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चमत्कार जैसा इस बल्ब का चमकना

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Aug 16, 2016, 12:00 am IST
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दिंनाक: 16 Aug 2016 14:31:02

लद्दाख की जांस्कर घाटी में स्थित फुग्तल गोम्पा तक बिजली का पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यहां तक पहुंचने के लिए न तो सड़क है और न ही गाड़ी। दुर्गम रास्तों पर घंटों पैदल चलने के बाद आप इस गोम्पा तक पहुंच सकते हैं, लेकिन एक निजी कंपनी ने गोम्पा के 170 कमरों को रौशन कर दिया  
आज जब लोग चांद पर पहुंच चुके हैं तब फुग्तल गोम्पा (बौद्धों का पूजा स्थल) में पहली बार जले बल्ब को देखकर स्थानीय लोग इतने आश्चर्यचकित हुए कि पूछिए मत। ये लोग रातभर इस ऊहापोह में सोए नहीं कि कहीं बल्ब बंद हो गया तो फिर जले न जले। उनके  लिए गोम्पा में बल्ब का जलना किसी चमत्कार से कम नहीं था और वे हर पल का आनंद उठाना चाहते थे।
2,500 वर्ष पुराना यह गोम्पा लद्दाख के कारगिल जिले की जांस्कर घाटी में स्थित है। इस गोम्पा में पिछले दिनों ही बिजली पहुंची है। यहां तक बिजली पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। गोम्पा और उसके आसपास रहने वाले लोगों को इस चमत्कार का एहसास दिलाने का श्रेय जाता है ग्लोबल हिमालयन एक्सपीडिशन (जीएचई) को। जीएचई ने यहां आठ सोलर माइक्रो-ग्रिड्स लगाए हैं। इनकी वजह से आज इस गोम्पा  के 170 कमरे बल्ब की रोशनी से जगमगा रहे हैं। शिल्प कला की दृष्टि से अतुलनीय इस गोम्पा की एक गुफा में रसोईघर भी है। मिट्टी का तेल जलाने से यह गुफा काली पड़ गई है। अब उम्मीद है कि यह गुफा अपनी रंगत में लौट आएगी। गोम्पा में रोशनी का आना इस बात से अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि यह दुनिया के प्राचीनतम गोम्पाओं में से एक है।  
जम्मू-कश्मीर राज्य भौगोलिक आधार पर तीन क्षेत्रों में विभक्त है-जम्मू, कश्मीर एवं लद्दाख।  
राज्य का सबसे बड़ा क्षेत्र लद्दाख अपनी सुंदरता के साथ बौद्ध गोम्पाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित है। हेमिस, स्पितुक, थिकसे एवं शे जैसे कुछ अन्य गोम्पा हैं, जो विश्वप्रसिद्ध हैं। लेकिन आज हम आपको अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध फुग्तल गोम्पा के विषय में बताएंगे।  इस राज्य की सबसे ऊंची चोटी नुनकुन कारगिल में स्थित है। कारगिल जिला भी अपने आप में अनूठा जिला है। इस जिले में छह भाषाएं बोली जाती हैं- शीना, बाल्टी, कश्मीरी, ब्रोपका, पुरिग एवं बोटी। कारगिल के एक भाग से दूसरे भाग में पहुंचते ही भाषा में परिवर्तन आ जाता है।  द्रास में शीना समुदाय के लोग रहते हैं, तो बटालिक क्षेत्र में ब्रोपका, कारगिल शहर में बाल्टी तो जांस्कर में बौद्ध मत को मानने वाले लोग रहते हैं।
अत्यधिक बर्फबारी के कारण जांस्कर घाटी साल के आठ महीने तक शेष भारत से कटी रहती है। कारगिल से 232 किलोमीटर दूर स्थित पदुम जांस्कर घाटी  का मुख्य केंद्र है। जांस्कर की 90 प्रतिशत जनसंख्या बौद्ध है।  करषा और कानिकर जैसे ऐतिहासिक गोम्पा भी यहां हैं।
सामान्य गर्मी के दिनों में भी पदुम पहुंचने के लिए  कारगिल से 8-10 घंटे की यात्रा तय करनी होती है। 120 किलोमीटर के इस रास्ते में अभी भी पक्की सड़क नहीं है। पदुम पहुंचने के बाद फुग्तल गोम्पा जा सकते हैं। इसके लिए लुगनाक क्षेत्र से गुजरना होगा, जो अत्यधिक दुर्गम एवं रोमांचक है। पदुम से कुछ रास्ता गाड़ी से तय करने के बाद गाड़ी को छोड़ना पड़ता है और कई घंटे तक पैदल चलना पड़ता है। इस रास्ते में लुगनाक नदी को भी कई बार पार करना पड़ता है। रास्ते में छा और पुर्न नामक गांव पड़ते हैं और अंत में आप पहुंचते हैं फुग्तल गोम्पा।                   
— पाञ्चजन्य ब्यूरो

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