आवरण कथा/ असम विधानसभा चुनाव - जनता ने जताया भाजपा में भरोसा
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आवरण कथा/ असम विधानसभा चुनाव – जनता ने जताया भाजपा में भरोसा

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May 23, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 23 May 2016 16:18:02

असम में भाजपा ने जीत का परचम लहराकर कांग्रेस के पिछले 15 वर्षों के राज का खात्मा कर दिया है। असम की जनता ने भाजपा में विश्वास जताया और उसे पर्याप्त बहुमत दिया। राज्य की कुल 126 सीटों में से 86 सीटें एनडीए के खाते में गईं, जबकि कांग्रेस 26 सीटों पर सिमट गई। 2011 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 78 व भाजपा को 5 ही सीटें मिली थीं लेकिन इस बार बाजी पलटी और कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली। वहीं एआइयूडीएफ को 13 सीटों पर जीत हासिल हुई।
पूर्वोत्तर भारत में पहली बार असम में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम में भाजपा की जीत को ऐतिहासिक और अभूतपूर्व करार दिया है। उन्होंने कहा, ''पूरे देश में लोगों ने भाजपा पर भरोसा जताया और इसे एक ऐसी पार्टी के रूप में देखा जो समग्र और समावेशी विकास कर सकती है।''असम में भाजपा की जीत को कई मायनों में खास माना जा रहा है। पार्टी महासचिव राम माधव ने भी इस जीत को महत्वपूर्ण बताया है। सर्बानंद सोनोवाल की अगुआई में भाजपा के जीतने के कई बड़े कारण हैं। भाजपा ने सारा ध्यान स्थानीय मुद्दों पर लगाया, फिर चाहे वह बांगलादेशी घुसपैठ को रोकने की बात हो या फिर युवाओं को रोजगार देने की। प्रधानमंत्री मोदी ने भी स्वयं असम में अपनी रैलियों के दौरान राज्य की स्थानीय दिक्कतों को दूर करने का भरोसा दिलाया।
पिछले 15 वर्षों से लगातार असम की सत्ता पर काबिज कांग्रेस के खोखले दावों को जनता ने सिरे से नकार दिया। असम में बांगलादेशियों द्वारा लगातार हो रही घुसपैठ के कारण यहां कई हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। स्थानीय जनता इससे आजिज आ चुकी थी। कांग्रेस ने कभी भी बांगलादेशियों की घुसपैठ को रोकने की कोशिश नहीं की। उसने कभी इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया। भाजपा के लिए बांगलादेशी घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा थी। भाजपा ने बांगलादेशी घुसपैठ को पूरी तरह रोकने का वादा किया जिस पर जनता ने भरोसा जताया। चुनाव में उतरने के दौरान भाजपा ने वादा किया था कि असम में जो काम आजादी के बाद से अब तक नहीं हुआ वह यहां किया जाएगा। भाजपा असम को एक बार फिर से विकास की पटरी पर ले जाएगी।
असम चुनावों में जीत के लिए भाजपा ने राज्य के सामाजिक संगठनों व वहां के जनजातीय समूहों को अपने साथ जोड़ने के सार्थक प्रयास किए जिसका उसे फायदा मिला। भाजपा ने राभा, मिसिंग, राजबंशी और अन्य जनजातीय समूहों को अपने साथ जोड़ा जो उसकी एक बड़ी ताकत बने। असम विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 80 फीसदी तक मतदान हुआ। बाद के चरणों में भी मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ा। जानकारों का कहना है  कि मतदान फीसद का बढ़ना बदलाव का सूचक होता है। असम के चुनाव में यह सच साबित हुआ। असम के नौ मुस्लिम बहुल जिलों से भी भाजपा को काफी वोट मिले हैं। वहीं असम के 1.98 करोड़ मतदाताओं में से 35 प्रतिशत 30 वर्ष कम आयु के हैं। साफ है कि युवाओं ने भाजपा पर भरोसा जताया और उसके पक्ष में मतदान किया। असम के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो बीते तीन दशकों में छात्रों और युवाओं के सहयोग से ही कोई भी दल यहां सरकार बनाने में कामयाब हो सका है। छात्र नेता रहे प्रफुल्ल महंत 33 वर्ष की आयु में असम के मुख्यमंत्री बने थे। पिछले विधानसभा चुनावों में राज्य के युवाओं और छात्रों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था, नतीजतन उसी की सरकार बनी थी। असम के भावी मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं जिसके चलते नौजवानों ने उनके नेतृत्व में भरोसा जताया।  – विशेष प्रतिनिधि

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