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भारत और बांग्लादेश के संबंधों में सुधार लाकर उन्हें और मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना नई दिल्ली आ रही हैं। उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच कई समझौते होंगे
वीणा सीकरी
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 7 से 10 अप्रैल तक भारत की यात्रा पर रहेंगी। उनकी यह यात्रा दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन दिनों भारत और बंाग्लादेश के बीच बहुत ही अच्छे संबंध हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून, 2015 में बांग्लादेश गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ोतरी हुई है। भारत और बांग्लादेश के लोगों में आपसी संबंध मजबूत हुए हैं। ऊर्जा, व्यापार, आवाजाही जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बड़ी तरक्की हुई है। इस माहौल में शेख हसीना का भारत आना दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ करेगा। हमारे प्रधानमंत्री की पहल पर दोनों देशों के बीच जो बहुत ही पुराना सीमा विवाद था, वह खत्म हो गया है। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि इससे भारत को नुकसान हुआ है, क्योंकि भारत ने बांग्लादेश को ज्यादा जमीन दी है। लेकिन मेरा मानना है कि इस विवाद का सुलझना बहुत ही जरूरी था। सीमा विवाद सुलझने के बाद बांग्लादेश के लोगों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की छवि बुहत अच्छी बनी है। इस विवाद के कारण बांग्लादेश के हिस्से में रहने वालों लोगों को काफी दिक्कतें होती थीं। उन्हें किसी तरह की कोई नागरिक सुविधा नहीं मिलती थी। अब वे लोग भारत के नागरिक हो चुके हैं और उन्हें हर तरह की सुविधाएं मिल रही हैं।
दोनों देशों के बीच पानी को लेकर भी कुछ विवाद हैं। 1996 में पहली बार शेख हसीना प्रधानमंत्री बनी थीं। उस समय उन्होंने गंगा जल विवाद पर भारत से एक समझौता किया था। उस समझौते के समय पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे ज्योति बसु। गंगा जल विवाद को हल करना आसान था, क्योंकि अंग्रेजों के समय से ही यह पता लगाया जा चुका था कि गंगा में कितना पानी बहता है। सूखे के समय किस देश को कितना पानी दिया जा सकता है, यह भी अनुमान लगाया जा चुका था। इसलिए यह विवाद सुलझ गया था। लेकिन तीस्ता नदी से जुड़ा विवाद थोड़ा टेढ़ा है। अभी तक यह नहीं पता चला है कि सूखे के समय तीस्ता नदी में कितना पानी बहता है। गर्मी के दिनों में तीस्ता में बहुत ही कम पानी रह जाता है। यही वजह है कि यह विवाद जल्दी सुलझ नहीं पा रहा। हालांकि दोनों देशों के बीच तीस्ता में पानी की उपलब्धता के संबंध में प्रतिशत के आधार पर एक समझौता हुआ है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि कब कितना प्रतिशत पानी रहेगा, यह तय करना मुश्किल है। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार उस समझौते पर अपनी सहमति नहीं दे रही। चर्चा है कि शेख हसीना जब दिल्ली में रहेंगी तब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी दिल्ली आएंगी। इसलिए तीस्ता जल विवाद पर कोई बात हो सकती है।
बांग्लादेश और भारत के बीच एक और मसला है और वह है बांग्लादेशी घुसपैठिए। भारत में कितने बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं, इसके अलग-अलग आंकड़े हैं। लेकिन इतना सत्य है कि बांग्लादेशी भारत में बड़ी संख्या में अवैध रूप से रहते हैं। यह बात भारत सरकार भी मानती है। 1992 में जब खालिदा जिया प्रधानमंत्री थीं उस समय वे दिल्ली आई थीं और उनके सामने यह मामला उठाया गया था। तब कहा गया था कि इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा।
मेरे ख्याल से स्थिति अब भी ऐसी ही है। शेख हसीना 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं। उनके कार्यकाल में इस मामले में काफी सहयोगात्मक रुख अपनाया गया है। जो बांग्लादेशी भारत में पकड़े जा रहे हैं, उन्हें सजा भी होती है। सजा पूरी होने के बाद बांग्लादेश को उनके बारे में बताया जाता है और वापस भेजा जाता है।
आतंकवाद को लेकर भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है। बांग्लादेश ने अनेक आतंकवादियों को सजा भी दी है। फिर भी इस मामले में दोनों देशों को एक-दूसरे का और सहयोग करते रहना चाहिए। बांग्लादेश में उदारवादियों और हिंदुओं पर हमले भी होते रहते हैं। हाल के वर्षों में कई मंदिरों में तोड़फोड़ हुई है, कुछ को जला भी दिया गया है। हालांकि इन मामलों को हसीना सरकार ने बहुत ही गंभीरता से लिया है। इस तरह के मामलों को सरकारें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उठाती रहती हैं। अंत में मैं यह कहना चाहूंगी कि कुछ कदम हम चलें, कुछ कदम वे, कुछ वे छोडें, कुछ हम, फिर देखें, दोनों के आंगन में कितनी खुशियां बरसती हैं।
(लेखिका बांग्लादेश में भारत की उच्चायुक्त रही हैं। यह लेख अरुण कुमार सिंह से वार्ता पर आधारित है।)
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