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भारत की समुद्रतटीय नीति के विषय में गंभीर प्रयास करने जा रही है।केंद्र ने राजमार्ग, मार्ग यातायात और जहाजरानी मंत्रालय को एक मंत्रालय के अधीन किया और उन्हें रेलवे और पर्यावरण मंत्रालयों के साथ असरकारी तरीके से जोड़ा। सच यह है कि यातायात और आधारभूत ढांचे से जुड़े मुद्दों को अकेले ही नहीं देखा जा सकता। उन्हें समग्र तस्वीर में ही देखना होगा। इसलिए पहला निजी बंदरगाह दिग्घी इस दिशा में आदर्श उदाहरण के तौर पर माना जा सकता है। दूसरा 2016 के 'मेरीटाइम इंडिया समिट' जैसे आयोजनों के जरिये जहाजरानी मंत्रालय की पहली ऐसी शुरुआत से भारत की समुद्रतटीय आर्थिक क्षमता का अनुमान हो सकेगा। मोदी सरकार ने विशेष तौर पर बंदरगाह और जहाजरानी के आधारभूत ढांचे के विकास पर जोर दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार 2025 तक भारत के बंदरगाहों की क्षमता 3,000 मिलियन टन (एमटी) तक यानी दोगुनी हो जाएगी। 2015 तक बंदरगाह क्षमता 1,500 एमटी थी। यदि उपरोक्त सभी शुरुआतों को निजी क्षेत्र के महारथियों की सक्रिय सहभागिता प्राप्त हुई तो ये भविष्य में एशियाई क्षेत्र में अनेक क्षेत्रों में आमूल परिवर्तन ला सकेंगी।
-विजय कलंत्री (लेखक दिग्घी पोर्ट लिमिटेड के अध्यक्ष एवं महानिदेशक हैं)
मुख्य बातें
* राजमार्ग, मार्ग यातायात और जहाजरानी मंत्रालय हुए एक उन्हें रेलवे और पर्यावरण मंत्रालयों के साथ जोड़ा
* यूपीए कार्यकाल में प्रतिदिन हो रहा था 5.3 किमी. हाइवे निर्माण अब इसकी गति 16 किमी. प्रतिदिन
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