पठानकोट आतंकी हमला-एक रणनीतिक चुनौती
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पठानकोट आतंकी हमला-एक रणनीतिक चुनौती

by
Jan 11, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Jan 2016 12:26:21

प्रधानमंत्री की हाल की लाहौर यात्रा के बाद पाकिस्तान की बहुचर्चित 'डीप स्टेट' के भीतर सुगबुगाहट दिखी थी। यह अपेक्षित था। पाकिस्तान से व्यवहार करते समय पीठ में छुरा भोंके जाने, तीखी बयानबाजी और  ऐसे तत्वों की हर तरह की हरकतों के लिए तैयार रहना ही होता है जो किसी के भी नियंत्रण में नहीं हैं।
पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू करने की प्रक्रिया पर विचार चल ही रहा था कि पाकिस्तान की 'डीप स्टेट' ने इसे पटरी से उतारने का निश्चय कर लिया। पाकिस्तान से आने वाली आवाजों में 26/11 की जरह ही इस घटना से भी अपने को अलग बताने की गूंज सुनायी देती है। जाहिर है पाकिस्तान दोगना खेल खेल रहा है और इसने बीते वक्त से कुछ खास सबक नहीं लिया है। पठानकोट हमले के षड्यंत्रकारियों को यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के सदस्य बताकर इसे रफा-दफा करने की कोशिशें आईएसआई के पुराने खेल को ही उजागर करती हैं।
पठानकोट के संदर्भ में चर्चा करें तो उत्तरी पंजाब आतंकवादियों के निशाने पर तेजी से उभरता जा रहा है। यही वह इलाका है जिसमें तीन राज्यों-जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और पंजाब-की सीमाएं मिलती हैं। ये मिलन बिंदु सुरक्षा के किसी भी दृष्टिकोण से दुष्कर हैं क्येांकि इन पर उतना ध्यान नहीं रह पाता और बार-बार सचेत होने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा रावी नदी का तट होने से इस इलाके में बाड़ लगानी मुश्किल है, इसलिए घुसपैठ को रोकने की कार्रवाई ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
राष्ट्रीय राजमार्ग भी सीमा के नजदीक होने के चलते ऐसे तत्वों के लिए फायदेमंद सिद्ध होता है। 26 जुलाई 2015 को गुरदासपुर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमला इन्हीं सब हालातों की आड़ में हुआ था, और 'डीप स्टेट' ने 2016 में नये साल के मौके पर पठानकोट में वही हरकत दोहराने का फैसला किया। हमले का निशाना था पठानकोट का एयरबेस। यह घटना बाकी ज्यादातर आतंकी हमलों की तरह गुप्तचरी की नाकामी नहीं बल्कि घटना के प्रतिकार के तौर पर ज्यादा दिखती थी। घटना को रोका तो नहीं जा पाया, लेकिन कुछ हद तक नुकसान को सीमित कर दिया गया। वायुसेना की संपत्ति सुरक्षित रही। फिर भी भारत को सात बहादुर जवानों की शहादत से इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। मेरी नजर में जितना इस घटना में हुई चूकों पर बारीकी से विचार करने की जरूरत है उतनी है जरूरत है जवाबी कार्रवाई करने वाले बलों के उचित गठन, कमान और नियंत्रण की। साथ ही सूचना प्रबंधन तंत्र की भी समीक्षा होनी जरूरी है। इसमें सुधार अवश्य होना चाहिए।
लोगों के दिमाग में इस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पाकिस्तान से वार्ता को लेकर की गयी उत्साहजनक पहल के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। आज वक्त है कि कूटनीतिक रणनीति को सही राजनीतिक नजरिए से अपनाया जाए जो उपमहाद्वीप में सुरक्षा माहौल को स्थिर करने में मददगार साबित हो। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की द्विपक्षीय बातचीत के बाद किये जाने वाले कार्यों में पहला है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बैठक आयोजित करना। आपस में फोन के मुकाबले आमने-सामने की बातचीत में ज्यादा गंभीरता होती है। विदेश सचिव स्तर की बातचीत से पहले इस बैठक में यह तय हो जाना चाहिए कि वे कौन से बिंदु हैं जो वार्ता को पटरी से उतार सकते हैं और उनको किन तरीकों से मिलकर सुलझाया जा सकता है। यह चुनौती है रास्ते में डाली गयी अड़चनों से बचकर मार्ग तलाशने की।
पिछले कई साल के मुकाबले, आज भारत राजनीतिक और कूटनीतिक मार्ग में कहीं ज्यादा चुनौतियों का सामना कर रहा है। सौभाग्य से आज केन्द्र में राजनीतिक स्थिरता है इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की जोखिम उठाने की सामर्थ्य और उनकी निर्णय लेने की तीक्ष्णता इस चुनौती का सामना करने में सर्वथा उपर्युक्त है।
 (लेखक 15वीं कोर के जीओसी रहे हैं)
फोन पर जवाब मिला, 'सलाम वालेकुम'
आतंकवादियों द्वारा एसपी को उनके सहयोगियों के साथ अगवा किए जाने की खबर फैलने के बाद जब एसपी के सुरक्षाकर्मी कुलविंदर सिंह ने उनका फोन मिलाया, तो वहां से जवाब में सुनाई दिया-'सलाम वालेकुम'। कुलविंदर ने पूछा, 'आप कौन'? तो उससे पलटकर पूछा गया, 'आप कौन'? इसके बाद कुलविंदर ने कहा, 'यह मेरे एसपी साहब का नंबर है।' तो उधर से एक आदमी बोला, 'कौन एसपी साहब'? इसके बाद उसने फोन काट दिया। एसपी के नंबर पर किया गया वह आखिरी फोन था। कुलविंदर पिछले करीब पांच साल से एसपी सलविंदर सिंह के सुरक्षाकर्मी हैं। एसपी के चालक राजपाल सिंह ने बताया, 'नियंत्रण कक्ष से घटना की जानकारी मिलने के बाद, मैंने भी एसपी साहब के दोनों मोबाइल नंबरों पर फोन करने का प्रयास किया लेकिन फोन नहीं लगा'।
निशाने पर पठानकोट-जम्मू राजमार्ग?
पठानकोट में एयरबेस पर हुए आतंकवादी हमले ने फिर से इलाके को सुर्खियों में ला दिया है। कुछ महीने पहले यहां से सटे गुरदासपुर जिले में दिन-दहाड़े हुए आतंकवादी हमले में कई पुलिसकर्मियों की जान गई थी और हमलावरों ने घंटों तक एक पुलिस चौकी पर कब्जा बनाए रखा था। पिछले एक वर्ष में पंजाब के इस इलाके में कम से कम चार आतंकी घटनाएं हुई हैं जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ है। आखिर पठानकोट-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग- 44 निशाने पर क्यों है? यह राजमार्ग उधमपुर, अनंतनाग, श्रीनगर और उरी तक जाता है। पंजाब से लेकर जम्मू-कश्मीर तक जाने वाले इस राजमार्ग से पाकिस्तान की सीमा ज्यादा दूर नहीं है और कुछ इलाकों में सीमा सिर्फ छह किलोमीटर दूर है। जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा, जिसे एलओसी कहा जाता है, को कड़ी चौकसी के चलते पार करना मुश्किल है। शायद इसलिए कथित घुसपैठियों को पंजाब से सटी पाकिस्तान सीमा ज्यादा रास आती है। राजमार्ग के आस-पास दर्जनों फौजी ठिकाने हैं और फौजी यातायात की भरमार रहती है।

 ले.जनरल सैयद अता हसनैन 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Germany deported 81 Afghan

जर्मनी की तालिबान के साथ निर्वासन डील: 81 अफगान काबुल भेजे गए

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Germany deported 81 Afghan

जर्मनी की तालिबान के साथ निर्वासन डील: 81 अफगान काबुल भेजे गए

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies