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और अभिषेक भरतरे बचपन के मित्र हैं। वे साथ खेले, खाए और राजगढ़ के राजेश्वर कॉन्वेंट स्कूल से एक साथ शिक्षा प्राप्त करने के बाद भोपाल के आरजीपीवी विश्वविद्यालय से एक साथ इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्री प्राप्त की। अब उन्होंने साथ मिलकर शिवनाथपुरा, देवरिया एवं बावडीखेड़ा गांवों की संयुक्त पंचायत को देश की पहली निशुल्क वाई-फाई युक्त पंचायत में बदल कर इतिहास रचा है।
करीब छह महीने पहले इस अभियान की शुरुआत करने से पहले भानु और तुषार अमदाबाद की एक वेब डिजाइनिंग कंपनी में काम करते थे, वहीं अभिषेक भरतरे एवं शकील भोपाल में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शकील इस समय नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू) से साइबर लॉ में पोस्ट गे्रजुएट की पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि अभिषेक मध्य प्रदेश सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। 1 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डिजिटल इंडिया अभियान की शुरुआत ने इन चारों युवाओं के जीवन की दिशा बदल दी। इससे प्रेरणा प्राप्त कर भानु एवं तुषार ने अमदाबाद की अपनी नौकरियां छोड़ दी। इसके पीछे उनका लक्ष्य इस अभियान में कुछ 'सार्थक सहयोग' करना था। इसके लिए उन्होंने राजगढ़ जिले के शिवनाथपुरा गांव का चयन किया और कड़ी मेहनत के बाद 4 अक्तूबर, 2015 को उसे वाई-फाई जोन में बदल दिया।
शकील की राय में 'इंटरनेट आज मूलभूत जरूरत बन चुका है। सभी सरकारी एवं स्थानीय विभाग अपने काम में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल मार्ग पर चल पड़े हैं। हालांकि शहरी क्षेत्रों में बहुत से व्यक्ति और एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही हैं, जबकि गांवों में ऐसी शुरुआत देखने को नहीं मिलती। गांवों में तो मोबाइल नेटवर्क भी अच्छी तरह से नहीं आता, इंटरनेट तो दूर की बात है। जब लोगों को मोबाइल फोन रीचार्ज करने के लिए भी बहुत दूर जाना पड़ता है तो ऐसे में वहां डिजिटल सेवाओं की हालत आसानी से समझ में आ सकती है ''इसलिए हमारा मानना है कि यदि ये बुनियादी सेवाएं गांवों में आसानी से उपलब्ध हों तो शहरों की ओर पलायन थमेगा और साथ ही गंवई जीवन भी आसान होगा। लिहाजा, हमने शिवनाथपुरा से यह छोटी सी शुरुआत करने का फैसला किया।''
हालांकि योजना को कार्यरूप देना आसान नहीं था। तुषार कहते हैं, ''हमें इस व्यवस्था के लिए 8,000 रु. प्रतिमाह खर्च करने पड़ते हैं। इंटरनेट की सुविधा के लाभ से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए राजगढ़ कंप्यूटर सेवा संस्था के बैनर तले हमने महीनों तक जनजागृति शिविर लगाए। बिजली की बेतरतीब आपूर्ति दूसरी बड़ी चुनौती थी, जिसे 200 एम्पियर के एक इनवर्टर की मदद से दूर किया गया। इसके बाद स्काईनेट ब्रॉडबैंड सॉल्यूशन की 4 एमबीपीएस लीज लाइन लेकर कार्य शुरू किया गया। शुरुआत में ही इस पर 1़ 80 लाख रु. का खर्च आ गया था।'' शुरू में ही इसे इतना जोरदार जन-समर्थन प्राप्त हुआ कि अन्य गांवों के लोगों की तरफ से भी इसकी मांग प्राप्त होने लगी।
शकील कहते हैं, ''चूंकि शिवनाथपुरा में शुरुआती आधारभूत ढांचा तैयार था, इसलिए अन्य गांवों में काम शुरू करने में ज्यादा समय नहीं लगा। 5़ 8 और 2़ 4 फ्रीक्वेंसी के उपकरणों के साथ औपचारिक तौर पर 1 जनवरी, 2016 को यहां भी इसकी शुरूआत कर दी गयी। अब 15 किलोमीटर के दायरे में न्यूनतम खर्च में ही इस सेवा का विस्तार किया जा सकता है।''
क्षेत्र में वाई-फाई सेवा ने जादू की पुडि़या जैसा काम किया। कुछ ही समय में 100 से अधिक लोगों ने स्मार्टफोन खरीद लिये और कई ने लैपटॉप। शकील बताते हैं, 'इस सेवा का सबसे अधिक लाभ छात्रों को मिला है। वे शिक्षा से जुड़ी ऐसी सूचनाएं प्राप्त करते हैं जो किताबों में नहीं मिलतीं। वे यूट्यूब पर वीडियो लेक्चर भी देखते हैं। किसान मौसम और मंडी के भाव आदि से जुड़ी सूचनाएं प्राप्त करते हैं। अब वे गांव में ही बैंक खाते भी खोल सकते हैं। इससे पहले इन सेवाओं के लिए उन्हें 8 किलोमीटर दूर खिलचीपुर जाना पड़ता था।' बावडीखेड़ा गांव के किसान नाथू सिंह कहते हैं, ''यह किसी अजूबे से कम नहीं है। युवाओं और किसानों को इसका सबसे अधिक लाभ पहुंचा है। यदि इसी तरह बिजली की आपूर्ति में भी सुधार हो जाए तो गांव का जीवन बेहद आसान हो जाएगा।''
शिवनाथपुरा में डेढ़ वर्ष से बैंक ऑफ इंडिया का कियोस्क चलाने वाले लक्ष्मीनारायण चौहान का कार्य-व्यापार भी लगभग दोगुना हो गया है। वे कहते हैं, ''बैंक की सुविधाएं प्राप्त करने के अलावा लोग आधार कार्ड, जमीन के दस्तावेज, मनरेगा के बारे में सूचना आदि भी डाउनलोड करते हैं। इससे पहले उन्हें इन सेवाओं की प्राप्ति के लिए खिलचीपुर जाना पड़ता था।'' वहीं बावडीखेड़ा पंचायत के ग्राम रोजगार सहायक प्रदीप शर्मा कहते हैं, ''इस सेवा को लोगों ने हाथोंहाथ लिया है। इतनी आसानी से काम होता देख लोग खुश हैं। ऐसे लोग जो मोबाइल फोन इस्तेमाल करना नहीं जानते, वे भी युवाओं से इस संबंध में जानकारी जुटाने लगे हैं।''
इस पहल से जिलाधिकारी तरुण कुमार पिथोड़े भी प्रसन्न हैं और उन्होंने राजगढ़ को अब ई-जिला बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। हालांकि उनका मानना है कि लंबे समय तक इस सेवा को मुफ्त प्रदान किया जाना संभव नहीं होगा। उनके अनुसार, ''हम कई मॉडल्स पर काम कर रहे हैं और इस दिशा में कुछ उद्यमियों से भी बात की है ताकि इसे व्यावहारिक बनाया जा सके।''
इसके बावजूद, इन युवाओं का यह दल केवल बावडीखेड़ा तक ही सीमित नहीं रहना चाहता। शकील के अनुसार, ''यह केवल शुरुआत है। यदि हमें गांव वालों, जन प्रतिनिधियों या सरकार की ओर से सहयोग मिलता है तो हम अन्य गांवों को भी इंटरनेट से जोड़ देंगे।'' कहना न होगा कि मध्य प्रदेश के चार युवाओं की इस पहल को यदि अन्य स्थानों पर भी अमल में लाया जाए तो ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकती है। प्रमोद कुमार
''डिजिटल इंडिया अभियान में छोटा-सा योगदान है ''
बावडीखेड़ा पंचायत को वाई-फाई सुविधा-संपन्न बनाने वाले चार युवाओं के दल में से एक शकील अंजुम का कहना है कि डिजिटल इंडिया अभियान देश में काम करने के तरीके में आमूल परिवर्तन कर सकता है। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश :
आपके मन में यह विचार कैसे आया?
जब मोदी जी ने 1 जुलाई, 2015 को डिजिटल इंडिया अभियान की शुरुआत की तो हमने उसमें अपनी ओर से कुछ ठोस योगदान देने का निश्चय किया, क्योंकि हमारा मानना है कि इससे देश में काम करने की दशा-दिशा में अभूतपूर्व परिवर्तन आने वाला है।
शुरुआती खर्च किसने वहन किया?
हमने अपनी जेब से करीब 2़ 5 लाख रुपए खर्च किए और अभी भी हम स्वयं प्रतिमाह स्काईनेट को 8,000 रुपए का भुगतान कर रहे हैं। यदि जन प्रतिनिधि या सरकारी एजेंसियां सहयोग दें तो हम इस सेवा को अन्य गांवों में भी ले जा सकते हैं। हमने यह शुरुआत किसी वित्तीय लाभ की आशा से नहीं की है। यह डिजिटल इंडिया अभियान में हमारा छोटा सा योगदान है। फिर भी, यदि भविष्य में यह सेवा दूसरे गांवों में दी जाती है तो इससे जुड़ा खर्च तो प्राप्त करना ही होगा।
आप सरकार से क्या उम्मीद रखते हैं?
सरकार कई तरह से मदद कर सकती है। जिलाधिकारी तरुण कुमार पिथोड़े इसमें काफी रुचि ले रहे हैं। सांसद और विधायक, सरपंच, जिलापंचायत अध्यक्ष आदि ने भी रुचि दिखाई है।
आपने प्रधानमंत्री मोदी से प्रेरणा ली। परंतु उनके दृष्टिकोण की विरोधी दल खूब आलोचना कर रहे है। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
मोदी जी का लक्ष्य देश को आगे ले जाना है। जहां तक मैं समझता हूं डिजिटल इंडिया अभियान से उनका अभिप्राय आम आदमी को सशक्त करना है। इससे न केवल सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार में कमी आएगी, बल्कि विकास की रफ्तार भी तेज होगी। इससे जन-ऊर्जा भी बचेगी, जो अभी बिना मतलब एक स्थान से दूसरे स्थान पर दौड़ने में खर्च होती है। कई दिनों और घंटों में होने वाला काम, मिनटों में हो सकेगा।
भावी योजनाएं क्या हैं?
गांवों का विकास सबकी संयुक्त जिम्मेदारी है। इस बारे में हम पूरी तरह से सरकार पर ही आश्रित नहीं रह सकते। सरकार जो कर सकती है, कर ही रही है। अब एनएलआईयू के मेरे कुछ मित्रों ने भी इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है और वे आगे आने लगे हैं। यदि सरकारी या अन्य एजेंसियां हमारा साथ दें, तो हम इस काम को और भी बेहतर और कहीं बड़े स्तर पर कर सकेंगे।
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