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लगभग पूरी दुनिया में पाकिस्तानियों को शक भरी निगाह से देखा जाने लगा है। यहां तक कि मुस्लिम देश भी पाकिस्तानियों से नफरत करने लगे हैं। यही वजह है कि विश्व के अनेक देशों ने अपने यहां पाकिस्तानियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है, वहीं अनेक देश इस पर विचार कर रहे हैं। सऊदी अरब ने तो चार महीने के अंदर अपने यहां से 39,000 पाकिस्तानियों को बाहर कर दिया है। साथ ही सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिया है कि सऊदी अरब आने वाले किसी भी पाकिस्तानी की सघन जांच की जाए। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानियों ने वीजा नियमों का उल्लंघन किया था। अनेक बार ऐसी खबरें आ चुकी हैं कि वीजा नियमों को तोड़कर पाकिस्तानी में भी बड़ी संख्या में भारत रह रहे हैं। उन्हें यहां कुछ सेकुलर नेताओं और कट्टरवादियों का समर्थन प्राप्त है। सऊदी अरब में पाकिस्तानियों को बचाने वाला कोई नहीं है। इसलिए वे वहां से खदेड़े जा रहे हैं।
शशि की कला पर ग्रहण
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने के लिए शशिकला ने कलाबाजी दिखाना शुरू कर दिया है। पहले वे अन्नाद्रमुक की महासचिव बनीं और अब मुख्यमंत्री बनने के लिए बढ़ रही हैं। अन्नाद्रमुक के ज्यादातर विधायक शशिकला के साथ हैं। वहीं कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने विद्रोह कर दिया है। जानकार मानते हैं कि शशिकला बड़ी महत्वाकांक्षी महिला हैं और एक दिन पन्नीरसेल्वम को हटाकर मुख्यमंत्री जरूर बनेंगी।
बीएचयू पर झूठ का बवाल
राज्यसभा में 5 फरवरी को जदयू सांसद अली अनवर अंसारी ने कहा कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने छात्रों के मांसाहार करने और इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। उनका साथ शरद यादव और माकपा के तपन कुमार सेन ने भी दिया। लेकिन बीएचयू के जन संपर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि सांसद बेबुनियाद बात कर रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसी कोई रोक नहीं लगाई है। वैसे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में राष्ट्र विरोधी नारे लगाने वाले कन्हैया और उसकी टोली को सिर पर बैठाने वाले इन सांसदों की मंशा को समझा जा सकता है। जेएनयू के जिस मामले से पूरा देश सन्न रह गया था, उसे इन सांसदों ने कभी संसद में नहीं उठाया। इन्हीं लोगों ने कन्हैया को 'नायक' बनाने की कोशिश की।
शत्रु से मित्रता!
यह बहुत ही दु:खद है कि विपक्षी दल सरकार का विरोध करने के लिए शत्रु को भी मित्र मान लेते हैं और उसके साथ उसी तरह का व्यवहार करते हैं। यहां बात हो रही है शत्रु संपत्ति विधेयक की। उल्लेखनीय है कि 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वह राजा महमूदाबाद, जो पाकिस्तान चले गए थे, की लखनऊ और आसपास की संपत्ति उन्हें वापस करे। इससे बचने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार 2010 में एक अध्यादेश लाई थी। 2014 में नई सरकार आने के बाद इस अध्यादेश की जगह एक विधेयक लाया गया जिसे लोकसभा ने 9 मार्च, 2016 को पारित कर दिया। लेकिन यह विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है। राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को चयन समिति को भेजने को कहा था। समिति ने अपनी रपट दे दी है। लेकिन कांग्रेस, जदयू और वाम दल इस विधेयक को पारित नहीं होने दे रहे। उन्हें लग रहा है इस विधेयक के पारित होने से मुस्लिम मतदाता उनसे दूर हो जाएंगे। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद पाकिस्तान और चीन को शत्रु देश घोषित कर दिया था और उनके नागरिकों की भारत में मौजूद संपत्ति को शत्रु संपत्ति का दर्जा देकर उसे अपने अधीन ले लिया था।
हटाया इस्लामिक शब्द
गांबिया ने हटाया इस्लामिक शब्द
अफ्रीकी देश गांबिया ने पूरी मुस्लिम जमात को सीख देने वाली एक पहल की है। वहां के राष्ट्रपति एटेमा बैरो द्वारा की गई इस पहल की कई देशों ने तारीफ की है। बैरो ने 'इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ दी गांबिया' का नाम बदलकर ' रिपब्लिक ऑफ दी गांबिया' कर दिया है। गांबिया के साथ इस्लामिक शब्द 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या जमेह ने जुड़वाया था। गांबिया में 90 प्रतिशत मुसलमान हैं। इसके बावजूद उसके नाम से इस्लामिक शब्द हटाना राष्ट्रपति बैरो के लिए आसान नहीं था। बैरो ने कहा है कि यह पहल सुधारवादी कदमों के अंतर्गत की गई है।
साइबर गुटरगूं
अखिलेश यादव(उ.प्र.के मुख्यमंत्री) कह रहे हैं कि हमें ए और एम अक्षरों से शुरु होने वाले नामों से देश को बचाना पड़ेगा। सच में, क्या यह नाम अखिलेश और मुलायम तो नहीं।
—विवेक अग्निहोत्री
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मेरा शो- फतह का फतवा भारतीय मुसलमानों के लिए एक आईर्ना है। आईने का कोई मकसद नहीं होता। वह केवल सच दिखाता है, जो अक्सर कड़वा होता है- करेले की तरह।
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—तारेक फतह, लेखक
पाक आतंकी-हाफिज सईद ने अपने संगठन का नाम बदल दिया है, किसी ने उसे समझाया दिया कि दिलीप कुमार साहब को नाम बदल कर कामयाबी मिली थी।
—आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार
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