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'छिपे नागाओं से शासन लंबे अरसे से बात कर रहा है, किंतु अभी तक उसका कोई परिणाम नहीं निकला। ..विद्रोही नागा कम्युनिस्ट चीन के साथ सांठगांठ कर रहे हैं। साथ ही समय-समय पर उनकी ओर से हिंसात्मक कार्यवाहियां भी होती रहती हैं। मणिपुर के क्षेत्र में विशेषकर उन्होंने अपनी गतिविधियां तेज की हैं। स्पष्ट है कि उग्रवादी तत्व बातचीत का लाभ उठाकर किसी बड़े विद्रोह की तैयारी कर रहे हैं। भारत सरकार को सतर्कता बरतनी चाहिए तथा विद्रोही तत्वों को शांतिप्रिय नागाओं से अलग करके उनके साथ दृढ़ता से काम लेना चाहिए। नागा क्षेत्र के संबंध में यह भी कहना समीचीन होगा कि वहां आधे से अधिक हिंदू नागा रहते हैं। भारत सरकार ने अभी तक जो बातचीत की है वह बैप्टिस्ट मिशन के माध्यम से की है। हिंदुओं की जनजातियों को कभी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। आवश्यकता है इनके हितों और अधिकारों की ओर दुर्लक्ष न किया जाए।'
—पं. दीनदयाल उपाध्याय (विचार-दर्शन, खण्ड-7, पृ. 83)
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