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तीन दशकों से हिन्दू संगठनों में सुधारक के रूप में चर्चित कुम्मानम राजशेखरन को 19 दिसम्बर को केरल प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया है। केरल में लगातार चुनौतियों और संघर्षों का सामना कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं में नये प्रदेश अध्यक्ष केआने से जोश उत्पन्न हो गया है।
पद संभालने के बाद राजशेखरन ने कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है, वे उस पर खरे उतरेंगे और निश्चित ही भाजपा को विजय की ओर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे पूरे उत्साह से पार्टी के लिए कार्य करेंगे और वर्तमान में बनी चुनौतियों का भी संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सामना करेंगे। वर्तमान में पार्टी केरल में जिस संघर्ष के दौर से गुजर रही है उसे दूर कर आगामी अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव में सफलता के साथ आगे बढे़ंगे। उल्लेखनीय है राजशेखरन को पार्टी का विस्तार करने के उद्देश्य से ही लाया गया है। केरल में विभिन्न समुदाय जैसे श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (एसएनडीपी) राजशेखरन के काफी करीब है और वही सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने में सक्षम भी हैं क्योंकि लंबे समय से वे विभिन्न हिन्दू संगठनों के साथ कार्य करते आ रहे हैं। वहीं नायर सर्विस सोसायटी (एनएसएस) की अभी भाजपा से दूरी बनी हुई है। एसएनडीपी और एनएसएस के 37 फीसद मतदाता हैं। नये भाजपा प्रमुख को एनएसएस को भाजपा के करीब लाने की प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई है। पदभार संभालने के बाद राजशेखरन ने विश्वास जताते हुए कहा कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में 71 सीटों से अधिक पर विजय प्राप्त करेगी। केरल की राजनीति इस समय संक्रमण के दौर से गुजर रही है।
उन्होंने कहा कि खुद को सेकुलर कहने वाले राजनेता केरल में धार्मिक पक्षपात की राजनीति करते हैं। मंदिरों के अधिग्रहण और वहां की भूमि के अधिग्रहण पर जोर दिया जाता है। सवाल यह उठता है कि सेकुलर मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाते हैं, कभी ईसाइयों और मुसलमानों के प्रार्थना स्थलों पर नियंत्रण करने का प्रयास क्यों नहीं करते? यह सब पक्षपातपूर्ण राजनीति है। सेकुलर लोग ईसाई या मुस्लिम प्रार्थना स्थलों को लेकर कभी कोई टिप्पणी भी नहीं करते।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने के. पी. शंकरण आयोग की रपट का जिक्र करते हुए मांग की कि प्रशासन को हिन्दू श्रद्धालुओं के मंदिर की भूमि सुपुर्द करनी चाहिए। करीब 25 हजार एकड़ भूमि कई वर्षों से गैरकानूनी तरीके से हड़पी गई है। उन्होंेने मांग करते हुए कहा कि सरकार को संबंधित मंदिर की भूमि से कब्जा छोड़ देना चाहिए।
श्री राजशेखरन ने आगे कहा कि केरल में कांग्रेस शासित यूडीएफ और सीपीएम के एलडीएफ में कोई अंतर नहीं है। दोनों ही तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। केरल में मूल्यों की राजनीति की वर्तमान में बहुत आवश्यकता है। वे केरल में अधिकारों की लड़ाई को जारी रखेंगे और सरकार से मांग की कि कार्य योजना बनाकर पश्चिम यमुनाघाटों को संरक्षण दिया जाय। उन्होंने कहा कि गैर भाजपा राजनीतिक दलों का धु्रवीकरण हो रहा है। केरल में कांग्रेस और वामपंथियों का गठजोड़ है। इसलिए केरल में दो ही राजनीतिक दल हैं जिसमें एक भाजपा और दूसरा गैर भाजपा। पर्यवेक्षकों का मानना है कि राजशेखरन को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने से निश्चित ही केरल की राजनीति में परिवर्तन आएगा और भाजपा राज्य में अपना परचम लहराएगी। – प्रदीप कृष्णन
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