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23 अक्तूबर, 2016
आवरण कथा 'शक्ति का मंत्र' उस प्रेरणा और ऊर्जा को समाज में जाग्रत करती है, जिसकी समाज को आज अत्यधिक जरूरत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को 90 वर्ष हो गए हैं। इस अवसर पर नागपुर में सरसंघचालक का दिया उद्बोधन देश को रास्ता दिखाने वाला रहा। उन्होंने हर मुदद्े को देश के सामने रखा और जिन विषयों पर लोगों की चिंता थी, उनको सुलझाने के तरीके भी बताए। सरसंघचालक ने गोवधबंदी को लेकर कानून बनाने की मांग की और इस बाबत संघ के रुख को स्पष्ट किया।
—आशा सैकिया, विकासपुरी (नई दिल्ली)
विजयादशमी पर पूरे देश में संघ के स्वयंसेवकों ने पथ संचलन निकाला। यह नजारा वास्तव में आत्मगौरव जगाने वाला था। इस बार गणवेश परिवर्तन के कारण पूरा परिदृश्य बदला-बदला नजर आ रहा था। स्वयंसेवकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। ऐसे संगठन और उसके स्वयंसेवकों को प्रणाम।
—पंकज वर्मा, भिवानी (हरियाणा)
सरसंघचालक के उद्बोधन में उन सभी समस्याओं का समाधान था जो आज के समय प्रासंगिक नजर आ रही है। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाव देने की उन्होंने खुलकर प्रसंशा की और सेना का अभिनंदन किया।
—इशांत गौर, पटना (बिहार)
दिया मंुहतोड़ जबाव
ङ्म रपट 'दहले धौंसबाज (16 अक्तूबर, 2016)' से जाहिर है कि अब भारत की नीतियां बदल चुकी हैं। अभी तक भारत हर आघात को सहन कर लेता था और प्रतिक्रिया के रूप में सिर्फ वार्ता करके मुदद्े को सुलझाने का प्रयास करता था। लेकिन अब नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद सब बदल गया है। भारत अब न किसी से कुछ कहेगा, न ही गिड़गिड़ाएगा बल्कि देश की तरफ आंख उठाकर देखने वाले को उसका मुंहतोड़ जवाब देगा। और हमारी सेना ने पाकिस्तान को कुछ इसी तरह का जवाब इस बार दिया भी। भारत की ओर से की गई कार्रवाई से पाकिस्तान खौफजंदा है। हमारी सेना बधाई की पात्र है और सरकार के सशक्त नेतृत्व का भारत का हर नागरिक ह्दय से धन्यवाद
करता है।
-अनिरुद्ध खन्ना, सिहोर (म.प्र.)
एक झटके में ही हमारे देश के नेतृत्व और सेना के परस्पर सामंजस्य ने पाकिस्तान की धौंस के नाटक का बैंड बजा दिया। पूरे विश्व में पाकिस्तान आतंक के प्रचार-प्रसार के लिए बदनाम हो चुका है। उस पर विश्व के कई देशों की तिरछी नजर पड़ चुकी है और वे उसके चाल-चरित्र और चेहरे से अच्छी तरह परिचित हो चुके हैं। मजेदार बात यह रही कि इस बार भारत ने पाकिस्तान के घर में घुसकर इतनी तबाही मचाई बेचारा अपना दर्द भी देश-दुनिया के सामने बयां नहीं कर सका।
वह ऐसा कैसे करता, उसने आतंक की फसल जो बो रखी थी और दर्द बयां
करते ही वह और बड़ी मुसीबत थोड़े मोल ले लेता।
—हरिओम जोशी, भिण्ड (म.प्र.)
इस बार पाकिस्तान को उसकी धौंस भारी पड़ गई। भारत ने अपनी शक्ति का परिचय कराया और देश में उबल रहे गुस्से को शांत किया। लेकिन इसके बाद भी वह सुधरने का नाम नहीं ले रहा। सीमा पार से लगातार घुसपैठ और गोलाबारी जारी है। पता नहीं वह क्या चाहता है? आज विश्व स्तर पर हर देश अपने-अपने विकास के लिए नई-नई तकनीकें विकसित करके अपने लोगों को सशक्त करने में जुटा पड़ा है, ऐसे में पाकिस्तान आतंक की फसल को पानी देने में व्यस्त है। खैर देर से ही सही, उसे अपने पापों का परिणाम
भुगतना होना।
—रेखा कनौजिया, कठुआ (जम्मू-कश्मीर)
आज हम सभी देशवासियों को धर्म और अधर्म के बीच निर्णायक युद्ध में सहभागी होने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हो रहा है। ऐसे में हर देशवासी का कर्तव्य कि वह दृढ़ता के साथ धर्म के साथ खड़ा हो। यह सत्य है कि हर तरफ से कुछ देशविरोधी ताकतें देश पर हमला कर रही हैं। हमें इनसे ही लड़कर अपने देश को बचाना है। हमें यह तय करना है कि हम किस ओर हैं। अगर हम देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करते हैं तो इतिहास के पन्नों में हमारा नाम दर्ज किया जाएगा।
—आशुतोष श्रीवास्तव, लखनऊ (उ.प्र.)
सेना बोलती नहीं, पराक्रम दिखाती है। और उसने इस बार अपना पराक्रम दिखाया भी। दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति के चलते सेना का मनोबल ऊंचा हुआ और पाकिस्तान को करारा जबाव मिला। भारत को हजारों जख्म देने की बात करने वालों की पूरे विश्व ने निंदा की और भारत के पराक्रम की पूरे विश्व ने प्रशंसा की। पहले की सरकारों ने सेना को दब्बूपन का शिकार बना रखा था लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस दब्बूपन को दूर करके उनके हाथ खोल दिये।
—रमेश कुमार मिश्र, अंबेडकर नगर (उ.प्र.)
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
इसमें रत्तीभर भी संदेह नहीं। लेकिन अरसे से राज्य में विघटनकारी ताकतों के चलते यहां के खराब वातावरण के कारण पूरे देश पर इसका प्रभाव पड़ा है।
लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में जाए तो पाते हैं कि कहीं न कहीं इस समस्या को सुलझाने पर हमारे नेताओं का जोर कम बल्कि इसे भड़काने पर ज्यादा जोर रहा है। अगर उन्होंने पूरे मनोयोग से कश्मीर समस्या और आतंकवादी और अलगाववादियों के खात्मे के लिए कमर कसी होती तो आज कुछ और दृश्य देखने को मिलता। खैर, देर से ही सही केन्द्र में आसीन मोदी सरकार इस दिशा में बड़े सार्थक और उचित कदम उठा रही है। आने वाले दिनों में कश्मीर के हालात तो सामान्य होंगे ही, साथ ही विघटनकारी शक्तियां भी ठिकाने लग चुकी होंगी।
—जोगिंद्र ठाकुर, कुल्लू (हि.प्र.)
भारत में परिवर्तन का दौर चल रहा है। हमारा सौभाग्य है कि देश का नेतृत्व सशक्त हाथों में है और हम इस पुनीत कार्य में अपना योगदान दे पा रहे हैं। देश आर्थिक विकास के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं वैश्विक स्तर पर भी भारत को एक सशक्त पहचान प्राप्त हुई है।
—गोपाल कृष्ण अग्रवाल, नोएडा (उ.प्र.)
अल्लाह का नहीं, मुल्ला का फरमान
रपट 'तीन तलाक, नाजायज सोच (23 अक्तूबर, 2016)' अच्छी लगी। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि
वह समान नागरिक कानून नहीं मानेगा क्योंकि शरिया अल्लाह का फरमान है। हकीकत
यह है कि अल्लाह का फरमान तो कुरान है। बोर्ड के लोग ये बताएं इसमें तलाक कहां है? इसमें चार निकाह की खुली छूट कहां है?
ये सब बातें मुल्लाओं ने औरत को दबाकर
रखने के लिए शामिल की हैं। दूसरी
ओर देखें, तो बोर्ड तथा मुल्लाओं ने भारत के समान अपराध कानून को बिना विरोध
स्वीकार किया है। मगर ये मुस्लिम अपराध कानून की मांग नहीं करते जबकि वह सीधे-सीधे अल्लाह की वाणी है। कुरान (5:38) का कहना है कि चोर स्त्री हो या पुरुष, उसके दोनों हाथ काट दो। इसी प्रकार कुरान (24:2) व्यभिचारी स्त्री या पुरुष
को सौ-सौ कोड़े लगाना का भी आदेश
देती है। इस इलाही दंड संहिता के पक्ष में कोई मुल्ला-मौलवी, पर्सनल लॉ बोर्ड आवाज क्यों बुलंद नहीं करता? आखिर मुस्लिम महिलाएं पुरुषों के जुल्म और शोषण कब तक सहेगी।
—अजय मित्तल, मेरठ (उ.प्र.)
बढ़ता उन्माद
रपट 'दुर्गा पूजा बनाम मुस्लिम तुष्टीकरण (23 अक्तूबर, 2016)' से एक बात
जाहिर होती है कि हमारे कुछ सेकुलर नेता
देश में किसी न किसी प्रकार अशांति फैलाये रखना चाहते हैं। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे। कुछ इस्लामिक और मुस्लिम राष्ट्रों के इशारों पर चन्द लोग आर्थिक लोभ में अपने पूर्वजों और देश के वीरों के बलिदान को भूलकर देश
को बांटने में लगे हुए हैं तो कुछ लोग देश को फिर से ईसाई और मुस्लिम बहुल बनाना चाहते हैं। इसका परिणाम दिखाई दे रहा है। कई प्रदेशों में इनकी जनसंख्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में देशवासियों को खासकर हिन्दुओं को समझना होगा कि वे आपसी रंजिश और भेदभाव और अतीत को भुलाकर राष्ट्र सर्वोपरि है के ध्येय को लेकर एक साथ मिलकर कार्य करें। तभी
इन आसुरी शक्तियों से विजय मिल पाएगी।
नहीं तो आने वाला समय हिन्दुओं
के लिए अच्छा नहीं होगा।
—रीतेश दुबे, वाराणसी (उ.प्र.)
सेवा के लिए बड़े हाथ !
'सेवा संकल्प, जैसा नहीं विकल्प (16 अक्तूबर, 2016)' रपट पढ़कर मन गद्गद हो गया। छोटी-छोटी संस्थाओं द्वारा समाजहित के लिए जो कार्य किए जा रहे हैं वे न केवल प्रेरणापरक हैं बल्कि आम जन के दुखों को हरने वाले हैं। ऐसे छोटे-छोटे काम ही बड़ा रूप लेते हैं और लोगों के लिए प्रेरणापरक बनते हैं। अगर सभी लोग ऐसे ही विचार रखें और समाज के लिए कुछ करने की सोचने लगें तो आज जो समस्याएं बड़ी दिखाई देती हैं, उन्हें हल होते समय नहीं लगेगा। जो संस्थाएं और सेवाभावी कार्यकर्ता इन कार्यों में लगे हुए हैं वे समाज के लिए मानवता का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
—मूलचंद अग्रवाल, कोरवा (छ.ग.)
काले धन पर चोट
बड़े नोट रद्दी बने, लगी भयानक चोट
जिनके बक्सों में भरा, बेहिसाब था खोट।
बेहिसाब था खोट, रो रहे शीश पकड़कर
एक रात में खाली दिखने लगा उन्हें घर।
कह 'प्रशांत' मोदी ने ऐसा चक्र चलाया
काले पूंजीपतियों में हड़कंप मचाया॥
—प्रशांत
साहस के साथ शक्ति का परिचय
भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी कैंपों को तहस-नहस करते हुए दर्जनों आतंकियों को मौत की नींद सुला दिया। यह उड़ी हमले का बदला था जब आतंकियों ने पाकिस्तान की शह पर भारत के सैन्य ठिकाने पर आक्रमण किया था। रपट 'दहले धौंसबाज' से यह सवाल उठता है कि जब सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और सरकार की जय जयकार होने लगी तो कांग्रेस के पेट में दर्द क्यों हुआ? राहुल गांधी ने अनाप-सनाप सवाल उठाए और कहा कि सरकार खून की दलाली कर रही है। सेना ने अपना काम किया है, सरकार अपना काम करे। अब राहुल ये बताएं कि उनकी सरकार के समय सेना यह कार्य क्यों नहीं कर सकी? उन्हें यह पता होना चाहिए कि सेना हर बड़ी कार्रवाई सरकार के आदेश पर ही करती है। वे यह क्यों नहीं बताते कि संप्रग सरकार के समय उन्होंने सेना के हाथ बांधे हुए थे क्योंकि उनके लोगों में साहस ही नहीं था कि वे इस प्रकार की कार्रवाई कर पाते। राहुल गांधी के साथ ही उनके साथी संजय निरुपम और पी.चिदम्बरम भी सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे। इन लोगों को सेना के दावे पर भरोसा नहीं है। अब देश की जनता ऐसे लेागों को ठीक से समझ ले क्योंकि इन्हें सेना की बात पर भरोसा नहीं है, इन्हें पाकिस्तान की बात से भरोसा है। ऐसे में समझा जा सकता है इन लोगों की मंशा क्या है। खैर, ये तो सीधी बात है और इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए कि जो भी कार्य सरकार करेगी चाहे वह अच्छा हो या बुरा उसका लाभ और हानि तो उठाएगी ही। वर्तमान सरकार ने साहस के साथ सेना के हाथ खोलकर आतंकियों से निबटने की खुली छूट दी, इससे सेना का उत्साह वर्धन हुआ और उसका परिणाम देश के सामने है।
—अरविंद भटनागर, 144, आदित्य नगर, शाजापुर(म.प्र.)
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