घुमड़ रहे बादल, सिमट रहे आप
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

घुमड़ रहे बादल, सिमट रहे आप

by
Sep 19, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पंजाब/ विधानसभा चुनाव

दिंनाक: 19 Sep 2016 13:12:05

पंजाब में सत्ता लपकने के लिए बेचैन अरविंद केजरीवाल को उनकी ही पार्टी के भितरघातियों ने परेशान कर रहा है। रात-दिन की उठापटक  के बावजूद पंजाब की जमीन पर उनके पैर टिक ही नहीं पा रहे

प्रतिनिधि
इस बार का पंजाब चुनाव बहुत ही रोचक होने वाला है। अभी से चुनाव के मुकाबले तिकोने होते दिख रहे हैं जिस कारण किसी भी पार्टी को बहुमत मिलना मुश्किल लग रहा है। हालांकि अभी चौथे मोर्चे के पत्ते खुलने बाकी हैं। वैसे भी यह चुनाव अकाली भाजपा गठबंधन और अन्य दलों के बीच है, जिनकी अपनी परेशानियां है। यहां यह बात भी दीगर है कि पंजाब के लोगों का मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से मोहभंग नहीं हुआ है तथा अभी भी मतदाताओं में उनका विश्वास बरकरार है। हालांकि उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल समेत दूसरे कुछ मंत्रियों व नेताओं से लोगों की नाराजगी जाहिर होती रही है। अगर बारीकी से देखें तो गठबंधन में भी सब कुछ ठीक नहीं कहा जा सकता। इस दृष्टि से भाजपा को कड़ी मेहनत करनी होगी जबकि अकाली दल का पारंपरिक वोट बैंक काफी हद तक सुरक्षित है। हालांकि कांग्रेस के लिए यह चुनाव करो या मरो-की स्थिति वाला है, क्योंकि एक तो यह कैप्टन अमरिंदर सिंह की आखिरी पारी है। दूसरे, अगर पंजाब में कांग्रेस की वापसी इस बार न हुई तो फिर सत्ता में उसकी वापसी असंभव है, क्योंकि वैसे भी पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर सिंह के अलावा ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं है जो न केवल पार्टी को एकजुट रख सके, उनमें जोश भर सके बल्कि बादल को भी सीधी टक्कर दे सके। लेकिन पंजाब के तिकोने मुुकाबले कांग्रेस पर भारी ही पड़ते रहे हैं। गत चुनाव में भी मनप्रीत बादल की पीपीपी को कम ही वोट मिले थे, पर उतने वोटों ने ही कांग्रेस का सपना चकनाचूर कर दिया था, जबकि उसकी सरकार बनाने की प्रबल दावेदारी थी। इस चुनाव में भी जहां एक ओर मनप्रीत बादल को पार्टी में मिलाकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस को मजबूती दी तो उसका काम बिगाड़ने एक ओर आआपा व दूसरी ओर सिद्धू का 'आवाज ऐ पंजाब' मोर्चा आ गया। और यह सिर्फ कांग्रेस की चिंता का विषय नहीं बल्कि आआपा के लिए भी खतरा है। वैसे भी पूर्व के आंकड़े बताते हैं कि जिन राज्यों में कांग्रेस 15 वर्ष सत्ता से बाहर रही है, वहां उसका सत्ता में लौटाना संभव नहीं हो पाया है। इसलिए ही अमरिंदर सिंह व रणनीतिकार प्रशांत किशोर कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते। परन्तु बावजूद कैप्टन व कुछ पुराने कांग्रेसियों के अलावा कांग्रेस चुनाव में टिकती नजर नहीं आ रही।
जहां तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आआपा का सवाल है तो किसी को यह नहीं भूलना चाहिये था कि मोदी लहर के बावजूद पंजाब से उसके चार सांसद बनना केवल बदलाव की आहट नहीं थी बल्कि सुच्चा सिंह छोटेपुर का अनथक परिश्रम था, जिन्होंने न केवल नई पार्टी को प्रदेश में मजबूती से खड़ा किया अपितु गठबंधन को भी कड़ी चुनौती दी थी, और जब पूरे देश में झाड़ू का जादू नहीं चल पाया तो अकेले पंजाब ने उसकी लाज बचाई। इसका श्रेय छोटेपुर को ही जाता है। उनकी असमय व कुतर्कों के साथ विदाई से आआपा के कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं तथा इस तरह की परिस्थितियों में पंजाबी बदलाव के लिए सहमत होते नहीं दिख रहे। इसके विपरीत अगर आआपा सुच्चा सिंह व नवजोत सिद्धू को संभाल कर रख पाती तो यह निश्चित तौर पर बड़ी कामयाबी हासिल कर लेती। इन दोनों मोर्चों पर नुकसान भी आआपा को ही होगा। दूसरी ओर पार्टी से नाराज मौजूदा सांसद व विधायक आआपा को अच्छी—खासी क्षति पहुंचाने में सहायक होंगे। सांसद भगवंत सिंह मान को लेकर उठे विवादों से भी पार्टी का भला होता नहीं दिख रहा। इसी कारण मान को मंजर से अलग रखते हुए हास्य कलाकार गुरप्रीत गुग्गी को संयोजक बनाया गया है, लेकिन केजरीवाल की मुसीबत यह है कि पंजाबवासी उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे। वहीं कभी केजरीवाल के साथी रहे योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण व अन्ना हजारे सरीखे पुराने साथी भी आआपा के ताबूत में कील ठोंकने को तैयार बैठे हैं। जहां तक अनिवासी भारतीयों के आआपा को मजबूती देने की बात है तो वह भी अभी दूर की कौड़ी है, क्योंकि सोशल मीडिया पर आक्रामक होने का अर्थ चुनावी समर्थन नहीं होता। वैसे भी जिन मुद्दों पर सरकार को घेरा जा रहा है वे धीरे—धीरे खत्म होते जायेंगे और चुनाव के अंतिम दिनों में जिन मुद्दों के उठने की संभावना है, उनसे पार पाना आआपा के लिए आसान नहीं होगा। 'डैमेज कंट्रोल' के लिए भले ही पंजाब आये दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पार्टी के खिलाफ चल रही हवा को मोड़ने की असफल कोशिश की हो तथा लोक—लुभावन किसान घोषणा पत्र का हवाला देकर पंजाबवासियों को आकर्षित करने का प्रयास किया हो, पर वह स्थायी नहीं है। क्योंकि केजरीवाल के दिल्ली का रुख करते ही पार्टी के विरोध की नई इबारत लिखी जाने की आहट सुनाई पड़ने लगी है।

ेजरीवाल के लिए दिल्ली व पंजाब में सामंजस्य बैठाना भी असंभव हो रहा है क्योंकि पार्टी में कई भितरघातिए पहले से ही मौजूद हैं, जो समय—समय पर पार्टी के लिए नई मुश्किलें पैदा करते रहेंगे। संभावना है, चुनाव के दौरान नीतीश कुमार व ममता बनर्जी सरीखे नेताओं के समर्थन में उतरने से बाहरी बनाम पंजाबी का मुद्दा जोर पकड़ेगा जिसका नुकसान भी आआपा को होगा। वैसे भी अकाली गठबंधन फूंक—फूंककर कदम रख रहा है और गलती से भी गलती नहीं करने की इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है। जहां एक ओर अकाली-भाजपा गठबंधन व कांग्रेस का पूरा जोर चुनावी अभियान पर है वहीं आआपा अपने भितरघात से ही लड़ने में व्यस्त है।     वरिष्ठ पत्रकार व दोआबा पत्रकार मंच के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भंगू  कहते हंै,''आआपा ने दिखाया तो था कि वह बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है परन्तु पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम और उस पर लगे भ्रष्टाचार और यौन शोषण के आरोपों ने पार्टी की चुनावी मुहिम को बहुत पीछे धकेल दिया है।''
ऐसे ही दावे एसओआई के दोआबा प्रधान अमृतपाल सिंह डल्ली कर रहे हैं। वे कहते हैं,''केजरीवाल दिल्ली को तो संभाल नहीं पाये और पंजाब में खूंटा गाड़ने की बात करते हैं।'' हालांकि मुख्यमंत्री बादल पर अभी भी पंजाबियों का अटूट विश्वास है। वैसे भी समय साक्षी है कि भाजपा व उसके सहयोगियों ने अनेक राज्यों में स्थिर सरकारें देकर विकास के नये आयाम खड़े किये हैं। ऐसे में पंजाबी एक बार फिर गठबंधन को सत्ता सौंप दें तो कोई आश्यर्य की बात नहीं होगी। निष्कर्ष के तौर पर कह सकते हैं कि सत्तारूढ़ गठबंधन पिछले कुछ दिनों से मजबूती से उभरता नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री विकास की बयार बहाकर नाराज मतदाताओं को अपने पक्ष में कर रहे हैं। संभावना है कि चरित्र व पंजाबियत के मुद्दे पर पंजाब के लोग कोई समझौता नहीं करेंगे|। चुनाव में अभी समय है। लेकिन चुनाव के मुकाबले में कौन मैदान मारेगा,
यह देखना रोचक
होगा।
साथ में-ओमकार त्यागी    

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies