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ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एकेडेमिशियंस (जीआईए) के पहले स्थापना दिवस पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में राष्ट्रवाद पर केन्द्रित विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने किया। शिक्षाविदों और प्रबुद्ध मातृशक्ति को संबोधित करते हुए डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि राष्ट्रवाद की अवधारणा को भारतीय नहीं कहा जा सकता, इसे तो अपने सुविधाजनक तरीके से अंग्रेजों ने प्रचलित किया। हमारे यहां राष्ट्रभाव का चिंतन रहा है।
पश्चिम की नजर में राष्ट्र केवल 200 वर्ष पुरानी अवधारणा है जबकि भारतीय सभ्यता में राष्ट्र व्यापक चिंतन है जिसमें सांस्कृतिक मजबूती, आस्था, और सबसे ऊपर एकात्मभाव प्रधान रहा है।
मुख्यवक्ता सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्त्ता जीआईए की संयोजिका श्रीमती मोनिका अरोड़ा ने कहा कि जेएनयू में कुछ छात्रों द्वारा जो देशद्रोह का अभियान चला, वह यूरोपीय अवधारणा पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के कारण हुआ। अतिविशिष्ट अतिथि महिला समन्वय की प्रमुख डॉ. गीता गुंडे ने कहा कि महिलाओं पर केन्द्रित हमारे ज्यादातर समूह केवल महिला संबंधी विषयों पर बोलते हैं जबकि जीआईए ने इस ढर्रे को बदला है। अतिथियों का स्वागत जी.आई.ए. की अध्यक्ष श्रीमती ललिता निझावन ने किया। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के सह प्रचार प्रमुख श्री जे. नन्दकुमार, श्री दीनानाथ बत्रा, प्रो. पी.सी. पंत, प्रो. इन्द्रमोहन कपाही, डॉ. राजकुमार भाटिया, डॉ. एन.के. कक्कड़, डॉ. श्रीराम ओबेराय, प्रो. उषा राव, डॉ. ए. के. भागी, प्रो. सुषमा यादव, प्रो. गीता सिंह, हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रमा, डॉ. जसपाली चौहान व डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा आदि उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
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