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नव वर्ष पर दिखीसतरंगी छटा

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Apr 3, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 Apr 2017 16:34:13

 

 

भारतीय नव वर्ष 2074 के अवसर पर देश के अनेक भागों में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। इस वर्ष की सबसे बड़ी विशेषता रही कि जहां कभी भारतीय नव वर्ष की चर्चा करना तक लोगों को पसंद नहीं था, कार्यक्रम हुए, एक-दूसरे को शुभकामनाएं
दी गर्इं।
अरुण कुमार सिंह

स वर्ष भारतीय नव वर्ष के आगमन पर एक अलग ही माहौल दिखा। सोशल मीडिया में  वे लोग भी नव वर्ष की बधाई देते हुए दिखे, जो अमूमन ‘सेकुलर संकोच’ का बिल्ला लगाए दिखते थे। वहीं उन जगहों पर भी भारतीय नव वर्ष से जुड़े कार्यक्रम हुए, जहां पहले वामपंथियों का कब्जा था। सबसे खास बात यह दिखी कि भारतीय नव वर्ष के कार्यक्रमों में युवाओं की भागीदारी अच्छी खासी बढ़ गई है। श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के कार्याध्यक्ष श्री भूषणलाल पाराशर कहते हैं, ‘‘देश के युवा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रशंसक हो गए हैं। नवरात्र में प्रधानमंत्री केवल जल का सेवन करते हैं। इसके बावजूद वे 18 घंटे काम करते हैं। यह बात युवाओं को प्रेरित करती है। शायद यही कारण है कि भारतीयता से जुड़े कार्यक्रमों में युवाओं की हिस्सेदारी बढ़ने लगी है।’’ दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य भार्गव कहते हैं, ‘‘देश में माहौल बदल रहा है। तिलक लगाने वालों के मन से यह अज्ञात संकोच हट रहा है कि लोग क्या कहेंगे। पहले युवा तिलक लगाकर स्कूल-कॉलेज जाना पसंद नहीं करते थे।’’ ज्योतिषाचार्य डॉ. मिथिलेश पांडे कहते हैं, ‘‘भारत विरोधी ताकतों के कमजोर होने से देश में एक नई जागृति आई है।’’
इन बातों की पुष्टि नव वर्ष पर होने वाले कार्यक्रमों से भी हो रही है।
मुंबई
मुंबई के फिल्मोद्योग में इस वर्ष पहली बार वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर एक कार्यक्रम हुआ। इसका आयोजन राष्टÑ सर्वोपरि समूह, जिसे अंग्रेजी में ‘नेशन फर्स्ट कॉलेक्टिव’ कहा जाता है, ने किया था। इस समूह के साथ अनेक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, लेखक और शिक्षाविद् जुड़े हुए हैं। 28 मार्च को जुहू में हुए इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य।  इस अवसर पर उन्होंने ‘कला की भारतीय दृष्टि’ विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि समाज के प्रति फिल्म निर्माताओं की जिम्मेदारी बढ़ाने की जरूरत है। सहनशीलता विरोधी बहस को उन्होंने बेईमानी बताते हुए कहा कि भारत का समाज सभी मत-पंथों को सहज ही अपना लेता है। इसलिए भारत की सहनशीलता बहस से परे है। समारोह को संस्कार भारती के राष्टÑीय अध्यक्ष श्री वासुदेव कामत, मशहूर लेखक और मुबंई भाजपा के प्रवक्ता श्री तुहिन सिन्हा, फिल्म निर्माता श्री आकाशादित्य लामा, फिल्म निदेशक श्री उदय शंकर पनी, अभिनेता श्री चंद कृष्ण धर, अभिनेता श्री मनोज जोशी आदि ने संबोधित किया।
कार्यक्रम में प्रतिशा सुरेश ने असमिया नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम में पुनीत इस्सर, प्रीति सप्रू, मुकेश शर्मा, फैज अनवर, अनंत महादेवन, समीर अनजान, जावेद दानिश, जलिस शेरवानी जैसे अनेक कलाकार उपस्थित थे।   
मुंबई के ही डोम्बिवली में ‘हिंदू नव वर्ष स्वागत यात्रा’ निकाली गई। इसका आयोजन मुस्लिम समुदाय द्वारा बड़े उत्साह के साथ किया गया था। मुस्लिमों ने कार्यक्रम में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य का गुलाब के फूल भेंट कर अभिनंदन किया। इस यात्रा की पूरे क्षेत्र में बड़ी चर्चा हुई। लोगों ने इसे सामाजिक सौहार्द के लिए बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम बताया।                                                                                                                                          
दिल्ली
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी संस्कार भारती (दिल्ली प्रांत) द्वारा भारतीय नव वर्ष के अवसर पर यमुना तट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भारतीय नव वर्ष अभिनंदन समारोह का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री किरेन रिजीजू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
श्री रिजीजू ने भगवान सूर्य को अर्घ्यदान करते हुए संस्कार भारती को इस भव्य आयोजन के लिए शुभकामना दी, साथ ही यह कहा कि दिल्ली में प्रात: साढ़े पांच बजे इतना बड़ा आयोजन और बड़ी संख्या में लोगों का आना अकल्पनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्षों बाद उन्हें यमुना तट पर आने का मौका मिला। यहां आकर एक विशेष ऊर्जा की अनुभूति हो रही है। उन्होंने सभी को भारतीय नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं, साथ ही लोगों से अपील  की कि वे अपने व्यस्त जीवन से समय निकाल कर यमुना की सफाई में योगदान दें।
कार्यक्रम का आरम्भ मशहूर संतूर वादक पद्मश्री  भजन सोपोरी  ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।  उन्होंने कहा कि वे अपने जीवन में पहली बार यमुना तट पर आए हैं और उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि  इस तरह के आयोजन से देश और समाज में समरसता का भाव उत्पन होता है, साथ ही युवाओं में देश की सांस्कृतिक विरासत के प्रति एक विशेष उत्साह जागृत होता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के सह संघचालक श्री आलोक कुमार ने कहा कि नव वर्ष के इस अवसर पर हम सबको समाज की सभी कुरीतियों को मिटाकर समरसता स्थापित करने का प्रण लेना चाहिए। कार्यक्रम में कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से माहौल को तरंगित कर दिया। ऋचा गुप्ता एवं उनके सहयोगियों के द्वारा प्रस्तुत गरबा एवं राजस्थानी लोक नृत्य आकर्षण का केंद्र बना। बृज भूषण गोस्वामी एवं अदिति शर्मा द्वारा प्रस्तुत संगीत ने वहां उपस्थित लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया तो कवि सुदीप भोला ने अपनी कविता के जरिए शहीदों को याद किया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध समाजसेवी नंदकिशोर अग्रवाल, संस्कार भारती के सर्वश्री सुरेश बिंदल, सुबोध शर्मा, अनुपम भटनागर, जितेन्द्र मेहता एवं देवेंद्र खन्ना उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन रोहित वासवानी ने किया। अंत में कार्यक्रम के संयोजक राजेश जैन चेतन ने सभी का आभार प्रकट किया।  
कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में भी नव वर्ष के अवसर पर बहुत ही सुंदर आयोजन हुआ। अनेक हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में आम लोगों ने भारी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम में लोगों को नव वर्ष की जानकारी दी गई, साथ ही भारत और भारतीयता से जुड़े अनेक प्रसंग सुनाए गए।
सैम बैंड का आनंद
नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्टÑीय कला केंद्र के परिसर में भी पहली बार भारतीय नव वर्ष के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। 28 मार्च को हुए इस कार्यक्रम में लोग देर रात सैम बैंड का आनंद लेते रहे। सैम बैंड के कलाकारों ने ‘कृष्ण बजाए वन में बांसुरिया’, ‘राग तराना’, ‘राग दुर्गा’, ‘गणेश वंदना’ आदि को ध्वनि और प्रकाश के जरिए इस तरह प्रस्तुत किया कि सामने सप्तरंगी छटा बिखरती गई और लोग तालियां बजाते रहे।
सैम, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का युवा जाग्रति अभियान है, जिससे देश के लगभग 22 राज्यों में लाखों युवाओं के जीवन में परिवर्तन आया है। सैम की निदेशक साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय नव वर्ष के लिए युवाओं में जागरूकता लाना है। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के वक्ता स्वामी विशालानंद ने कहा कि एक ओर जहां हम अंग्रेजी नव वर्ष को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं, वहीं दूसरी ओर हम अपने ही देश के नव वर्ष से परिचित नहीं हैं। आज आवश्यकता है कि हर भारतवासी अपनी धरोहर से जुड़े और भारतीय संस्कृति के महत्व को जाने।  
इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्टÑीय कला केंद्र के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय, सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान  के महासचिव स्वामी नरेन्द्रानंद सहित अनेक लोग उपस्थित थे।   

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