, जरूरत, बाजार में नए चलन को ध्यान में रखते हुए मॉडल तैयार किए जाते हैं। इसके लिए रचनात्मकता के साथ बाजार के रुझान और कंप्यूटर ज्ञान की अच्छी समझ जरूरी है। वहीं, उत्पादन में डिजाइनर द्वारा तैयार डिजाइन को विभिन्न तरह की मशीनों की मदद से खूबसूरत आकार दिया जाता है। यह तकनीकी काम है, जिसमें प्रशिक्षित लोगों की मांग अधिक होती है।
योग्यता: 10+2 के बाद इस पाठ्यक्रम में दाखिला लिया जा सकता है। देश के प्रमुख फुटवियर संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट जैसे पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जो एक से तीन साल की अवधि तक के होते हैं।
संस्थान: फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई), नोएडा, सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, आगरा/चेन्नई, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, एमआईटी मुजफ्फरपुर, एनआईएफटी नई दिल्ली, इंस्टीट्यूट आॅफ गवर्नमेंट लेदर वर्किंग स्कूल, मुंबई, कॉलेज आॅफ लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता इत्यादि। इसके अलावा, देश के प्रमुख शहरों कानपुर, चंडीगढ़, जालंधर, बेंगलुरु आदि में भी सरकारी और निजी प्रशिक्षण संस्थान उपलब्ध हैं।
संभावनाएं: फुटवियर डिजाइनर के लिए भारत ही नहीं, विदेशों में भी करियर की बेहतरीन संभावनाएं हैं। करियर की शुरुआत में दो-तीन लाख रुपये सालाना मिल जाते हैं, लेकिन 3-4 साल के अनुभव के बाद सालाना वेतन चार से पांच लाख रुपये या इससे भी अधिक हो जाता है।
रेडियो जॉकी
चुनौती के पार कामयाबी
मेट्रो शहरों में एफएम रेडियो के तेजी से विस्तार के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। इसमें रेडियो जॉकी यानी आरजे की भूमिका महत्वपूर्ण है, जो पूरी तैयारी के साथ कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। यह चुनौती भरा करियर है, क्योंकि आरजे अपने हुनर से संगीत कार्यक्रम के जरिये श्रोताओं का न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि उन्हें ट्रैफिक और मौसम की स्थिति सहित अन्य जानकारियां भी देता है। आरजे का कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत है। इस क्षेत्र में युवाओं को अधिक तरजीह दी जाती है। हर आरजे का संवाद का अपना अलग तरीका होता है। एक सफल आरजे बनने के लिए आकर्षक आवाज, बोलने का अंदाज, स्पष्ट उच्चारण, भाषा का अच्छा ज्ञान, दोस्ताना स्वभाव, हाजिरजवाबी, सिनेमा-संगीत की समझ, स्क्रिप्ट राइटिंग में कुशलता के अलावा पढ़ने की आदत भी जरूरी होती है। साथ ही, आॅडियो सॉफ्टवेयर की जानकारी होना भी जरूरी है, क्योंकि इसी की बदौलत वह कार्यक्रम को आगे बढ़ाता है। यदि आप में ये गुण हैं तो आप टीवी एंकरिंग और समाचार वाचन भी कर सकते हैं।
योग्यता: 10+2 के बाद जनसंचार में स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद इस क्षेत्र में अवसर तलाश सकते हैं। अगर सिर्फ आरजे ही बनना चाहते हैं तो इग्नू सहित कई संस्थान डिप्लोमा या सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम भी कराते हैं।
संस्थान: इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी), नई दिल्ली, मीडिया एंड फिल्म इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया, मुंबई, सेंटर फॉर रिसर्च इन आर्ट आॅफ फिल्म एंड टेलीविजन, नई दिल्ली, एजेके एमसीआरसी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली इत्यादि।
संभावनाएं: इस क्षेत्र में सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी और एंकरिंग में अच्छे अवसर हैं। खासतौर से आॅल इंडिया रेडियो तो समय-समय पर आरजे के लिए आॅडिशन टेस्ट का आयोजन करता रहता है। इसके अलावा, दूसरी कंपनियां भी आॅडिशन टेस्ट आयोजित करती हैं। शुरुआत में 15-20,000 रुपये प्रतिमाह वेतन पर नौकरी मिल जाती है। विज्ञापन में वॉयस ओवर से भी अच्छी कमाई कर सकते हैं। कुछ विदेशी रेडियो कंपनियां आरजे को 3-4,000 रुपये प्रतिघंटा भुगतान करती हैं। वहीं, सॉफ्टवेयर प्रोड्सिंग कंपनियां आकर्षक पैकेज पर लोगों को रोजगार देती हैं।
खुदरा प्रबंधन
ब्रांड के साथ चमकाएं छवि
बीते एक दशक के दौरान देश में सुपरमार्केट, मॉल, रिटेल आउटलेट और शोरूम की संख्या काफी बढ़ी है। इनका प्रबंधन ही खुदरा प्रबंधन या रिटेल मैनेजमेंट कहलाता है। बड़ी-बड़ी कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक छूट पर तरह-तरह के उत्पाद बाजार में उतार रही हैं। भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा खुदरा बाजार है, इसलिए सभी ब्रांड बाजार में पैठ बनाने के लिए छोटे-बड़े शहरों में फैक्ट्री आउलेट से लेकर सुपरमार्केट तक छूट दे रहे हैं। इसमें मार्केटिंग से लेकर ब्रांडिंग तक रोजगार के अवसर हैं।
अमूमन किसी भी बड़े रिटेल स्टोर में 250 से 500 लोगों की जरूरत होती है। हर मॉल में दो-तीन बड़े रिटेल स्टोर होते ही हैं। रिटेल में स्टोर आॅपरेशन, सप्लाई चेन, फाइनेंस, लॉजिस्टिक, इन्वेंटरी बिलिंग जैसे प्रमुख विभाग होते हैं। इसमें सेल्स रिप्रेजेंटेटिव, स्टोर मैनेजर, रिटेल मैनेजर से लेकर सेल्स मैनेजर, एरिया मैनेजर, रीजनल मैनेजर जैसे प्रमुख पद होते हैं। खुदरा प्रबंधन गैर-पारंपरिक विषय है, इसलिए इसे तभी चुनें जब आप इस क्षेत्र की बारीकियों को समझ सकते हो और विज्ञापन में भी दिलचस्पी है।
योग्यता: 12वीं के बाद खुदरा प्रबंधन में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और एमबीए के अलावा बीबीए इन रिटेलिंग तथा स्नातक के बाद पीजी इन रिटेल एंड मार्केटिंग, पीजी डिप्लोमा इन विजुअल मर्चेंडाइजिंग एंड स्टोर डिजाइन जैसे पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं।
संस्थान: इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट (अहमदाबाद) के अलावा लखनऊ, नोएडा सहित देश के कई संस्थानों में इसकी पढ़ाई होती है।
संभावनाएं: स्नातक डिग्री के बाद सेल्स एग्जीक्युटिव से करियर की शुरुआत कर सकते हैं या सीधे सेल्स मैनेजर या मार्केटिंग मैनेजर भी बन सकते हैं। सेल्स एग्जीक्युटिव या फ्लोर मैनेजर के रूप में 15 से 25,000 रुपये प्रतिमाह वेतन पा सकते हैं।
हार्डवेयर इंजीनियर
हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग
जैसे-जैसे कंप्यूटर का प्रयोग बढ़ रहा है, हार्डवेयर और नेटवर्किंग पेशेवरों की मांग भी बढ़ रही है। इस क्षेत्र में पेशेवरों की काफी कमी है, इसलिए इसकी पढ़ाई करने के तुरंत बाद ही रोजगार मिलने की संभावना रहती है। लगभग सभी संस्थानों को हेल्प डेस्क, तकनीशियन, नेटवर्क या सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर, कंप्यूटर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट जैसे तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत होती ही है। सरकारें भी ई-गवर्नेंस पर जोर दे रही हैं। इसलिए 12वीं के बाद हार्डवेयर और नेटवर्किंग में करियर बढ़िया विकल्प हो सकता है। पढ़ाई पूरी करने के बाद 25 से 35,000 रुपये महीने की शुरुआती नौकरी
मिल जाती है, जो अनुभव के साथ बढ़ती जाती है।
हार्डवेयर इंजीनियर बनने के लिए मुख्यत: दो चीजें जरूरी हैं- हार्डवेयर और नेटवर्किंग। हार्डवेयर से जुड़े पाठ्यक्रमों में कंप्यूटर पाटर््स के बारे में पढ़ाया जाता है। हार्डवेयर इंजीनियर या सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर बनने के लिए दोनों जरूरी है। लेकिन यदि कोई नेटवर्किंग में विशेषज्ञ बनना चाहता है तो उसके लिए लोकल एरिया नेटवर्क, वाइड एरिया नेटवर्क सहित अन्य जरूरी पढ़ाई करनी पड़ेगी।
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