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नागपुर में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में धर्म, संस्कृति महाकंुभ आयोजित हुआ। इसके उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए गोरक्षपीठ के महंत और सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम एक तरफ उन श्रीराम की आराधना करते हैं, जिन्होंने अपना पूरा वनवास वनवासी और उपेक्षित बंधुओं के साथ गुजार दिया। वहीं दूसरी तरफ ऊंच-नीच के नाम पर लोगों के साथ भेदभाव करते हैं। यह पाखंड है, यह बंद होना चाहिए। महाकंुभ का आयोजन श्री देवनाथ मठ, अमरावती के पीठाधीश्वर स्वामी जितेंद्रनाथ ने किया था। महाकुंभ में शहीद सैनिकों को स्मरण करते हुए उनकी धर्मपत्नियों को सम्मानित किया गया। रामानुजाचार्य परंपरा के संत प्रपन्नाचार्य 'फलाहारी बाबा' ने बताया कि किस प्रकार वे गरीब और वंचितों की बस्तियों में प्रवास कर वहां रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार लाने के प्रयास में लगे हुए हैं। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडि़या ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को पंचगव्य का सेवन करने, असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखने और उनके द्वारा किए जाने वाले राष्ट्रविरोधी कृत्यों की जानकारी कम से कम दस लोगों को देने, वंचित समाज के कम से कम एक व्यक्ति को दोस्त बनाने, उसे अपने घर बुलाने और उसके घर जाने का संकल्प लेना होगा।
महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत पूरे दो दिन उपस्थित रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में संतों का ध्यान इस और खींचा कि धर्म को युगानुकूल बनाने के लिए समय- समय पर स्मृतियों की रचना होती रही है। मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के समय समाज को दिशा देने के लिए देवल महर्षि ने ऐसी ही एक देवल-स्मृति की रचना की थी। क्यूं न आज की परिस्थिति को ध्यान में रखकर सर्वसमावेशक एक और स्मृति की रचना हो।
महाकंुभ में शंकराचार्य पूज्य वासुदेवानंद सरस्वती, काशी सुमेरु पीठाधीश्वर नरेंद्रमनी जी महाराज, हम्पी पीठ, कर्नाटक के शंकराचार्य विद्यानंद भारती, महर्षि महेश योगी संस्थान के गिरिश जी ब्रह्मचारी के अलावा प्रजापिता ब्रह्मकुमारी,आर्य समाज, दिगंबर, निमार्ेही, निर्वाणी अखाड़े तथा नाथ, बल्लभ,वर्कारी आदि संप्रदायों के साधु-संन्यासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
-प्रतिनिधि
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