मार्क्सवादी हिंसा में तालिबानी बर्बरता
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

मार्क्सवादी हिंसा में तालिबानी बर्बरता

by
Aug 16, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 16 Aug 2016 14:35:01

केरल में 1960 से ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राजनीतिक हिंसा-हत्या में लिप्त रही है। उसके निशाने पर आज सिर्फ रा. स्व. संघ या भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं हैं, बल्कि वे हर राजनीतिक विरोधी को निशाना बनाते हैं। संघ कार्यकर्ताओं के विरुद्ध हिंसा की शुरुआत 1960 में उस वक्त हुई थी तब तेल्लीशैरी रामकृष्णन की हत्या की गई थी। उसे बाद से लगातार थोड़े-थोड़े अंतराल पर संघ अथवा भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या या उन पर जानलेवा हमलों का क्रम जारी रहा है। इसमें संदेह नहीं कि मार्क्सवादियों की इस हिंसा में तालिबानी तौर-तरीकों की स्पष्ट झलक दिखती है। केरल के मार्क्सवादी तंत्र का इस्लामी आतंकियों से कहीं न कहीं कोई गठजोड़ दिखता है, संभव है, मार्क्सवादी उनसे हिंसा का प्रशिक्षण लेते हैं। ऐसा मानने के पीछे एक वजह है। 2008 में सत्यन की जिस तरह गला काटकर हत्या की गई और कटे हिस्से को अलग रखा गया वह तालिबानी बर्बरता की मिसाल ही है। संदेह इस बात का भी है कि मार्क्सवादी पार्टी में आतंकी पैसा आ रहा है, पुलिस को इसकी जांच करनी चाहिए। केरल में एक 'हेट हिन्दू ब्रिगेड' या कहें 'ब्रेक इंडिया ब्र्रिगेड' सक्रिय है। इसका संचालन मार्क्सवादी करते हैं, भारत-विरोधी ताकतों की मदद से।  
आज उत्तरी केरल में अनेक 'पार्टी गांव' हैं यानी वे गांव जहां मार्क्सवादियों का दबदबा रहता है, दूसरी विचारधारा वालों के लिए वहां कोई स्थान नहीं होता। अगर कोई गैर मार्क्सवादी 'पार्टी गांव' में जाने की हिम्मत करता है तो वहां के कामरेड नेताओं का अपने जत्थों को खुला फरमान होता है कि ''वह जिस स्वरूप में आया है वैसा लौटना नहीं चाहिए, इसके लिए जो तरीका अपनाना हो अपनाओ।'' एक आतंक-सा बनाकर रखा जाता है। वे इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि उनका कोई कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर संघ में तो नहीं गया, और अगर जाता है तो उसे हिंसा का शिकार बनाया जाता है ताकि उस दिशा में सोच रहे उनके कार्यकर्ताओं को 'सबक' मिल सके।
ऐसा नहीं है कि इस हिंसा पर रोक लगाने के लिए संघ की तरफ से प्रयास नहीं हुए। कम से कम चार बार स्पष्ट कहा गया कि हिंसा का रास्ता छोड़कर मार्क्सवादी शांति का मार्ग अपनाएं, पर मार्क्सवादियों ने सदा उसे अनदेखा ही किया और स्तरहीन टिप्पणियां कीं। सबसे पहले वरिष्ठ प्रचारक दत्तोपंत ठेंगडी ने शांति का मसौदा तैयार किया, पर तत्कालीन मार्क्सवादी नेताओं ने सिर्फ कोरी हामी भरी, लेकिन हिंसा का क्रम नहीं टूटा। इसके बाद वरिष्ठ प्रचारक श्री पी. परमेश्वरन ने तत्कालीन वरिष्ठ मार्क्सवादी नेताओं के साथ शांति समझौता किया, लेकिन अभी समझौते की स्याही भी नहीं सूखी थी कि एक स्वयंसेवक की हत्या कर दी गई।  इसके बाद मेरे मुख्य संपादकत्व काल में साप्ताहिक केसरी में हमने एक लेख प्रकाशित किया था जिसके माध्यम से केरल के कम्युनिस्टों से शांति की अपील की गई थी लेकिन उसका उन पर कोई असर नहीं हुआ। फिर अभी कुछ समय पूर्व विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल की मृत्यु के संदर्भ में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने केरल में मीडिया से य्ह शोक समाचार साझा करने के लिए एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया था। वे उस वक्त केरल प्रवास पर थे, इसलिए वहां यह प्रेस वार्ता करने का निर्णय लिया गया था। उस प्रेस वार्ता में एक पत्रकार ने उनसे कम्युनिस्टों की हिंसा पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाहिए। श्री भागवत ने कहा भी कि यह अवसर ऐसे सवालों के जवाब देने का नहीं है, पर फिर भी पूछा है तो हमारा यही कहना है कि हम शांति के लिए तैयार हैं। इस पर आज के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने बहुत अशोभनीय टिप्पणी करते हुए श्री भागवत की बात को अनसुना कर दिया था। 
केरल में मारे गए कुल संघ कार्यकर्ताओं में से 98 प्रतिशत तो दलित समाज से आते थे, तो फिर माकपा दलित हितैषी कैसे कही जा सकती है? दिल्ली के जेएनयू में भाषण देने वाले कन्हैया  में अगर हिम्मत है तो तिरुअनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज में जाकर वहां एआइएसएफ की यूनिट खोलने की बात बोल कर दिखाएं, वहां के हालात समझ आ जाएंगे। 
उस कॉलेज में एसएफआइ के अलावा किसी और छात्रदल को काम नहीं करने दिया जाता। देश के बुद्धिजीवी केरल जाकर वहां के हालात देखें और चाहें तो उस पर श्वेत पत्र जारी करें। माकपा एक बड़ा छलावा है और उसी से वह सांस लेती है।  -जे. नंदकुमार अ.भा. सह प्रचार प्रमुख, रा.स्व. संघ  

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies