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गत दिनों मध्य प्रदेश के मुरैना में समरसता बैठक संपन्न हुई। बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले श्री भैयाजी ने संघ के 90 वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित पाञ्चजन्य विशेषांक का लोकार्पण किया। इस दौरान मुरैना, भिंड तथा दतिया जिले के सैकड़ों संघ कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री जोशी ने कहा कि यह देश हिंदुओं का है। इसके उत्थान एवं पतन का जिम्मेदार भी हिंदू ही है। यदि हमें हमारी पहचान सौ करोड़ की रखनी है तो उसे एक रखने के लिए, हमें सब भेद मिटाकर पहचान भी एक रखनी होगी। उन्होंने कहा कि जब नदी का प्रवाह रुकता है तो पानी सड़ने लगता है। दुर्भाग्य से हमारे समाज का जीवन भी थम-सा गया है। दरअसल यह सब भारत पर हुए आक्रमणों की वजह से हुआ। संत, वीर, योद्धा, विधर्मियों से लड़ते तो रहे, लेकिन वे समाज के दोषों को दूर नहीं कर सके। हिंदू समाज अगर सबल होता है तो अहिंदुओं को डरने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमारे रक्त में यह विशेषता है कि हमने कभी किसी को सताया नहीं है। यहां सब कुछ अच्छा है, तब भी हमारे यहां जातिरूपी दोष आ गया। आज भारत में 6,000 जातियां एवं उपजातियां हैं। आज हम जाति बंधन में ज्यादा लीन हैं। ड़ॉ. आंबेडकर जी ने कहा था कि हिंदू समाज बहुमंजिले भवन की तरह है, परंतु इसमें कोई सीढ़ी नहीं है, जो जिस जाति में जन्मा, वह उसी जाति में रहेगा। हमारे मन में ऊंच-नीच की भावना घर कर गई है। श्री जोशी ने कहा कि हम हिंदू हैं तो ही एक अरब हैं। अन्यथा हम क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य, दलित में बंट जाएंगे तो हमारी संख्या बहुत कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आप हिंदू हैं, इसलिए ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, दलित हों। हमको जाति अपने मां-बाप से मिली। हमको अपना नाम जाति से तो नहीं मिला। हमें भाषा मिली तो क्या जाति के हिसाब से मिली। हममें सबसे बड़ा दोष है कि कुछ जातियों को हमने अस्पृश्य मान लिया। जब मंदिर का देवता एक है तो मंदिर अलग क्यों, इस बात पर हमें विचार करना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम के अंत में उपस्थित संत समाज का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
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