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-आलोक गोस्वामी, गुवाहाटी से लौटकर-
पुरानी कहावत है कि लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है। भारत की राजनीति में यह बात अनेक अवसरों पर पूरे अधिकार के साथ सामने आई है। शासक जब जनता के भरोसे से खिलवाड़ करता है और अहं में स्वेच्छाचारी हो जाता है, समाज की रोजी-रोटी और सुरक्षा की अनदेखी करता है तो वोट के अपने हथियार से जनता अपना फैसला सुनाकर उस शासक को बाहर का रास्ता दिखाती है। असम में यही हुआ है। गोगोई को बाहर का रास्ता दिखाकर जनता ने सोनोवाल के हाथ कमान सौंपी हैं।
राजधानी गुवाहाटी में 24 मई को नए मुख्यमंत्री के रूप मंे भाजपा नेता सर्बानंद सोनोवाल और उनकी मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर अद्भुत दृश्य दिखा। उसे जनोत्सव कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। असम की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को सहयोगी दलों, असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट को सरकार बनाने के लिए 126 मेें से 86 सीटों पर जीत दिलाकर भरपूर समर्थन दिया है। जनता को विश्वास है कि 'अहमिया' या असमिया पहचान बचाने का सोनोवाल ने जो वादा किया है, उस पर वे कायम रहेंगे। सोनोवाल यहां बड़ी संख्या में बसे जनजातीय समाज के विकास की चिंता करेंगे, वे संत शंकरदेव, माधव देव, रानी मां गाईिदन्ल्यू, सूफी संत अजान फकीर, स्वतंत्रता सेनानी लचित बड़फूकन, गोपीनाथ बारदोलोई, ज्योति प्रसाद अग्रवाल, खगेन महंत, भूपेन हजारिका जैसी विभूतियों के पूर्वोत्तर के स्वाभिमान के लिए किए तप को याद रखते हुए उसे गौरव प्रदान करेंगे।
और गुवाहाटी में इस जनोत्सव में इसलिए और जोश दिखा क्योंकि शपथ ग्रहण समारोह राजभवन के आलीशान हॉल में न होकर जनता के बीच, उसकी सहभागिता के साथ गुवाहाटी के विशाल खानापाड़ा मैदान में हो रहा था। असम के राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुई इस सुखद अनुभूति के प्रति लोगों में भारी उत्साह दिखा। शपथ समारोह शाम साढ़े चार बजे होना था लेकिन सुबह से ही गुवाहाटी ही नहीं, बल्कि नौगांव, बोंगाईगांव, नलबाड़ी, कोकराझार, कामरूप, रांगिया सहित ऊपरी असम के अनेक स्थानों से पुरुष, महिलाएं, वृद्ध, बाल भारी तादाद में मैदान में इकट्ठे होने लगे थे। लगातार बारिश के बाद उस दिन मौसम खुला तो था लेकिन भीषण उमस थी। पसीना छलका जा रहा था। बावजूद इसके माहौल में नारे गुंजाते लोगों के जत्थे भाजपा के झंडे थामे मैदान में दाखिल होते जा रहे थे। सार्वजनिक और निजी कारों पर भाजपा के झंडे लहरा रहे थे। कहीं किसी गाड़ी में रंगाली बिहू की अलमस्त लोकधुन बज रही थी तो कहीं जापी और असमिया गमछा धारण किए स्थानीय जन हंसते-इठलाते कार्यक्रम के लिए पहंुच रहे थे। महिलाएं उमसभरी गर्मी की परवाह किए बिना पूरे लकदक लिबास पहने दिखीं जिन्हें अमूमन उत्सवों के मौके पर पहना जाता है। मैदान में जहां तक नजर देख पा रही थी, लोगों का हुजूम नजर आता था। अंदाजन 2,00000 लोग उस समय वहां पूरे जोशोखरोश से उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री और सोनोवाल के मंच पर आते ही 'वंदे मातरम्' और 'भारत माता की जय' के नारे लगे। राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य ने सोनोवाल को शपथ दिलाई। साथ ही हिमंता बिस्ब सर्मा, अतुल बोरा, प्रमिला रानी ब्रह्म, केशव महंत, चंद्रमोहन पटोवारी, रिहान दैमारी, रंजीत दत्ता, परिमल शुक्लबैद्य, पल्लव लोचन दास और नबकुमार डोले को मंत्रीपद की शपथ दिलाई गई। कुल 8 कैबिनेट और 2 राज्यमंत्री बनाए गए। भाजपा के खाते से 6 मंत्री बने हैं तो अगप और बीपीएफ के खाते में 2-2 पद गए हैं। शपथ लेने के बाद असमिया में प्रदेश की जनता के अपार समर्थन और विश्वास के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि उनकी सरकार जन सहयोग से काम करेेगी। सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जो जनता को तकलीफ पहुंचाए। उन्होंने कहा, ''मैं असम को बंगलादेशी घुसपैठियों, भ्रष्टाचार और प्रदूषण से मुक्त प्रदेश बनाऊंगा। प्रदेश के हर जन की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करूंगा।'' उनके 9 मिनट के भाषण से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असमिया संस्कृति के अग्रदूतों को नमन करते हुए कहा कि सोनोवाल सरकार प्रदेश को एक नई शक्ल देगी। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान रह-रहकर मोदी-मोदी के नारे लग रहे थे।
कार्यक्रम में मंच पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित केन्द्र सरकार के तमाम मंत्री, पार्टी पदाधिकारी, सभी भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोागोई, पूर्वोत्तर के
शेष छह राज्यों के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबु नायडु सहित
भाजपा के अनेक सांसद, विधायक और नेता उपस्थित थे। *
गोगोई ने असम को बदहाली के कगार पर ला खड़ा किया था। लोगों में गुस्सा था, सोनोवाल के वादे पर भरोसा था। यही वजह है कि आप यहां इतनी भारी भीड़ देख रहे हैं। भाजपा ने असमिया संस्कृति को बचाने की और घुसपैठियों को भगाने की बात की है, उस पर हमें भरोसा है।
—गोविन्द्र चंद्र दास, विकास अधिकारी,एलआइसी, गुवाहाटी
सोनोवाल की छवि साफ-सुथरी और काम करने वाले नेता की है। अगर वे बोलते हैं कि असम की पहचान की रक्षा करेंगे तो मुझे यकीन है कि वे इसके लिए काम करेंगे।
—तपन ठकुरिया, प्राइवेट नौकरी, गुवाहाटी
सरकार अपने से सब थोड़े कर सकती है। हम सबको मिलकर असम की पहचान और तरक्की के लिए सरकार का साथ देना होगा। गोगोई के कामों से लोग खुश नहीं थे। उन्हें आम जनता की परवाह नहीं थी।
—अब्दुस्सुभान, निजी कारोबार, नलबाड़ी
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