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'हमें वैभवशाली, शक्तिशाली, चरित्रवान एवं संगठित भारत बनाना है। जिस भारत मां ने हमें सब कुछ दिया है, उसके लिए हम भी कुछ करना सीखें। स्वयंसेवक इसी भाव को लेकर काम करता है। वह पूरे देश को अपना मानता है। काम करने के दौरान उसके सामने किसी तरह का स्वार्थ नहीं रहता।' ये बाते राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने गत दिनों रांची के जगन्नाथ मैदान में महानगर के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहीं।
आकर्षण का केंद्र
दुनिया को दिया संदेश कि संपूर्ण विश्व एक परिवार है।
मैदान में एक साथ 70 शाखाएं व 70 ध्वज लगाए गए ।
सभी कार्यक्रम अपनी-अपनी शाखा के अनुसार हुए।
1300 स्वयंसेवक रहे उपस्थित ।
श्री होसबाले ने कहा कि 90 वषोंर् से संघ का काम चल रहा है। कोई कहता है कि यह देशभक्त हिंदुओं का संगठन है तो कोई कहता है कि इनका राजनीतिक एजेंडा है। यह सत्ता पर बिठाने-उतारने का काम करते हैं। परन्तु जो स्वयंसेवक हैं, वे जानते हैं कि संघ क्या काम करता है। संघ ने पहली बार देश में एक विचार, एक दिशा व एक पद्धति को लाने में सफलता प्राप्त की है। रांची की शाखा में जो काम होता है, वही काम कन्याकुमारी व सुदूर पूवार्ेत्तर सीमा पर स्थित गांव में भी होता है। भारत का सांस्कृतिक ध्वज भगवा ही पूरे देश में फहराता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह वह अपनी मां की सेवा करते हैं, उसी तरह धरती मां की, जिसने हमें सबकुछ दिया है, इसके पीछे कोई स्वार्थ नहीं होता। रांची (विसंकें)
'यात्रा से मजबूत होंगे भारत-नेपाल के बीच संबंध'
'जीवन में सादगी, सरलता और सहिष्णुता हमें ऊपर उठाती है। जब कोई व्यक्ति उच्च पद पर पहुंचता है और उसके बाद भी उसके व्यक्तित्व में कोई परिवर्तन न आए तो यह उसकी गरिमा है।' उक्त बातें नई दिल्ली के जैन भवन में नेपाल केसरी, मानव मिलन संस्थापक जैन मुनि डॉ. मणिभद्र ने नई दिल्ली से पोखरा (नेपाल) सद्भावना पद यात्रा के शुभारंभ पर कहीं। इस सद्भावना यात्रा का उद्ेश्य भारत-नेपाल के बीच जो आदिकाल से संबंध चला आ रहा, उस संबंध को और प्रगाढ़ करना है। यात्रा के शुभारंभ पर कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नेपाल के संस्कृति मंत्री इन्द्र बहादुर बानिया एवं भारत में नेपाल के राजदूत श्री दीप उपाध्याय उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. मणिभद्र ने कहा कि आज का वातावरण ऐसा है कि पहले जिन महापुरुषों ने जिन चीजों को छोड़ा, समाज आज उनसे वही चीजें मांगता है। श्री राम, गोविंद, गौतम इसके उदाहरण हैं। लेकिन समाज को चाहिए कि वह अपने और दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करे और वही ईश्वर से मांगे। साथ ही हमें एकाकी जीवन जीकर साधना करनी है। अपने जीवन में आवश्यकताओं की पूर्ति हमें सबको करनी है लेकिन इच्छाओं की नहीं। क्योंकि इच्छा तो अनंत है। उसे पूरा करना संभव नहीं है। सद्भावना यात्रा पर हर्ष व्यक्त करते हुए नेेपाल के संस्कृति मंत्री इंद्र बहादुर बानिया ने कहा कि ऐसी यात्राएं मानव समाज के कल्याण, सुख, समृद्धि और शांति के लिए होती हैं। क्योंकि संतों का काम होता है समाज को शांति प्रदान करना। इस यात्रा के जरिए भारत-नेपाल का संबंध जो माता सीता के समय से है, वह और मजबूत होगा। क्योंकि आध्यात्मिक संबंध क्षणिक नहीं होता। इस यात्रा से हमारी मित्रता, सहिष्णुता, आपसी भाईचारा और समझदारी बढ़ेगी, ऐसी आशा है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित भारत में नेपाल के राजदूत श्री दीप उपाध्याय ने कहा कि दोनों देशों के मध्य इस यात्रा से अच्छा संदेश जाएगा। आज मानवता के लिए ऐसी यात्राओं की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन श्री जितेन्द्र जैन ने किया।
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