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रोहतक, वही शहर है जहां से अभी कुछ दिन पहले आरक्षण के नाम पर दंगों की शुरुआत हुई। आरक्षण की आग में सबसे ज्यादा झुलसने वाले इलाकों में भी यही प्रमुख रहा। यहां हुई हिंसा का मंजर जिन्होंने भी देखा, वे अभी भी आहत हैं। 18 से 26 फरवरी तक आरक्षण के नाम पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने कुछ ही समय में राज्य की हजारों करोड़ रु. की संपत्ति खाक कर दी। कइयों की जान चली गईं। हिंसा का यह तांडव कई दिनों तक चला। लेकिन उसके कुछ दिन बाद यानी 3 अप्रैल को समरसता मंच, हरियाणा द्वारा रोहतक की नई अनाज मंडी में संतों के सान्निध्य में सद्भावना सम्मेलन का आयोजन हुआ। इतनी बड़ी घटना के बाद शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि सम्मेलन में 1 लाख से ज्यादा लोगों का अपार जनसमूह उमड़ेगा। सम्मेलन में चंडीगढ़ से लेकर मेवात के आखिरी छोर तक और करनाल, पानीपत से लेकर महेंद्रगढ़, रेवाड़ी तक के करीब 6,700 सुदूर गांवों और बस्तियों से लोगों की सहभागिता रही। जो भी लोग आये वे हरियाणा में घटी हिंसा की घटनाओं से बहुत ही दुखी थे। कार्यक्रम में सभी ने एक स्वर से कहा, ''हम संकल्प लेते हैं कि हरियाणा में फिर से इस तरह की कोई घटना नहीं घटने देंगे, जिससे आपस में स्थापित भाईचारा टूटे।'' हालांकि कार्यक्रम को लेकर क्षेत्रीय मीडिया को छोड़ दें तो राष्ट्रीय मीडिया ने इस सम्मेलन में कुछ ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। यह वही मीडिया है, जो हरियाणा के दंगों को तो सनसनी बनाकर दिखाता है, लेकिन सद्भावना स्थापित करने के कार्यक्रमों को तरजीह देना ठीक नहीं समझता।
बहरहाल सद्भावना सम्मेलन जिस मंच के बैनर तले हुआ उसकी कल्पना हरियाणा में आरक्षण के नाम पर हुई हिंसा के बाद आई। समरसता मंच के संयोजक सुभाष आहूजा मंच के गठन के बारे में बताते हैं,''हरियाणा में आरक्षण के नाम पर जो हिंसा हुई, उसके बाद समाज का माहौल बेहद कटुतापूर्ण हो गया था। इस कटुता को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहल पर 27-28 फरवरी को विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं उनके प्रमुखों की एक प्रांतीय बैठक आयोजित की गई। इसमें सभी ने मिलकर निर्णय लिया कि सभी लोग सामाजिक समरसता मंच के बैनर तले राज्य के गांव-गांव जाएंगे और हिंसा के बाद लोगों के मन में जो दूरियां आई हैं, उन्हें पाटने के लिए उनके मन की बात सुनेंगे। मंच के संरक्षक के रूप में गीता मनीषी महामंडलेश्वर श्री स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के मार्गदर्शन में कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा तय की गई। मंच ने अपने गठन के समय प्रदेश के सभी 6,700 गांवों में इन आयोजनों को करने का संकल्प लिया। गांव-गांव में वाहन रैलियों, साइकिल यात्रा व राष्ट्र एकता यज्ञों का आयोजन किया गया। 27 मार्च तक सामाजिक समरसता मंच ने लगभग 2000 गांवों और बस्तियों में यज्ञ का कार्यक्रम किया, जिसमें सभी की सहभागिता रही।'' वे कहते हैं, ''विभिन्न सामाजिक संगठनों ने 27-28 फरवरी को ही तय किया था कि 3 अप्रैल को रोहतक में सद्भावना सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। रोहतक में कार्यक्रम करने का प्रमुख उद्देश्य एक ही था कि यह शहरइस हिंसा में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। इसलिए इस शहर को सबसे ज्यादा मरहम की जरूरत थी।''
आयोजन को सफल बनाने के लिए मंच ने चार टीमों का गठन किया जिन्होंने प्रमुख संतों, खाप के लोगांे, धार्मिक संगठनों, खिलाडि़यों और अभिनय से जुड़े लोगों को कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित किया। कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख संतों में योगगुरु बाबा रामदेव, जैन मुनि तरुण सागर महाराज, जूनापीठाधीश्वर श्री अवधेशानंद जी, आचार्य लोकेश जी, राधा स्वामी मठ के प्रमुख हुजूर कंवर साहेब जी महाराज उल्लेखनीय हैं। वहीं विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े ख्याति प्राप्त लोगों में हरियाणा से आने वाले पहलवान योगेश्वर दत्त, संग्राम सिंह, फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा, क्रिकेटर चेतन शर्मा, गायिका हिमानी कपूर, शतरंज खिलाड़ी अनुराधा बेनीवाल सहित कार्यक्रम में सहभागिता रही। समरसता मंच, हरियाणा द्वारा रोहतक में हुए इस सम्मेलन का एक ही उद्देश्य था कि पिछले दिनों राज्य में हुई हिंसा के बाद लोगों के मन में जात-पांत के नाम पर जो वैर भाव पनपा है, उनके मनों में खटास आई है, वह समाप्त हो। सम्मेलन में आए सभी प्रमुख लोगों ने एक ही साझा संदेश दिया कि हमें जात-पांत से ऊपर उठकर सोचना होगा। हरियाणा के लोगों ने अपने पुरुषार्थ से चीजों को हासिल किया है। उन्होंने कभी अपने स्वार्थ के लिए हिंसा नहीं की। यहां के लोगों ने प्रत्येक क्षेत्र में अपने समाज और राज्य का नाम रोशन किया है, इसलिए सभी को एकता, भाईचारा, सद्भावना के जरिये आगे बढ़ना है, न कि हिंसा के जरिये।
अपार जनसमूह को संबोधित करते हुए योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा, ''हरियाणा अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है न कि जाति के लिए। अब पिछले दिनों राज्य में घटी घटनाओं की आलोचना करने का समय नहीं है, लेकिन हमें कुछ बातों पर चिंतन करना होगा। हमारे समाज ने कभी राम, कृष्ण, गौतम, दयानंद, सुभाष, स्वामी विवेकानंद, सुखदेव की जाति नहीं पूछी। इन महान विभूतियों के कार्यों से ही देश इन्हें प्यार करता है, कभी कोई इनकी जाति नहीं पूछता। हरियाणा की पहचान तेजस्विता,ईमानदारी, सहजता तथा पराक्रमी, दूसरों की मदद करने वालों के रूप में रही है।''
सम्मेलन के संरक्षक गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा,''संतों में मौजूद सद्भावना का भाव यहां की जनता के बीच बांटने की आज बड़ी जरूरत है। हरियाणा वीरों, ऋषियों और गीता की धरती है। यहीं से विश्व में भाईचारे का संदेश गया है। इसलिए यहां पर जात-पांत का कोई स्थान नहीं है। खापों का गौरवशाली इतिहास रहा है। यह सदा बना रहे, इसके लिए सद्भावनापूर्ण प्रयास करने होंगे।'' जूनापीठाधीश्वर श्री अवधेशानंद गिरि ने कहा,''हरियाणा के लोगों ने अपने कर्म से इसे विश्व पटल पर सुशोभित किया है। यह प्रदेश आपसी समन्वय, एकता के लिए प्रसिद्ध है।'' जैनमुनि श्री तरुण सागर महाराज ने कहा,''जो गलती करके सुधार ले उसे भी हिन्दुस्थान माफ कर देता है। हमारी संस्कृति दूसरों को खिलाकर खाने की है।'' दीदी अमृता ने कहा,''समाज और भीड़ में अंतर होता है। हम लोग समाज के अंग हैं, न कि भीड़ का।'' क्रिकेटर चेतन शर्मा ने कहा,''हरियाणा वह प्रदेश है, जहां खिलाड़ी पैदा होते हैं, जो विश्व में देश-प्रदेश का नाम ऊंचा करते हैं।'' हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत ने भारत की संस्कृति का भान कराते हुए कहा,''भारत की संस्कृति वेदों की संस्कृति है और यह संस्कृति कहती है कि सिर्फ मनुष्य बनो। मनुष्य वही होता है जो दूसरों के दु:खों को दूर करता है।'' राधा स्वामी मठ के प्रमुख हुजूर कंवर सिंह महाराज ने कहा,''आज सदभावना सम्मेलन के मंच पर विभिन्न पंथों के प्रमुख उपस्थित हैं, लेकिन सबका एक ही संदेश है, वह है सिर्फ सदभावना।''
अर्जुन पुरस्कार विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने कहा, ''कुछ लोगों की वजह से हमारे राज्य का नाम खराब हुआ है। पर अब हमें किसी भी स्थिति में एक रहना है।'' पहलवान संग्राम सिंह ने कहा,''यहां के लोग अपने हैं, कोई गैर नहीं हैं।'' फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा ने कहा, ''राज्य के लोगों को जात-पांत से ऊपर उठना होगा।'' समरसता सम्मेलन में राज्य के अधिकतर जिलों से लोगों का आना हुआ। इस अवसर पर सभी 36 बिरादरियों का कोई न कोई प्रतिनिधि उपस्थित था। जिस तरीके से भीड़ उमड़ी और सभी जातियों ने इसमें सहभागिता की, उससे कहीं भी ऐसा नहीं लग रहा था कि हाल ही में यहां जाति के नाम पर रक्तपात हुआ है।
धर्म और सत्य पर जब संकट आया तो इसी धरती से द्वापर में श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद् गीता के माध्यम से संपूर्ण विश्व को धर्म का संदेश दिया। इस बार यह कार्य संतों ने अपने जिम्मे लिया है। इन संतों ने भी इसी धरती से हरियाणा में जो नफरत और कटुता का वातावरण बना था, उसे दूर करने का कार्य सदभावना सम्मेलन के जरिये किया है। उनका यह प्रयास कितना कामयाब रहेगा, इसकी परीक्षा आने वाले वक्त में होगी। – अश्वनी मिश्र
समरस भोजन का आनंद
सम्मेलन में आए सभी लोगों के खाने की व्यवस्था आस-पास के 86 गांवों से की गई थी। दहिया खाप की ओर से एक ट्राली केले वहां वितरित किए गए। जियो गीता संस्थान ने पानी के 60,000 पाउच वितरित किए, समारोह स्थल पर जनसेवा संस्थान ने पानी की पूरी व्यवस्था संभाली।
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