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नाम : नीरज राम सिडनी आस्ट्रेलिया
क्या हैं : अप्रवासन अधिकारी
संस्कृति सूत्र : वैदिक यज्ञों में योगदान
परिवर्तन का क्षण : आध्यात्मिक गुरुओं से मिलन
नीरज राम फिजी मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं और इन दिनों सिडनी (आस्ट्रेलिया) में नौकरी करते हैं। उनके पूर्वज कभी भारत से ही फिजी गए थे। नीरज के मन में अपने पुरखों की संस्कृति के बारे में जानने की बड़ी इच्छा रहती थी। वह वर्ष था 1991। उन्होंने अपने सम्पर्क में आने वाले भारतीयों से भारत और भारतीयता के बारे में पूछना शुरू किया। उन लोगों के कहने पर उन्होंने भारतीय अध्यात्म की पुस्तकों को पढ़ना शुरू किया। इसके बाद वे भारत से आस्ट्रेलिया जाने वाले अनेक सन्तों और बुद्धिजीवियों से मिले। उनकी प्रेरणा से भारत के सनातन धर्म के बारे में काफी कुछ जाना। इसके बाद उन्होंने सिडनी, ब्रिसबेन, ऑकलैंड, न्यूजीलैंड आदि स्थानों पर होने वाले अश्वमेध महायज्ञों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे नौकरी करने के साथ-साथ युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। उनके अनुसार इसका परिणाम भी दिख रहा है। बड़ी संख्या में आस्ट्रेलियाई युवा भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं। उनका कहना है, 'भारतीय संस्कृति और ज्ञान से ही विश्व में शान्ति आएगी और मानवीय मूल्य स्थापित होंगे। यज्ञ आत्मिक, बौद्धिक, मानसिक और शारीरिक सुख-शान्ति की प्राप्ति का शक्तिशाली माध्यम है। इसलिए मैं खुद नियमित यज्ञ करता हूं और अन्य लोगों को भी यज्ञ करने की सलाह देता हूं।' नीरज को अपने दैनिक कार्यों के बाद जो समय मिलता है उसे वह धर्म के लिए समर्पित करते हैं। इसके लिए वे अपने आसपास के लोगों से सम्पर्क करते हैं और उन्हें वैदिक संस्कृति की विशिष्टताओं से अवगत कराते हैं। भारतीय ज्ञान परम्परा की जो ज्योति नीरज ने थाम रखी है यकीनन उसकी चमक अनूठी है। फीजी से ब्रिटेन होते हुए सिडनी में जो हवनकुंड प्रज्जवलित है उसकी हर आहुति उच्च आदर्शों के लिए एक होती मानवता की प्रतीक है। इस यज्ञ में जुड़ने वालों की संख्या और सिलसिला बढ़ रहा है।
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