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राकेश रोशन 'काबिल' की सफलता के बाद खुश हैं या अभी भी उनके मन में टीस है? आखिर यह टकराव टल क्यों न सका? अब राकेश रोशन आगे फिल्म बनायेंगे या नहीं? ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब जानने के लिए मुंबई में राकेश रोशन से 'पाञ्चजन्य' के लिए एक खास मुलाकात की प्रदीप सरदाना ने। प्रस्तुत हैं उस बातचीत के मुख्य अंश-
आप इस बार 'काबिल' की रिलीज पर जितने दुखी दिखे, उतने दुखी पहले कभी नहीं लगे। आपने यहां तक कह दिया कि आगे फिल्म बनाने का मन नहीं करता। इसके पीछे क्या था?
फिल्मों के बीच ये जो टकराव होते हैं, यह अच्छी बात नहीं है। न निर्माताओं के लिए, न वितरकों के लिए, न थिएटर वालों के लिए और न ही दर्शकों के लिए। क्योंकि दर्शकों के पास भी इतने पैसे नहीं हैं कि वे एक हफ्ते में दो फिल्में देख सकें। और ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में है। ऐसे में थिएटर मालिकों को चाहिए कि वे एक हो जाएं और कहें कि यदि दो फिल्में साथ आएंगी तो हम दोनों को 50-50 प्रतिशत स्क्रीन्स देंगे। इससे कोई टकराव नहीं होेगा, क्योंकि इससे फिल्म की कमाई सीधे आधी जो हो जाएगी। अब जाकर हमारी 'काबिल' का कारोबार अच्छा हो गया है। 20 दिन में इसने देशभर में करीब 133 करोड़ रु. का कारोबार कर लिया है, लेकिन यदि शाहरुख 'रईस' को 'काबिल' के सामने नहीं लाता तो यह 200 करोड़ रु. का कारोबार कर सकती थी।
शाहरुख तो आपके साथ फिल्में कर चुके हैं। उनके करियर की शुरुआत भी आपके साथ हुई। फिर ऐसा क्या हुआ कि यह टकराव टल नहीं सका?
मैंने 'काबिल' के प्रदर्शन के लिए एक साल पहले ही 25 जनवरी,2017 की तारीख घोषित कर दी थी। इस तारीख पर कोई और फिल्म प्रदर्शित नहीं होनी थी। 'रईस' को तो पिछले साल ईद पर ही प्रदर्शित होना था। लेेकिन शाहरुख इसे खिसकाते हुए मेरी फिल्म के रिलीज वाले दिन ले आया। तब मैंने उसे समझाया कि मैंने तो पहले से ही यह तारीख रखी हुई है। तुम 'रईस' को किसी और दिन प्रदर्शित कर लो। वह मेरे छोटे भाई की तरह है। सबसे पहले मैंने ही उसे अपनी फिल्म 'किंग अंकल' में साइन किया था। उसके बाद उसने मेरी दो और फिल्मों 'कोयला' और 'करण अर्जुन' में काम किया। पर शाहरुख मेरी बात नहीं माना। कोई न समझे तो क्या कर सकते हैं। लेकिन मैं समझता हूं कि भगवान है ऊपर। वह देख रहा है कि कौन सही है और कौन गलत। इस टकराव के बाद भी मेरी फिल्म ने अच्छी कमाई की है और दर्शक इसे काफी पसंद कर रहे हैं।
अब जब 'काबिल' देश-विदेश में अच्छी कमाई कर रही है तो आपका गुस्सा शांत हो गया होगा?
मुझे गुस्सा नहीं आया था, पर एक दर्द था कि मैंने इतने साल इस फिल्म उद्योग को दिए हैं फिर भी लोग मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं। भगवान ने मेरे जरिये कितने घरों को बसाया है। मैंने 16 फिल्में बनाई हैं, जिनमें 14 हिट या सुपर हिट रही हैं। सिर्फ 'काइट्स' और 'किंग अंकल' को सफलता नहीं मिली। मैंने हमेशा सभी का ध्यान रखा। लेकिन जब कोई मेरे साथ गलत करे तो दु:ख तो होता ही है। लेकिन मुझे खुशी है कि 'काबिल' पहले सप्ताह में 2200 स्क्रीन्स पर लगने के बाद भी 'रईस' से काफी अच्छा कर रही है, जबकि 'रईस' 3400 स्क्रीन्स पर लगी थी।
अब आप फिल्म बनाना बंद तो नहीं करेंगे? उम्मीद है, जल्द ही नई फिल्म शुरू करेंगे।
हां, बिलकुल़ ़..फिल्म न बनाने की बात तो दुखी मन से निकल गई। वैसे मैं बताऊं , मैं न शाहरुख खान की परवाह करता हूं और न ही किसी और अभिनेता की। जब मुझे हिृतिक के साथ अपनी पहली फिल्म 'कहो न प्यार है' रिलीज करनी थी, तब उससे एक हफ्ते पहले आमिर खान की 'मेला' लगी थी। 'कहो न प्यार है' के एक हफ्ते बाद शाहरुख खान की 'फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी'। मुझे सभी वितरकों ने बोला कि आप पीछे हट जाइए। आप नए लड़के के साथ इन लीडिंग एक्टर्स के बीच कहां आ रहे हैं। पहले मुझे उनकी बात सच लगी। लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं एक पुराना फिल्मकार हूं। यदि यश चोपड़ा, सुभाष घई या सूरज बड़जात्या की फिल्म होती तो मैं पीछे हट जाता, लेकन आमिर, शाहरुख जैसे अभिनेताओं की फिल्मों से क्यों डरूं। फिर मैं किस बात का फिल्मकार हूं। तब मैंने सोचा कि मैं तो उसी दिन फिल्म रिलीज करूंगा। यह देखकर मेरे दो-तीन वितरक मेरी फिल्म छोड़ कर चले गए और इससे हमारा कुछ नुकसान भी हुआ। लेकिन भगवान का करिश्मा देखो कि उसने कितना बरसाया। 'मेला' और 'फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी' दोनों फिल्में नहीं चलीं और 'कहो न प्यार है' सुपर हिट रही।
आप पुराने अभिनेता हैं। पुराने फिल्मकार हैं। आप निर्माताओं और वितरकों के साथ मिल-बैठकर कुछ ऐसा प्रबंध क्यों नहीं करते कि टकराव का यह सिलसिला थम जाए? इससे आपसी रिश्तों में तो खटास आती ही है और तमाशा बनता है।
बिल्कुल ठीक कहा आपने। मैं अब मार्च में सभी निर्माताओं और थिएटर वालों के साथ एक बैठक करूंगा। उनसे कहूंगा कि पक्षपात से दूर रहो और सिद्घांतों पर चलो। जो भी निर्माता अपनी फिल्म के लिए पहले तारीख घोषित करता है, उसे अधिक स्क्रीन्स मिलनी चाहिए। यदि उसके बाद भी कोई बीच में आता है तो पहले आने वाले को 70 फीसदी स्क्रीन्स मिलें और बाद में आने वाले को 30 फीसदी स्क्रीन्स मिलें। यह एक तरीका हो सकता है। जो समझना न चाहे, उसके साथ ऐसा होगा तो कोई भी बीच में आने से पहले दस बार सोचेगा। असल में यह पक्षपात हमारे फिल्म जगत में ही चलता है। हॉलीवुड या दुनिया के अन्य सभी देशों में इस मामले में कोई पक्षपात नहीं होता।
आपने हिृतिक को लेकर फिल्में बनाई हैं। जब भी हिृतिक को लेकर आपने फिल्म का निर्देशन किया वह सफलता की गारंटी बना। इसकी मिसाल 'कहो न प्यार है', 'कोई मिल गया', 'कृष' और 'कृष-3' जैसी चार सुपर हिट फिल्में हैं। लेकिन क्या बात है कि 'काबिल' का निर्देशन आपने खुद नहीं किया?
'काबिल' का निर्देशन नहीं करने का कारण यह था कि अब फिल्म के प्रदर्शन से पहले काम काफी बढ़ गया है। फिल्म के प्रचार के लिए, फिल्म को बेचने के लिए अब कई तरह की रणनीतियां बनानी पड़ती हैं। निर्देशन करते हुए एक निर्माता के लिए वह सब काम काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए जब संजय गुप्ता से मुलाकात हुई तो वे बोले कि 'मिलकर काम करते हैं। आप पटकथा और फिल्म के अन्य पहलुओं पर ध्यान दें। मैं इसकी तकनीक और निर्देशन पर ध्यान देता हूं।' तो इस तरह हमारी अच्छी जोड़ी बन गई है।
अब आपकी 'कृष-4' को लेकर क्या योजना है? इसे कब शुरू करेंगे? उसका निर्देशन भी खुद करेंगे या…?
हां, अब 'कृष' के स्केल पर काम शुरू करने वाला हूं। उसको लेकर कुछ आइडिया मेरे दिमाग में है। लेेकिन उसे विकसित करने में एक-डेढ़ साल का वक्त लगेगा। यह एक महंगी फिल्म होगी जिसे मुझे अपने बजट में बनाना है। इसके लिए मैं इसी दौरान शूटिंग से पहलेे पूरी फिल्म को कार्टून में बना लेेता हूं। इससे एनिमेशन और स्पेशल इफेक्ट्स के साथ फिल्म मेरे कंप्यूटर में पहलेे ही बन जाती है। इसके कारण फिल्म शूटिंग के दौरान लागत और समय दोनों में काफी बचत हो जाती है। रहा इसके निर्देशन का सवाल तो इसका निर्देशन मैं कर भी सकता हूं और नहीं भी। मेरे पास अभी दोनों विकल्प खुले हैं।
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