साख में सेंध
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

साख में सेंध

by
Jan 30, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 30 Jan 2017 12:48:08

यह बेहद चुभने वाली बात है कि कुछ लोगों और चंद संस्थाओं की करतूतों के चलते गैर सरकारी संस्था क्षेत्र (एनजीओ) की साख छीज रही है। चौंकिए मत, झब्बा दाढ़ी, शीट का चश्मा और गाढ़े का कुर्ता या फिर बड़ी-सी बिंदी, बस्तर ज्यूलरी, और आदिवासी प्रिंट का खासा कीमती झोला… इस सब से अब समाज सेवा नहीं झलकती। ऐसे लोगों को समाज संशय भरी नजरों से देखने लगा है। ज्ञात-अज्ञात स्रोतों से मिलते चंदे पर पलती इस सादगी की चमक पर चर्चाएं होती हैं जो पूरी तरह तथ्यहीन भी नहीं होतीं। इस सादगी के पीछे भरपूर पैसा है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी स्टडीज का आकलन है कि आज यदि सभी एनजीओ को जोड़कर किसी देश के रूप में देखा जाए तो इनकी अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें नंबर पर बैठेगी।
यह तथ्य भी कम आश्चर्यजनक नहीं है कि भारत में लगभग हर 400  लोगों पर औसतन एक एनजीओ है (स्रोत:  ्रल्लाङ्मूँंल्लॅी) दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में इतने तो शायद चुनाव बूथ भी नहीं बनते? करीब 33 लाख गैर सरकारी संस्थाएं! पूरी राजनीति को, पूरे बॉलीवुड को खंगालें तो इतने नेता-अभिनेता न मिलें जितने बैनर इस एक क्षेत्र में टंगे हैं।
तथ्यों का अतिसामान्यीकरण न भी करें तो भी एक छान-फटक तो बनती ही है? सभी एनजीओ गलत नहीं करते। लेकिन सभी सही भी नहीं करते। बहुत से हैं जो कुछ करते ही नहीं। बहुत से करना बहुत कुछ चाहते हैं परंतु इस भीड़ से न वे होड़ ले पाते हैं, न आगे बढ़ते हैं, न ही उनकी परख हो पाती है। इसमें दोराय नहीं कि इस आपाधापी से उन संस्थाओं का कामकाज भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित होता है जो बेहद प्रामाणिकता और गहरी संवेदनशीलता के साथ काम में जुटी हैं। अविश्वास और संदेह का यह माहौल उनके लिए सरकारी व निजी क्षेत्र से मिलने वाले अनुदान और सहयोग को घटा देता है। शासकीय वर्ग और अन्य सहयोगकर्ता रियायतों से हाथ खींचने लगते हैं।
विडंबना ही है कि सरकारी नियंत्रण से परे जिस क्षेत्र को सबसे ज्यादा अनुशासित, आत्मनियंत्रित दिखना था, आज वहीं सबसे ज्यादा हड़बोंग और भ्रष्टाचार की स्थिति दिखती है।
इतने बड़े क्षेत्र में इतनी ज्यादा बढ़ चुकी समस्याएं एकाएक नहीं हैं। अरसे से चली आ रही ढिठाई की अनदेखी और गड़बडि़यों को मिलती रही अनकही शासकीय ढाल पर सवाल कभी तो उठेंगे! निश्चित ही इसके लिए किसी सरकार को दोषी ठहराना ठीक नहीं। इसकी जिम्मेदार कालीनों पर चलने की आदी हो चुकी वह लंबी राजनीति है जिसे जमीन पर पांव    रखने की बजाय एनजीओ की बैसाखी के सहारे चलना ज्यादा रास आया है।
इसके जिम्मेदार एनजीओ के वे रीढ़विहीन कर्ताधर्ता हैं जो पेज-3 की पार्टियों और टीवी बहसों में भले जितने दमकते दिखें, लेकिन जिनकी हैसियत दूसरों के एजेंडा को पूरा करने वाले 'मोहरों' से ज्यादा नहीं है।
दीमक! जिन्होंने सत्ता और सेवा क्षेत्र में धीरे-धीरे ऐसी बांबियां बना लीं कि दोनों की मजबूती और पहचान को विकृत कर डाला।
सेवा के नाम पर 'साजिश' और व्यवस्था को धता बताने की जिद चाहे 'कुछ' की रही हो परंतु यह रवैया आज स्थिति को उस बिंदु पर ले आया है जहां न्यायपालिका को एनजीओ क्षेत्र की वित्तीय घपलेबाजियों पर संकेत करती कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी और सरकार को गड़बड़ संस्थाओं को काली सूची में डालकर आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कहा गया।
ज्यादा गंभीर बात यह भी है कि सिर्फ वित्तीय अनियमितताएं नहीं बल्कि कुछ एनजीओ के क्रियाकलापों में समाज विभाजक, राष्ट्र विद्वेष का रंग भी घुला है। सोचिए, बस्तर के किसी गांव में आदिवासियों को क्या पड़ी है कि अपनी सीधी-सादी जीवनचर्या छोड़ किसी 'दयालु समाजसेवी' के घर प्रदर्शन करने आ जुटें? या फिर ऐसा क्या समाजसेवी जो अपने सहयोगी रहे लोगों के सवालों से ही बेपर्दा  हो जाए?
यह दुख और चिंता की बात है कि समाज और मानवता हित के पावन लक्ष्यों की बात करते अभियान सरकार से टकराव और समाज में विभाजक रेखाएं खींचने की सीमा तक बढ़ आए और 'कुछ मछलियों' द्वारा फैलाई जा रही गंदगी ने पूरे तालाब में ही दुर्गंध पैदा कर दी।
न्यायालय की टिप्पणी भले अब आई हो लेकिन यह देर से बजे उस अलार्म की तरह है जो अचानक बेतहाशा धड़कनें बढ़ाने के बावजूद यह घोषणा करता है कि काम अब टाला नहीं जा सकता। 27 फरवरी को दुनिया विश्व एनजीओ दिवस मनाएगी। क्या उससे पहले हम भारत में एनजीओ क्षेत्र में बजबजाती गंदगी साफ करने का संकल्प ले सकते हैं? विश्व एनजीओ दिवस पर पाञ्चजन्य में हम कुछ प्रेरक, दृढ़जीवी, कमाल के एनजीओ की संकल्प कथाएं प्रकाशित करेंगे क्योंकि चंद बुरी  खबरों के बीच सैकड़ों अच्छी पहलों की उपेक्षा नहीं की जा सकती। 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies