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अण्णा के घेरे में पवार

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Feb 27, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 27 Feb 2017 16:52:37

अण्णा हजारे ने फिर एक बार भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का सूत्रपात करने का बीड़ा उठाया है। इस बार उनके निशाने पर हैं राकांपा के अध्यक्ष और कद्दावर नेता शरद पवार तथा उनके भतीजे अजित पवार। अण्णा का आरेाप है कि दोनों ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करके महाराष्ट़ की शक्कर मिलों के जरिए सहकारिता बैंकों और राज्य सरकार के खजाने को करोड़ों का चूना लगाया है। मुंबई उच्च न्यायालय के कहने पर मामला मुंबई पुलिस में दायर कर दिया गया है 

मोरेश्वर जोशी
पांच साल पहले भ्रष्टाचार के विरोध में परिणामकारी आंदोलन छेड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने अब फिर से एक और बड़े भ्रष्टाचार के विरोध में बिगुल बजाया है। यह आंदोलन होगा देश के एक बड़े राजनेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार के विरोध में।
महाराष्ट्र की पहचान गन्ने की खेती और सहकारी शक्कर मिलों से होती है।  इससे ही यहां के किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है। लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने राज्य की 47 शक्कर मिलों को जान-बूझकर घाटे में धकेला और फिर कानून के विरुद्ध जाते हुए उन्हें अपने सगे-संबंधियों और निकट राजनीतिक कार्यकर्ताओं को कौड़ी के दाम बेचा। ऐसा आरोप लगाते हुए अण्णा ने मुंबई उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था और उसके आधार पर सीबीआई जांच की मांग की थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने उन्हें वह आवेदन पहले पुलिस में करने को कहा, इसलिए अब वे इस मामले को मुंबई पुलिस के सामने ले गए हैं। उनके आरोप में एक और गंभीर मुद्दा यह है कि एक तरफ तो पुरानी सहकारी शक्कर मिलें बंद हो रही थीं, पर दूसरी तरफ राज्य की तत्कालीन गठबंधन सरकार ने, जिसमें उनकी पार्टी सहभागी थी, न्यायालय की मनाही के बावजूद 58 नई मिलों की अनुमति दी थी। इस सबसे राज्य सरकार के खजाने को 25,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और सरकार पर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का बोझ बढ़ गया था। इसके आरोपियों में पूर्व उप-मुख्यमंत्री और शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी शामिल हैं। अण्णा ने इससे पूर्व महाराष्ट्र के 10 मंत्रियों के विरुद्ध इस तरह के मामले दाखिल किए थे, जिनके परिणामस्वरूप उन्हें मंत्रिपद तो छोड़ना ही पड़ा था, बल्कि सार्वजनिक जीवन का भी त्याग करना पड़ा था। इनमें से एक-एक मामले पर उन्हें दसियों साल तक लगे रहना पड़ा था। बताते हैं, इनमें से एक आरोपी मंत्री ने तो अण्णा को जान से मारने की सुपारी भी दी थी। यह जानकारी सुपारी लेने वाले ने ही पुलिस की जांच के दौरान दी थी। अण्णा द्वारा आरोपित अधिकतर लोगों ने अण्णा के ही विरुद्ध न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोई भी उनके खिलाफ कुछ सिद्ध नहीं कर पाया था। ताजा मामले में घिरे पवार ने भी अपने खिलाफ लगे आरोप के विरोध में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
अण्णा ने 5 वर्ष पूर्व जो भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया था, उसके कारण देश में सत्ता-परिवर्तन का रास्ता सुगम हुआ था। उस आंदोलन से उपजा 'मैं अण्णा हजारे' का नारा पूरे देश में तो प्रसिद्ध हुआ ही, विश्व के अनेक देशों में भी उसकी खूब चर्चा हुई थी। उसके बाद काफी वक्त तक अण्णा हजारे स्वास्थ्य लाभ करते रहे थे। इस दौरान उन्होंने कुछ  देशव्यापी आंदोलनों की घोषणा भी की, लेकिन संबंधित सरकारों से संवाद के बाद कुछ आश्वासन मिलने के कारण वे आंदोलन वापस ले लिए गए। 

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