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टेलीविजन के दर्शकों को खूब लुभा रहा है नया ऐतिहासिक धारावाहिक 'शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह'
प्रदीप सरदाना
पंजाब में यूं तो एक से एक वीर और एक से एक शासक हुए हैं, लेकिन जब भी पंजाब के सर्वाधिक लोकप्रिय और योग्य शासक की बात आती है तो एक नाम अलग से उभरता है— महाराजा रणजीत सिंह। महाराजा रणजीत सिंह जहां अपनी वीरता और उदारता के लिए जाने जाते थे, वहीं उनकी सूझबूझ और दूरदर्शिता भी कमाल की थी। उन्होंने अपने समय के अशांत और बिखरे हुए पंजाब और वहां के लोगों को तो एक सूत्र में पिरोया ही, साथ ही बिना युद्ध किये अंग्रेजों को अपने द्वारा शासित राज्यों से दूर ही रखा। इन्हीं महाराजा रणजीत सिंह पर टीवी चैनल 'लाइफ ओके' ने एक भव्य सीरियल 'शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह' का निर्माण किया है जिसका प्रसारण गत 20 मार्च से सोमवार से शुक्रवार रात साढ़े 8 बजे शुरू हुआ है। प्रसाद गवंडी के निर्देशन में बन रहे इस सीरियल का निर्माण कांटिलो पिक्चर्स के बैनर तले वही अभिमन्यु सिंह कर रहे हैं जो इससे पहले 'भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप', 'चक्रवर्ती सम्राट अशोक', 'वीर शिवाजी' और 'झांसी की रानी' जैसे ऐतिहासिक धारावाहिक बना चुके हैं।
इस धारावाहिक की भव्यता का अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि जहां इसकी शूटिंग राजस्थान की खूबसूरत जगहों पर हो रही है, वहीं मुंबई के निकट इसके शानदार सेट सुप्रसिद्ध सेट डिजाइनर ओम कुमार ने बनाये हैं। रणजीत सिंह की भूमिका में दमनप्रीत ने निभाई है। दमनप्रीत के बारे में अभिमन्यु बताते हैं, ''हमने पंजाब के दमनप्रीत सिंह को देखा तो लगा कि हमें हमारे रणजीत सिंह मिल गए। 14 साल के दमनप्रीत इससे पहले जी टीवी के सीरियल 'लाजवंती' के साथ ही कुछ पंजाबी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम कर चुके हैं। रणजीत सिंह की पहली पत्नी मेहताब कौर की भूमिका तुनीषा शर्मा निभा रही हैं जबकि रणजीत सिंह के माता-पिता राज कौर और महा सिंह की भूमिका में स्नेहा वाघ और शालीन भनोट हैं। इन कलाकारों के अलावा अनुराधा पटेल, चेतन पंडित, रूमी सिंह और सोनिया सिंह अन्य प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
लुभाते रहे हैं रणजीत सिंह
महाराजा रणजीत सिंह को लेकर अब तक यूं हमारे फिल्मकार कुछ उतने उत्साहित नहीं रहे जितने शिवाजी और महाराणा प्रताप पर रहे। लेकिन रणजीत सिंह को लेकर इतिहास के पृष्ठों, विभिन्न पुस्तकों और किंवदंतियों में जो कुछ है, वह सब सभी को लुभाता रहा है। हालांकि रणजीत सिंह अपने बचपन में ही अपनी एक आंख खो चुके थे और कद भी खास बड़ा नहीं था। पर सुंदर न होने के बाद भी उनके चेहरे पर वीरता और उत्साह का इतना तेज था कि बड़े-बड़े लोग उनसे थर्राते थे। उनके पास कोहिनूर हीरा आने के कई किस्से हैं। उनकी दरियादिली और हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी मत-पंथों के लोगों के साथ एक जैसा व्यवहार करने और सभी को साथ लेकर चलने की भी बहुत-सी बातें इतिहास प्रसिद्ध हैं। उनकी न्यायप्रियता और शासन व्यवस्था की मिसाल आज भी दी जाती है। महाराजा होकर भी वे कभी सिंहासन पर नहीं बैठते थे, सिंहासन के नीचे एक ओर बैठकर ही अपना राजपाट चलाते थे।
महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर, 1780 को अविभाजित भारत के गुजरावालां में हुआ था। उनके पिता महा सिंह सिखों की 12 मिसलों में एक सुकर चाकिया के प्रमुख थे। जिस समय उनकी मां राजकौर बालक रणजीत को जन्म देने वाली थीं, उसी समय महा सिंह को एक जंग के लिए जाना पड़ा। जीतकर लौटने पर महा सिंह ने अपने नवजात पुत्र को देखते ही उसका नाम रणजीत सिंह रख दिया। लेकिन जब रणजीत 12 बरस के हुए तो उनके पिता का निधन हो गया और तब उन्हें ही छोटी आयु में सिख मिसल का मुखिया बना दिया गया। लगभग 15 साल की आयु में रणजीत सिंह का विवाह मेहताब कौर से हुआ। उनकी सास सदा कौर ही उनका शासन चलाती रहीं, लेकिन रणजीत सिंह की जिंदगी में तब नया मोड़ आया जब उनका दूसरा विवाह हुआ। रणजीत मात्र 19 वर्ष के थे तब लाहौर पर उनका अधिकार हो गया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी वीरता और बुद्धिमता के कारण उनके राज का विस्तार होता गया।
लाहौर के बाद अमृतसर पर भी उनका अधिकार हो गया तो पूरे पंजाब में रणजीत सिंह का नाम गूंजने लगा। 1801 में उन्हें महाराजा की उपाधि मिली। दुर्भाग्य से महज 38 साल बाद 27 जून, 1839 को उनका निधन हो गया। अपने करीब 40 साल के शासन में महाराजा रणजीत सिंह ने सिंध से सतलुज तक विशाल राज्य स्थापित कर लिया था। उनका राज्य मुख्यत: चार सूबों पंजाब, पेशावर, मुल्तान और कश्मीर तक फैला हुआ था।
हालांकि महाराजा स्वयं पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने राज में श्क्षिा प्रणाली को मजबूत किया, साथ ही कला को भी प्रोत्साहित किया। उनकी कानून व्यवस्था का अंदाज इससे भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने शासन काल में किसी को मौत की सजा नहीं दी। फिर भी उनके राज में अमन चैन था। उन्होंने अपनी सेना को जहां फ्रांस के सैन्य विशेषज्ञों से प्रशिक्षित कराया, वहीं उनकी सेना में अमेरिका, जर्मनी, रूस, स्पेन सहित कुछ और देशों के सैनिक भी कार्यरत थे। अपने देशी-विदेशी सैनिकों को रणजीत सिंह सम्मान के साथ कई किस्म की सुविधाएं देकर उनका मनोबल बनाए रखते थे। यही कारण था कि उनकी उत्साहित सेना ने उनके नेतृत्व में कई युद्ध जीते।
धर्म के नाम पर दरियादिली
रणजीत सिंह धर्म के नाम पर बड़ी से बड़ी राशि खर्च करने में जरा भी संकोच नहीं करते थे। वे खालसा के नाम पर शासन करते थे इसलिए उनकी सरकार खालसा सरकार कहलाती थी। बताया जाता है कि अमृतसर के सुप्रसिद्ध हरमंदिर साहब पर सोने की परत चढ़वाने का काम महाराजा रणजीत सिंह ने ही कराया था। इसी के बाद से यह गुरुद्वारा स्वर्ण मंदिर के नाम से लोकप्रिय हुआ। उनके बारे में एक कथा यह भी मशहूर है कि उन्होंने सोने और चांदी की स्याही से तैयार कुरान शरीफ की उस सुंदर प्रति को काफी महंगे दाम देकर खरीद लिया था जिसे बड़े बड़े नवाब से नहीं खरीद पा रहे थे।
बताया जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह ने ही वाराणसी के सुप्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के शिखर पर भी सोने की परत चढ़वाई थी। धारावाहिक का प्रसारण करने वाले चैनल सहित निर्माता अभिमन्यु सिंह का मानना है कि दर्शक इसीलिए महाराजा रणजीत सिंह के जीवन के विभिन्न रंगों को दिखाने वाला यह सीरियल पसंद करेंगे क्योंकि वे बेमिसाल थे। उनके सिद्धांतों और कूटनीति का लोहा उनकी प्रजा ने ही नहीं, अंग्रेजों ने भी माना था।
यह हमारा सबसे बड़ा ऐतिहासिक धारावाहिक है : अभिमन्यु
धारावाहिक 'शेर-ए-पंजाब' के निर्माता अभिमन्यु से खास बातचीत के अंश-
ल्ल आपने अब तक कई ऐतिहासिक सीरियल बनाकर एक अलग पहचान बनाई है। लेकिन अब तक बनाये धारावाहिकों और महाराजा रणजीत सिंह में आप क्या अंतर देखते हैं?
मेरे बाकी के ऐतिहासिक धारावाहिकों और रणजीत सिंह में सबसे बड़ा फर्क यह है कि यह हमारा अब तक का सबसे बड़ा ऐतिहासिक धारावाहिक है। हमने 500 लोगों की यूनिट के साथ करीब डेढ़ साल तक इस सीरियल के विभिन्न पहलुओं पर काम किया है़। इसे नए शिखर पर ले जाने के लिए हम एकदम आधुनिक तकनीक पर काम कर रहे हैं। भव्य सेट लगाने के साथ ही बेहतरीन लोकेशन पर इसकी शूटिंग कर रहे हैं।
ल्ल आपने इसकी शूटिंग पंजाब में नहीं की, क्यों?
शूटिंग करते हुए काफी कुछ देखना पड़ता है। इसकी अधिकांश शूटिंग हम मुंबई से कुछ दूरी पर आमगांव में सेट लगाकर कर रहे हैं। इसके अलावा हमने कुछ शूटिंग राजस्थान के रणथम्भौर में और कुछ साल्ट लेक के पास भी की है। असल में हमें जैसी लोकेशन चाहिए थी वैसी राजस्थान में ही मिल गयी इसलिए पंजाब में शूटिंग नहीं की।
ल्ल रणजीत सिंह की पांच रानियां थीं। क्या सीरियल में उन सभी रानियों को दिखायेंगे। जहां रणजीत सिंह का जन्म हुआ, जहां उन्होंने ज्यादा राज किया, जैसे पेशावर, मुल्तान, लाहौर आदि वे सब जगहें अब पाकिस्तान में हैं। यहां तक कि उनकी समाधि भी लाहौर में है। तो क्या आप पाकिस्तान में भी कहीं शूटिंग करने का प्रयास करना चाहेंगे।
हम सीरियल में उनकी सिर्फ दो रानियों को ही दिखायेंगे, सभी रानियों को कहानी का हिस्सा बनाना संभव नहीं हो पायेगा। रहा सवाल पाकिस्तान में शूटिंग के प्रयास का, तो आप जानते ही हैं कि वहां शूटिंग करना संभव नहीं है, तो फिर हम ऐसे प्रयास ही क्यों करें।
ल्ल क्या आपको लगता है, यह सीरियल किसी विवाद को जन्म दे सकता है?
हमने इस बाबत पूरी सावधानी बरती है कि ऐतिहासिक तथ्यों में कोई खामी न रहे। इसके लिए हमने सिख और पंजाब के इतिहास के विशेष जानकारों जैसे डॉ. जे. एस. ग्रेवाल और डा. गुरबक्श सिंह को अपने साथ जोड़ा है। हम उन्हीं की सलाह और दिशा निर्देशों पर काम कर रहे हैं।
ल्ल इस धारावाहिक को कब तक चलाने की योजना है?
हमने अभी इसे 6 महीने तक चलाने की तैयारी की हुई है, जिसमें करीब 4 महीने तक किशोर रणजीत सिंह की भूमिका चलेगी। उसके बाद वयस्क रणजीत सिंह आयेंगे, जिसके लिए हम कुछ समय बाद ऑडिशन करेंगे।
ल्ल अपने धारावाहिक में रणजीत सिंह जी की जिंदगी के किन हिस्सों को अधिक दिखायेंगे?
हमने रणजीत सिंह के जन्म यानी 1780 से ही इसकी कहानी की शुरुआत की है। हमने उनके सेवा भाव पर कहानी का फोकस रखा है। वह बहुत ही बेहतरीन शासक थे इसलिए हम इस तथ्य को अधिकाधिक दिखायेंगे कि उन्होंने कैसे राज किया। असल में रणजीत सिंह का शासन यह बताता है कि अगर गरीब लोगों की सेवा करना मकसद हो तो शासक देश को कहां से कहां ले जा सकता है।
खूब सुनी हैं रणजीत सिंह की कहानी : दमनप्रीत
बाल अभिनेता दमनप्रीत से खास बातचीत के अंश-
ल्ल 'शेर ए पंजाब महाराजा रणजीत सिंह' में मुख्य भूमिका मिलने से पहले आप महाराजा के बारे में कितना जानते थे?
महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के लीजेंड हैं। मैं खुद पंजाब से हूं तो उनकी बातें घर में बचपन से सुनता आया हूं। दादी मुझे रणजीत सिंह जी की कहानियां सुनाती थीं, जिन्होंने मुझ पर काफी प्रभाव छोड़ा। मैं पिछले करीब सात साल से पंजाबी फिल्मों में अभिनय कर रहा हूं। इसलिए मेरे मन में यह इच्छा थी कि मैं भी कभी रणजीत सिंह की भूमिका करूं, लेकिन यह इच्छा इतनी जल्दी पूरी हो जाएगी, यह नहीं सोचा था।
ल्ल रणजीत सिंह की ऐसी कौन-सी बातें हैं जो आपको ज्यादा भाती हैं?
उनकी सबसे अच्छी बात यह लगती है कि वे भेदभाव में यकीन नहीं रखते थे। खुद बहुत बहादुर थे लेकिन सभी को साथ लेकर चलते थे। सभी को सम्मान देते थे। उन्होंने एक गरीब लड़की से शादी की थी।
ल्ल आप अभी किस कक्षा में पढ़ रहे हैं? इतना बड़ा सीरियल मिलने के बाद पढ़ाई कैसे कर पाते हो?
मैं चंडीगढ़ के रियान इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 9 में पढ़ता हूं। मुंबई आने के बाद स्कूल तो नहीं जा पाता, लेकिन जब शूटिंग नहीं हो रही होती, तब सेट पर ही हर रोज दो-तीन घंटे के लिए मुझे टीचर पढ़ाने आती हैं। मुंबई के पास जहां हमारी शूटिंग हो रही है, वहीं पूरी यूनिट रहती है।
ल्ल परिवार में कौन-कौन हैं? देखभाल के लिए आपके साथ कौन रहता है?
मेरे परिवार में मम्मी, पापा, बहन, दादा और दादी हैं। पापा तो चंडीगढ़ में ही सरकारी नौकरी में हैं। लेकिन मम्मी मेरे साथ रहती हैं। मुझे यह सीरियल मिला तो मैं तो खुश हुआ ही, मेरा पूरा परिवार भी खुशी से झूम उठा था। महाराजा रणजीत सिंह का रोल करना मेरे साथ मेरे परिवार के लिए भी गौरव की बात है।
ल्ल इस भूमिका के लिए आपने क्या खास तैयारी की है?
यह रोल मिलने के बाद मैं अब लगातार रणजीत सिंह जी के बारे में और ज्यादा जानने की कोशिश कर रहा हूं। साथ ही घुड़सवारी और तलवारबाजी भी सीख रहा हूं। मुझे हमारे निर्देशक इस चरित्र के बारे में बराबर समझाते हैं। स्क्रप्टि की तो तैयारी करते ही हैं, बॉडी लैंग्वेज पर भी काफी काम किया है। लगता है, महाराजा रणजीत सिंह मेरे अन्दर समा गए हैं। मैं अब शूटिंग के बाद भी चलता हूं तो कुछ उसी अंदाज में जैसे महाराजा चलते थे।
ल्ल रणजीत सिंह जी को उनके खालसा साम्राज्य की सेवा के लिए जाना जाता है, लेकिन प्रथम खालसा साम्राज्य की स्थापना उनसे काफी पहले हो चुकी थी। इस बारे में भी आपने पढ़ा होगा?
मैंने खालसा साम्राज्य के बारे में भी पढ़ा है और 'चार साहिबजादे' फिल्म के दोनों भाग देखे हैं, बहुत कुछ जाना है। मुझे उम्मीद है, हमारे इस सीरियल से रणजीत सिंह जी के बारे में सभी को बहुत कुछ जानने का मौका मिलेगा।
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