सज्जन-शक्ति के जागरण का आह्वान
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सज्जन-शक्ति के जागरण का आह्वान

by
Jan 11, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Jan 2016 11:34:16

पुणे में शिवशक्ति संगम में स्वयंसेवकों का आह्वान करते हुए रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि हमारी परंपरा शिवत्व की है। शक्ति का साथ हो तो विश्व में हमें अनूठी पहचान प्राप्त होगी। हमारी शक्ति है चरित्र। चरित्र के साथ शक्ति के संगम के लिए ऐसे शिवशक्ति संगम अर्थात सज्जनों की शक्ति के प्रदर्शन की आवश्यकता है। सरसंघचालक के साथ मंच पर पश्चिम क्षेत्र संघचालक डॉ. जयंतीभाई भाडेसिया, प्रांत संघचालक श्री नानासाहेब जाधव और प्रांत कार्यवाह श्री विनायकराव थोरात उपस्थित थे।
  अपने उद्बोधन में सरसंघचालक ने तत्कालीन सामाजिक परिस्थिति पर प्रकाश डालते हुए संघ की स्थापना का महत्व तथा कार्य का विवेचन किया। उन्होंने कहा कि डॉ़ बाबासाहेब आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष में, स्त्री शिक्षण का अभियान आरंभ करने वाली सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर आयोजित यह शिवशक्ति संगम अद्भुत संयोग है। शिवशक्ति से हमें छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मरण हो आता है। सबके लिए  उचित न्याय करने वाले वे पहले राजा थे। उन्होंने सीमित राज्य में राष्ट्र का विचार सामने रखा था। शिवाजी ही धर्म राज्य हेतु आदर्श हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक थे। उन्होंने तत्व निष्ठा पर आधारित राज्य की कल्पना की थी। इसी तत्व निष्ठा के कारण हमने भगवा ध्वज को  गुरु माना है।
श्री भागवत ने कहा कि तत्वों में सद्गुण आवश्यक है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वही कार्य कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हमारी परंपरा शिवत्व की है। सत्य, शिव और सुंदर हमारी संस्कृति है। समुद्र मंथन से जो हलाहल निर्माण हुआ, उससे सृष्टि के मार्ग में कोई बाधा ना आए इसलिए जिन्होंने उस विष का प्राशन किया, वही नीलकंठ हमारे आराध्य देव हैं। उनको आदर्श मानकर ही हमारी यह यात्रा चल रही है। शिवत्व की परंपरा शाश्वत अस्तित्व के तौर पर जानी जाती है। शिव को शक्ति का साथ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई शक्तिशाली देशों की बुराई पर चर्चा नहीं करता। उसे सब चुपचाप सह लेते हैं। लेकिन उनसे अच्छे, परंतु शक्ति में कम देशों की अच्छी बातों पर भी चर्चा नहीं होती। उन्होंने रवींद्रनाथ ठाकुर के जापान में दिए व्याख्यान की चर्चा की जिसे सुनने कई छात्र नहीं आए, क्योंकि उनका कहना था कि हम किसी गुलाम राष्ट्र के व्यक्ति का भाषण क्यों सुनें। श्री भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हुए युद्धों में हमारी विजय और परमाणु परीक्षण के बाद भी हमारी प्रतिष्ठा नहीं बढ़ी। देश की शक्ति बढ़ती है, तब सत्य की भी प्रतिष्ठा बढ़ती है। इसलिए आज हमें शक्ति की नितांत आवश्यकता है। यह हमारी परंपरा है। हमारे यहां त्याग से, चरित्र से शक्ति जानी जाती है, शक्ति का विचार शील से आता है। इसलिए हमें शीलसंपन्न  शक्ति की आवश्यकता है और शीलसंपन्न शक्ति सत्याचरण से बनती है।
श्री भागवत ने कहा कि विविधता में एकता स्वीकारने के लिए सबको समदृष्टि से देखने की आवश्यकता है। विषमता के लिए कोई स्थान नहीं है। भेदों से ग्रस्त समाज की प्रगति नहीं होती। उन्होंने इस्रायल के स्वाभिमानी स्वभाव एवं विकास का उदाहरण दिया और कहा कि संकल्पबद्ध समाज सत्य की नींव पर खड़ा हो, तो जो होता है, उसका वह देश उत्तम उदाहरण है। संविधान निर्माण के वक्त डॉ़ बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि राजनीतिक एकता तो है, किंतु आर्थिक और सामाजिक एकता के बिना वह टिक नहीं सकती। सरसंघचालक ने कहा कि हम कोई युद्ध हारे तो वह दुश्मन के बल के कारण नहीं, बल्कि आपसी भेद के कारण हारे। भेद भूलकर एक साथ खड़े न हों तो संविधान भी हमारी रक्षा नहीं कर सकता। व्यक्तिगत और सामाजिक चरित्रनिष्ठ समाज बनना चाहिए। सामाजिक भेदभाव पर कानून में प्रावधान कर समरसता नहीं लाई जा सकती। यह आचरण से आती है। महात्मा गांधी कहते थे कि विवेकशून्य उपभोग, चारित्र्यहीन ज्ञान, मानवता के बिना विज्ञान और त्याग के बिना पूजा सामाजिक अपराध है। अपराधों का निराकरण करना ही पूर्ण स्वराज्य है। इस तरह की संपूर्ण स्वतंत्रता, समता और बंधुता वाले समाज का निर्माण करना संघ का ध्येय है,  इसी के लिए संघ की स्थापना हुई है। उन्होंने आगे कहा कि शिवत्व और शक्ति की आराधना के लिए डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। संघ की स्थापना से पूर्व और बाद में भी उन्होंने सभी आंदोलनों में सहभागी होकर कारावास भी भुगता। सभी प्रकार की विचारधाराओं के लोगों से उनका परिचय था। उनका मत था कि गुणसंपन्न समाज की निर्मिति के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए उन्होंने उपाय खोजा-सबको एक साथ बांधने वाला धागा यानी हिंदुत्व। मातृभूमि के लिए आस्था हिंदू समाज का स्वभाव है। इसके आधार पर संस्कृति आगे बढ़ती है, पुरखों का गौरव होता है। आज विश्व को इसकी आवश्यकता है। भारतीय मूल्यों की प्रतिष्ठापना करने हेतु संगठन की आवश्यकता है। राष्ट्रीय चरित्र वाले समाज का निर्माण करना और देश को परम वैभव पर ले जाना ही संघ का कार्य है। किसी भी प्राकृतिक विपत्ति के समय राहत के लिए आगे आने वाला स्वयंसेवक ही संघ की पहचान है। नेताओं और सरकार के बूते देश नहीं बढ़ता, बल्कि वह चरित्र-संपन्न समाज पर टिका होता है। शिवशक्ति संगम का उद्देश्य समाज परिवर्तन का मार्ग दर्शाना है।

संघ का लक्ष्य देश के लोगों को संगठित करने के अलावा और कुछ नहीं। यह संगम उसी का प्रतीक था।
     — मनमोहन वैद्य, अ.भा. प्रचार प्रमुख, रा. स्व. संघ
  आंकड़ों में शिवशक्ति संगम

    1,58,772 गणवेशधारी स्वयंसेवक; इनमें 35,730 कॉलेज विद्यार्थी थे।
    450 एकड़ भूमि पर आयोजित संगम की तैयारियां 6 महीने में हुईं पूरी।
    80 फुट ऊंचे, 200 फुट लंबे और 150 फुट तीन मंजिले मंच की 56 सीढि़यां।
    संगम स्थल पर लगा था 70 फुट ऊंचा भगवाध्वज।
    200 एकड़ के मैदान पर थी वाहन पार्किंग  
    संगम क्षेत्र को दिया शिवाजी की राजधानी रायगढ़ किले जैसा स्वरूप, बने थे 14 प्रवेश द्वार।
    पर्यावरण संरक्षण पर सर्वाधिक ध्यान
    20 संगठनों ने इस हेतु दी सहायता। शानदार सेवाएं मुहैया कराईं।
    करीब 1,00,000 भोजन पैकेट तैयार करके दिए पुणे-पिंपरी-चिंचवड़ के परिवारों ने।
    भोजन पैकेट बांटने के लिए 2,000 महिलाओं ने वक्त दिया।
    1,000 स्वयंसेवक  पुणे के चौराहों पर खड़े होकर संगम की जानकारी आने-जाने वालों को देते रहे।

ऐसे हुई संगम की तैयारी
 पुणे से मोरेश्वर जोशी और विराग पाचपोर
पुणेशहर उन दिनों एक भव्य-दिव्य आयोजन की गहमागहमी से उत्साहित था। आईटी हब हिंजेवाडी के पास मारूंजी गांव में 3 जनवरी, 2016 को  रा.स्व. संघ के 'शिवशक्ति संगम' का शिव-नाद हुआ था। संघ का यह संगम कोई साधारण आयोजन नहीं था। सच मानिए तो इस संगम ने जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। कुल 1,58,772 गणवेशधारी स्वयंसेवकों के एक स्थान पर एकत्रीकरण का दृश्य अद्भुत था। उनके अलावा बड़ी संख्या में आम जनता भी सहभागी हुई। संदेह नहीं कि संघ के इतिहास में इससे बड़ा एक दिवसीय आयोजन आज तक नहीं हुआ था। इससे पहले 1983 में पुणे में ही ऐसा एक विशाल आयोजन तो हुआ था, पर उसमें 35,000 गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया था। 450 एकड़ भूमि पर आयोजित इस संगम के लिए तैयारियां 6 महीने पहले ही शुरू हो गई थीं। हालांकि पूरा मैदान ऊबड़-खाबड़ था पर इस बीच 8,000 स्वयंसेवकों ने मिलकर इसे सुंदर समतल मैदान बना दिया। संगम की संकल्पना से लेकर इसके आयोजन तक की कहानी भी बड़ी रोचक है। शुरुआत हुई पिछले अक्तूबर माह में जब स्वयंसेवकों ने यहां भूमि पूजन किया था। तारीख थी 18 अक्तूबर, 2015 और उस पूजन कार्यक्रम में  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी स्वयं उपस्थित थे। साथ में थे पुणे के अति सम्मानित स्वामी स्वरूपानन्द। भूमिपूजन के तुरंत बाद संगम की अन्य तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गईं।
सबसे पहले बात करते हैं मंच की। 80 फुट ऊंचे मंच पर पहंुचने के लिए बनीं 56 सीढि़यां। संगम में सबसे ऊपरी तल पर बैठे थे सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी और पश्चिम क्षेत्र और प्रांत के वरिष्ठ संघ अधिकारी। पहले और दूसरे तल पर अति विशिष्ट लोगों के बैठने की व्यवस्था थी। मंच का निर्माण प्रसिद्ध कला निर्देशक नितिन देसाई की देखरेख में हुआ था। मंच के पृष्ठ भाग में 'तोरणा' किले की अनुकृति बनी थी। पश्चिमी महाराष्ट्र गढ़ और किलों का ही क्षेत्र है और वे सब किसी न किसी प्रकार शिवाजी महाराज से संबद्ध रहे हैं। तोरणा किले की विशेषता यह है कि शिवाजी महाराज ने केवल 15 वर्ष की आयु में अपने बाल-मित्रों की मदद से इस किले को जीता था। आगे चलकर यह किला 650 वर्ष की गुलामी के विरुद्ध शुरू हुई लड़ाई का अहम हिस्सा बना था। शिवाजी ने यहीं से हिन्दवी स्वराज अभियान की शुरुआत की थी। पुणे शहर में प्रवेश के लिए चार द्वार बनाए गए थे जो फूलों से सजे थे। सभी द्वारों पर एक 'मावला' तैनात किया गया था। उल्लेखनीय है कि शिवाजी की सेना में शामिल जांबाज सैनिकों को मावला कहा जाता था। उनकी सेना में इन सैनिकों की संख्या सबसे अधिक थी।
संगम स्थल पर लगाया गया था 70 फुट ऊंचा भगवाध्वज। 150 एकड़ मैदान पर वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। संगम में आए 60,000 आम लोगों के बैठने की व्यवस्था भी एकदम चुस्त-दुरुस्त थी। परिसर की निगरानी आधुनिक तकनीक से सुसज्जित स्वयंसेवक कर रहे थे। मोबाइल जैमर लगाने के साथ ही यहां सुरक्षा पर नजर रखी जा रही थी। पूरे क्षेत्र की निगरानी के लिए सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाए गए थे। संगम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना से लेकर अब तक की उसकी यात्रा को आधुनिक तकनीक के जरिए प्रदर्शित करने के लिए लगी डिजिटल प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। संगम क्षेत्र के चारों ओर छत्रपति शिवाजी के रायगढ़ किले जैसी दीवारें बनाई गई थीं। इसमें 17 प्रवेश द्वार बनाए गए थे। सभी प्रवेश द्वार शिवकालीन इतिहास के प्रेरक प्रसंगों से सुसज्जित थे। अलग-अगल किलों की आकृतियां बनी थीं। साथ ही प्रमुख संतों और रा़ स्व़ संघ के पहले दो सरसंघचालकों, डॉ. हेडगेवार और श्री गुरुजी के विशाल चित्र लगाए गए थे।
शिविर के लिए निर्धारित 100 एकड़ क्षेत्र को 80 हिस्सों में विभाजित किया गया था। हर हिस्से में 1,024 स्वयंसेवकों के ठहरने का प्रबंध किया गया था। 44 सिद्धता केन्द्र  बनाए गए थे। इनमें एक महिलाओं के लिए था। हर सिद्धता केन्द्र की सुरक्षा के लिए 100 स्वयंसेवक तैनात किए गए थे। हर केन्द्र में 2,000 स्वयंसेवकों के लिए हर तरह की सुविधाएं थीं। इन केन्द्रों के शौचालयों से निकले अवशिष्ट को पर्यावरण रक्षण की दृष्टि से गड्ढे खोदकर जमीन के अन्दर पहंुचाया गया था। इससे जैविक खाद और खाना पकाने की गैस बनाई जाएगी।  संगम में 34 केन्द्र बनाकर सूखे से प्रभावित किसानों के लिए राहत राशि इकट्ठी की जा रही थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े साहित्य की बिक्री भी की गई और सामग्री की प्रदर्शनी लगाई गई। संगम में आए स्वयंसेवकों के लिए हर 50 मीटर की दूरी पर पेयजल की व्यवस्था की गई थी। संगम में आने वाले स्वयंसेवकों का 15 दिसम्बर, 2015 तक पंजीकरण किया गया था। उस दिन तक 1,55,000 स्वयंसेवकों ने पंजीकरण कराया था।  
ये स्वयंसेवक सात जिलों (अहमदनगर, सातारा, नासिक, पुणे, सांगली, शोलापुर और कोल्हापुर) के थे। बाहर से आने वाले स्वयंसेवकों के लिए खाने के करीब 1,00,000 पैकेट पुणे शहर के घरों से इकट्ठा किए गए। दोपहर में सुपारी के पत्तों से बनी थाली और दोने में स्वयंसेवकों को खाना दिया गया। व्यवस्था ऐसी कि सभी स्वयंसेवकों ने केवल 2 घंटे में भोजन कर लिया। पर्यावरण की रक्षा के लिए पत्तों से बने दोने और थालियों को जमीन के अन्दर गाड़ दिया गया। संगम स्थल से ही खबर भेजने के लिए पत्रकारों को  इंटरनेट उपलब्ध कराया गया था। ड्रोन के जरिए संगम के वीडियो और चित्र लिए गए। संगम में 2,000 स्वयंसेवकों ने घोष वादन में भाग लिया। आम जन को संगम की जानकारी देने के लिए पुणे शहर में संघ के 1,000 कार्यकर्ताओं ने लगातार 8 दिन तक  सम्पर्क अभियान चलाया था।  कॉलेज विद्यार्थ्िायों को संदेश पहंुचाने के लिए पुणे के सभी प्रमुख महाविद्यालयों के सामने नुक्कड़ नाटक किए गए। पुणे के विख्यात चिकित्सकों की देखरेख में14 प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी बनाए गए थे।  व्यवस्था की दृष्टि से 35 विभाग बनाए गए थे जिनकी कमान विशेषज्ञ कार्यकर्ताओं के हाथों
में थी।

संगम में आए गणमान्य जन
संगम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पुणे जिले के पालक मंत्री गिरीश बापट, पुणे के सांसद अनिल शिरोले, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, सांसद हरिश्चंद्र चह्वाण, डॉ. अशोक कुकडे़, उद्यमी अभय फिरोदिया, स्वामी त्रिलोकतीर्थ, ज्ञानी चरण सिंह, कालसिद्धेश्वर महाराज, आचार्य विश्वकल्याण विजयश्री महाराज और राष्ट्रसंत भैय्यूजी महाराज आदि प्रमुख रूप से शामिल हुए।      

खूब भाई शिदोरी  
महाराष्ट्र में शिदोरी माने राह का भोजन। संगम में मिली शिदोरी खाने के बाद स्वयंसेवकों ने इसके स्वाद की खूब तारीफ की। शिदोरी तैयार करने में स्वयंसेवकों के घरों की महिलाओं ने बड़ी भूमिका अदा की। कई सोसायटियों में सामूहिक रूप से भोजन तैयार हुआ। भोजन के पैकेटों को इकट्ठा करना भी एक बड़ी चुनौती थी। इसके लिए पुणे-पिंपरी-चिंचवड़ की अनेक बहनों ने कार्य किया। भोजन के 10 पैकेट प्रत्येक बक्से में रखे गए जो बाहर से आने वाले स्वयंसेवकों को वितरित किए गए। 
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में शिदोरी की लंबी परंपरा रही है। आलंदी से प्रतिवर्ष लाखों वारकरी भक्त पैदल पंढरपुर जाते हैं। उस समय उनके भोजन का प्रबंध स्थानीय लोग ही करते हैं, लेकिन कई लोग अपने घर से लाई ये शिदोरी ही खाते हैं। यह उनके व्रत का हिस्सा होती है।

शिवशक्ति संगम बहुत शानदार था।  संघ के स्वयंसेवकों का अनुशासन और नि:स्वार्थ भाव अविस्मरणीय था।
—अभय फिरौदिया,अध्यक्ष, फोर्ड मोटर्स

अद्भुत था यह संगम, क्या गजब मस्तिष्कों का प्रभावकारी तंत्र।
—राहुल कराड, निदेशक, एमआईटी

संगम ने दिखाया कि जब नि:स्वार्थ लोग जुटते हैं तो क्या होता है। मोहन जी द्वारा धर्म, संस्कृति, इतिहास और शक्ति के सूत्र तथा राष्ट्र के वैश्विक नेतृत्व पर इसके असर को अत्यंत प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया जाना अत्यंत प्रेरणादायी रहा।
—अविनाश बेलगमवार,अध्यक्ष, कोनेक्स समूह

शिव शक्ति संगम में भाग लेना मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। इसने मुझे गणवेश पहनकर स्वयंसेवक के नाते एक दिन व्यतीत करने का एक अवसर दिया।
—संजय ईनामदार,  निदेशक, बीएचएयू इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरप्रीन्योरशिप, लीडरशिप डेवलपमेंट      

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

बलूचिस्तान ने कर दिया स्वतंत्र होने का दावा, पाकिस्तान के उड़ गए तोते, अंतरिम सरकार की घोषणा जल्द

IIT खड़गपुर: छात्र की संदिग्ध हालात में मौत मामले में दर्ज होगी एफआईआर

प्रतीकात्मक तस्वीर

नैनीताल प्रशासन अतिक्रमणकारियों को फिर जारी करेगा नोटिस, दुष्कर्म मामले के चलते रोकी गई थी कार्रवाई

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies