नवसंवत्सर पर विशेष- भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

नवसंवत्सर पर विशेष- भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता

by
Mar 27, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 27 Mar 2017 15:20:56

नव वर्षारंभ नए उल्लास, नए संकल्प का अवसर होता है। किसी कार्य का आरंभ अच्छा हो तो उसके सफल होने या अच्छे से सम्पन्न होने या अच्छी कार्य स्थिति के निर्माण की संभावना बढ़ जाती है। यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है, क्योंकि आरंभ शुभ होने पर उससे उससे निर्मित उत्साह का वातावरण आगे कार्य करने के लिए भी अनुकूलता का सृजन करता है। नववर्ष के पहले दिन को उत्सव के रूप में मनाने की प्रथा इसी आशा-अपेक्षा से प्रचलित हुई।  
दूसरा पक्ष यह भी है कि किसी कार्य के आरंभ का समय कौन-सा तय किया जाए जिससे परिस्थितियां अधिकतम अनुकूल हो सकें? जैसे धन की बुआई के लिए बरसात की शुरुआत अनुकूल होती है, गर्मी या सर्दी नहीं। वेद पढ़ने के लिए छह वेदांगों का भी अध्ययन करना पड़ता था जिनमें से एक है ज्योतिष। यह ग्रह-नक्षत्रों के स्वरूप, उनकी गति एवं स्थिति और अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव का आकलन करता है। तदनुसार वैदिक यज्ञों का समय-निर्धारण ज्योतिष गणना के परामर्श से होता था, ताकि ग्रहण, वर्षा, ओले या आंधी आदि से बचा जा सके। वर्ष के रूप में काल की गणना पृथ्वी और चंद्रमा द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगने वाले समय से की जाती है। इसे एक संवत्सर कहते हैं।
ग्रेगोरियन काल-गणना अपनाने वाले पाश्चात्य देशों में 31 दिसंबर तथा 1 जनवरी के मध्य की रात्रि के मध्यबिन्दु से नववर्ष का आरंभ माना जाता है। नववर्षारंभ चैत्र मास के शुक्लपक्ष के प्रथम दिन वसंत ऋतु के सूर्योदय से मानना ही विवेक सम्मत है। ऋतु विविधता वाले भारत में छह ऋतुओं में शिशिर के पतझड़ के बाद नए पत्तों से सृष्टि को सजाता-संवारता वासंती मधुमास उल्लास, उत्साह एवं स्फूर्ति का नैसर्गिक स्रोत है। यह नववर्षारंभ का सर्वश्रेष्ठ समय होने का प्रमाण है।
नव संवत्सर का आरंभ न केवल सम शीतोष्ण एवं नवोन्मेषशील ऋतु में होता है, अपितु संसार में प्रचलित संवत्सरों के अन्य दोषों से भी यह वैज्ञानिक दृष्टि से संशुद्धिकृत है। पहली जनवरी से शुरू होने वाला नववर्ष तो सूर्य के सापेक्ष हर साल उसी समय शुरू होता है, लेकिन इसमें चंद्रमा की उपेक्षा की गई है। चंद्रमा से भी पृथ्वी पर कई प्रभाव पड़ते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या से समुद्र के ज्वार-भाटे का संबंध तो है ही, मानव की मानसिक अवस्था पर भी उनका प्रभाव देखा जाता है।
दूसरी ओर, मुस्लिम हिजरी काल गणना पूर्णत: चंद्रमा की गति पर निर्भर है, जबकि चंद्र वर्ष सौर वर्ष की तुलना में 11 दिन से कुछ अधिक छोटा होने से रोजे-रमजान जैसे सभी अवसर सभी ऋतुओं में घूमते रहते हैं, कभी भीषण गर्मियों में तो कभी बहुत ठंड या वर्षा में। वहीं, भारतीय नववर्ष के आरंभ की तिथि के निर्धारण में सूर्य एवं चंद्र, दोनों की गतियों का समन्वय किया गया है। चंद्र मास सौर मास के साढ़े उन्तीस दिनों में पूरा हो जाता है। अत: पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा सूर्य की परिक्रमा 354 दिनों में पूरी कर लेता है। यदि सौर तथा चंद्र वर्षावधि के इस अंतर को छोड़ दिया जाए तो मुस्लिम काल-गणना जैसी स्थिति हो जाएगी। उस विसंगति को खत्म करने के लिए तीन वर्ष में एक बार चंद्र वर्ष में एक मास बढ़ा दिया जाता है। यानी एक महीना दुबारा चला दिया जाता है जिसे अधिमास कहते हैं। इससे ऋतु और मास में विसंगति नहीं आती। नव संवत्सर या नववर्ष सदैव चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (प्रथम तिथि) से प्रारंभ होता है जो निरपवाद रूप से सदैव वसंत ऋतु में ही आता है, क्योंकि त्रिवार्षिक अधिमास-संशोधन से चंद्र और सौर वर्षों की गणनाओं में तालमेल बना रहता है।
 मकर संक्रांति, मेष संक्रांति इत्यादि सूर्य के कुछ संक्रांति दिवसों के अलावा नवरात्रि, रामनवमी, अक्षय तृतीया, गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, कृष्ण-जन्माष्टमी, विजयादशमी, दीपावली, वसंत पंचमी, शिवरात्रि, होली तथा कुछ क्षेत्रीय और विभिन्न संप्रदायों के संतों की जयंती जैसे अधिकतर प्रमुख पवार्ेत्सव प्राय: चंद्रमा की तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं। लेकिन कालक्रम की शुद्धता के लिए आधार सौर गणनाओं को बनाकर संशोधन चंद्र गणनाओं में किया जाता है। ऐसा तथ्यग्राही वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण होता है।

-डॉ़  हरिश्चन्द्र बर्थ्वाल

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Germany deported 81 Afghan

जर्मनी की तालिबान के साथ निर्वासन डील: 81 अफगान काबुल भेजे गए

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Germany deported 81 Afghan

जर्मनी की तालिबान के साथ निर्वासन डील: 81 अफगान काबुल भेजे गए

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies