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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पंजाब प्रांत के सह-संघचालक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री जगदीश गगनेजा का गत 22 सितंबर की सुबह देहांत हो गया। 6 अगस्त, 2016 की शाम जालंधर के ज्योति चौक पर अज्ञात हमलावरों ने उन्हें गोलियां मार कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था। गगनेजा जी को अत्यधिक गंभीर हालत में लुधियाना के दयानंद मेडिकल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इतने दिन बाद भी उनके स्वास्थ्य में कुछ सुधार नहीं हुआ और अंंतत: उनका स्वर्गवास हो गया। स्व.गगनेजा जी का जालंधर छावनी की शिवपुरी में अंतिम संस्कार किया गया। इस शोक घड़ी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक श्री बृजभूषण सिंह बेदी, उत्तर क्षेत्र प्रचारक श्री प्रेम कुमार, प्रांत कार्यवाह श्री विनय कुमार, सह-कार्यवाह श्री मुनिश्वर लाल, प्रांत प्रचारक श्री प्रमोद कुमार, पंजाब के उप-मुख्यमंत्री श्रीसुखबीर सिंह बादल, जालंधर महानगर के महापौर श्री सुनील ज्योति, विधायक श्री मनोरंजन कालिया, श्री परगट सिंह सहित भारी संख्या में गणमान्य लोगों ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्पमालाएं अर्पित कीं। कर्नल राहुल गगनेजा ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। गगनेजा जी अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी श्रीमती सुदेश गगनेजा व दो अन्य बेटियों शीतल और कोमल सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
पंजाब के सीमावर्ती छोटे से कस्बे जलालाबाद (पश्चिमी) जिला फिरोजपुर, में पिता श्री इंद्र दास व माता श्रीमती देवी के घर जन्मे जगदीश गगनेजा का परिवार उनके जन्म के बाद बठिंडा आकर रहने लगा। उनके पूर्वज लाहौर में रहते थे जहां उनका अच्छा खासा व्यवसाय था परंतु देश विभाजन के बाद सारा परिवार जलालाबाद आकर रहने लगा। गगनेजा जी के एक भाई श्री अविनाश गगनेजा आज भी बठिंडा के परसराम नगर में परिवार सहित निवास करते हैं। बठिंडा के श्री सनातन धर्म सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हासिल की और यहां के राजिंद्रा कालेज से स्नातक की शिक्षा हासिल की। गगनेजा जी बालपन से संघ से जुड़ गए और उनका पक्का ठिकाना संघ कार्यालय ही था। शिक्षा में वे मेधावी थे और हॉकी के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। साल 1968 की बात है कि पंजाब के मालवा इलाके में बठिंडा, मानसा, संगरूर आदि जिले नक्सलवाद से अत्यधिक पीडि़त थे। इस दौरान राजिंद्रा कालेज में छात्रसंघ चुनाव होने थे। गगनेजा जी नक्सली छात्र संगठनों के सम्मुख डट कर खड़े हो गए। नक्सलियों ने उन्हें चुनाव से पीछे हटने के लिए बहुत बार धमकाया परंतु वे नहीं माने। अपने इस कदम से वे पंजाब में नक्सल आतंकवाद के खिलाफ सशक्त आवाज बन कर उभरे। स्नातक की शिक्षा ग्रहण करते हुए ही उन्होंने 1970 में सेना में कमीशन ले लिया और आर्टिलरी ज्वाइन की।
सेना में प्रशिक्षण समाप्त करते ही 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया। उस समय उनकी यूनिट पंजाब के ही गुरदासपुर सैक्टर में तैनात थी। उनके व उच्चाधिकारियों के कुशल नेतृत्व के चलते भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नारोवाल जिले की शकरगढ़ तहसील के अधिसंख्य गांवों को अपने कब्जे में ले लिया। सेना में अपनी श्रेष्ठ सेवाएं देते हुए वे ब्रिगेडियर के पद तक पहंुचे।
सेवानिवृति के बाद वे अपनी ससुराल जालंधर महानगर में आकर रहने लगे पर यहां वे निष्क्रिय हो कर नहीं बैठे बल्कि विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ जुड़ कर पुन: देश की सेवा में लग गए। इस दौरान वे पुन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से देशसेवा में लग गए। विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजाब प्रांत के सह-संघचालक का दायित्व सौंपा गया। वर्तमान में वे समन्वय का दायित्व भी संभाले थे। श्री गगनेजा जी ने समाज के सहयोग से इन दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। 2014 में पंजाब में जहां 600 संघ शाखाएं थीं वहीं आज इनकी संख्या बढ़ कर 837 हो गई है। गगनेजा जी के नेतृत्व में पंजाब के गांवों में संघकार्य अप्रत्याशित रूप से बढ़ा। वे निर्विवाद व निस्वार्थ व्यक्तित्व के स्वामी थे। राकेश सैन
सदैव स्मृति में रहेंगे स्व. गगनेजा जी
मा. जगदीश गगनेजा जी के दुखद निधन का समाचार हम सभी के लिए अत्यंत वेदनादायक है। श्री गगनेजा जी अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता एवं संघ कार्य हेतु नि:स्वार्थ समर्पण के कारण सदैव स्मृति में बने रहेंगे। असमाजिक तत्वों द्वारा उनपर किए गए हमले की यह अंतिम परिणित होगी, यह हम सब ने सोचा तक नहीं था। केवल पंजाब प्रांत के संघ कार्य की दृष्टि से ही नहीं, अपितु समग्र संघकार्य की दृष्टि से मा. जगदीश गगनेजा की अनुपस्थिति असहनीय है। प्रभु चरणों में विनती है कि सभी निकटस्थ परिवारजनों को एवं आत्मीयजनों को इस दुखद आघात को सहन करने की शक्ति प्रदान करें एवं उनकी पवित्र आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।
—श्री भैयाजी जोशी
सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
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