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कश्मीर में आतंकी बुरहान के मारे जाने के बाद घाटी में हुए उग्र प्रदर्शन में जहांं सैकड़ांे प्रदर्शनकारी घायल हुए वहीं करीब 1500 के करीब सेना के जवान भी घायल हुए। यह सब उस आतंकी के समर्थन में हुआ था जिसने अपने आपको सोशल मीडिया के जरिये प्रचारित किया और घाटी में खौफ पैदा करने की कोशिश की थी। बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी के अलगाववादियों ने उसके जनाजे पर सियासत का खेल खेला। सेना पहले भी इस तरह से घाटी में पनप रहे आतंकियों को मारती रही है, लेकिन अलगाववादियों ने इस घटना को ज्यादा ही भड़काने का काम किया। कुछ समय से कश्मीर में जो शंाति चली आ रही थी वह अलगाववादी तत्वों को रास नहीं आ रही थी।
अफसोस कि घाटी में उपजे हालात और सेना की जवाबी कार्रवाई पर सवाल उठाए गए। पर सवाल उठाने वाले इसका जवाब क्यों नहीं देते कि जब सेना के जवानों पर कोई हमला करेगा तो वे अपनी जान बचाने के लिए बल प्रयोग क्यों नहीं कर सकते? पूरी हिंसा का संचालन बहकाए गए युवकों के जरिए चलाया जा रहा था। अलगाववादियों ने देश के आजाद होने के बाद से ही इस तरह की हरकतें करना जारी रखा है। अलगाववादी और पाकिस्तानपरस्त तत्व नहीं चाहते कि देश में शांति रहे और सभी मत-पंथों के लोग मिल-जुलकर रहें। पाकिस्तान ने इस मामले में जिस प्रकार रुचि ली उसके लिए तो यही कहना ठीक होगा कि उसके यहां आए दिन बम धमाके होते हैं, रोजगार नहीं है, अन्य समस्याओं का बोलबाला है तब भी वह कश्मीर का राग अलाप कर घाटी के लोगों को भड़का रहा है। शायद उसे चार बार युद्ध में सबक मिलने के बाद भी समझ नहीं आई है। इसे कहने में बिल्कुल हिचक नहीं कि पाकिस्तान कश्मीर के अलगाववादियों को फंड देता है। घटनाओं को भड़काने के लिए इस फंड का प्रयोग यहां के अलगाववादी इस तरह करते हैं। 2014 के चुनाव में घाटी की जनता ने अलगावादियों को आईना दिखाया था। इन्होंने पैसे से लेकर बंदूक तक दिखाई पर इसका कोई असर नहीं हुआ। यहां लाखों लोग हैं, जो अपने देश के लिए कुर्बान होने को तैयार हैं और इसकी रक्षा के लिए तैयार रहते हैं। मुझे आतंकवादियों ने कई बार अगवा किया। पर मैं सच्चा मुसलमान होने के नाते एक सच्चा देशभक्त भी हूं। मुझे ऊपर वाले ने बचाया क्योंकि मेरी नीयत ठीक थी।
आज नरेन्द्र मोदी सरकार सबका साथ-सबका विकास की बात कर रही है और जम्मू-कश्मीर पर पूरा ध्यान दे रही है, उसके बाद भी यहां कुछ तत्व लोगों को केन्द्र सरकार के खिलाफ भड़काते हैं। राज्य के ही एक नेता कहते हैं कि बुरहान वानी के मरने से घाटी के युवाओं में उसके लिए प्यार और बढ़ेगा तो कांगे्रस के लोग कहते हैं कि यहां रायशुमारी करानी चाहिए।
कुछ अलगाववादी और कई राजनीतिक दल समय-समय पर युवाओं के रोजगार की वकालत करते नजर आते हैं। हां, बेरोजगारी है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि वे देश के खिलाफ हथियार उठा लें, सेना पर हमले करें, देश की अस्मिता को छिन्न-भिन्न करने पर आमादा हो जाएं। मैं मानता हूं कि घाटी में रोजगार के साधन उत्पन्न करने चाहिए ताकि लोगों का जीवन स्तर सुधर सके। आज घाटी में लाखों की तादाद में भाजपा की सदस्यता है और लोग देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचारों को पसंद कर रहे हैं। घाटी में भाजपा और पीडीपी की सरकार है। यही कारण है कि कुछ लोगों को यह सब रास नहीं आ रहा। बस मौका मिलते ही वे बुरहान जैसे आतंकी की आड़ लेकर युवाओं और घाटी के लोगों को भड़काने से नहीं चूकते। मेरा राज्य के नेताओं से यह कहना है कि अगर आपको सियासत करनी है तो मुल्क की तरक्की और राज्य की तरक्की के लिए करो, न कि देश में अशांति फैलाने के लिए। घाटी के भटके युवाओं से मेरा कहना है कि किसी के बहकावे में न आएं, खुद तय करें कि कौन क्या कर रहा है। अगर वे समझते हैं कि कश्मीर में उग्र प्रदर्शन करके आतंकियों का साथ देना सही है तो मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि इस्लाम में यह जायज नहीं है। इस्लाम कभी इस तरह की हरकतों को जायज नहीं मानता। अपने मुल्क की खिलाफत को भी वह ठीक नहीं मानता। जिसने भी इस्लाम को ठीक ढंग से समझा है वह जानता है कि इस्लाम कभी भी नहीं कहता किसी निर्दोष का खून कर दो, किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाओ, किसी के मत-पंथ का आदर न करो। यह इस्लाम में नहीं है। जो इससे उलट बोलते हैं मैं उन्हें दहशतगर्द मानता हूं। मैंने हमेशा उस बात का विरोध किया जो समाज विरोधी, देश विरोधी या किसी मत-पंथ के अपमान की थी। कई लोगों ने यहां 'बीफ पार्टी' करने की बात की तो मैंने उनका जमकर विरोध किया। उनसे मैंने कहा कि आपको किसने हक दे दिया कि आप किसी अन्य मजहब की भावना को ठेस पहुंचाएं? ऐसे कार्य यहां वे लोग करते हैं जो हिन्दुस्थान का खाते हैं, हिन्दुस्थान की सरकार की दी हुई गाड़ी और बंगला प्रयोग करते हैं, हिन्दुस्थान में रहते हैं, फिर भी हिन्दुस्थान के खिलाफ बोलते हैं। अगर ऐसा करने के बाद भी वे अपने को इस्लाम से जोड़ते हैं तो मैं उन्हें मुसलमान नहीं मानता। ऐसे लोगों को मैं संदेश देना चाहता हूं कि दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो कश्मीर को भारत से अलग कर दे। हम जैसे लाखों देशभक्त भारत की रक्षा के लिए बैठे हैं।
रही बात पत्थरबाजों की तो आज यहां ये दुकानदारी बन चुकी है। घाटी में कुछ मुल्ला-मौलवी भी इसी बहाने अपनी दुकानें चलाते हैं। वे कुरान की गलत ढंग से व्याख्या करके युवाओं को भड़काते हैं। पता नहीं उनकी कुरान कौन सी है। असल में अपने को फायदा पहुंचाने के लिए वे इस प्रकार का कार्य करते हैं। कुछ आयतों को वे गलत ढंग से पेश करते हैं जिससे हमारे नौजवान बहकें। लेकिन घाटी में देशभक्त मुसलमानों की कमी नहीं है। मैं सेना की भूमिका की प्रशंसा करता हूं क्योंकि इनके कारण ही हम अपने घरों में सुरक्षित बैठे हैं। अभी उग्र प्रदर्शन में सैकड़ों जवान जख्मी हुए। इनकी कोई बात नहीं करता। पत्थरबाजों की हर कोई बात करता है। घाटी में मीडिया का बहुत ही नकारात्मक रवैया रहता है। कई बार वह यहां माहौल सुधारने के बजाय बिगाड़ता है।
लेखक पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) से भाजपा के विधान परिषद सदस्य हैं
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