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नाम : फरशाद नजरघई शिराज, ईरान
क्या हैं : ध्यान प्रशिक्षक
संस्कृति सूत्र : हरिद्वार से यौगिक विज्ञान में स्नातक
परिवर्तन का क्षण : भारतीय संस्कृति का अध्ययन
ईरान जैसे इस्लामी देश में कोई योग और ध्यान करे, यह सहसा विश्वास नहीं होता है। लेकिन यह सत्य है। इसके पीछे युवा फरशाद नजरघई हैं। फरशाद नजरघई शिराज (ईरान) में रहते हैं। भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा के प्रति बेहद आर्कषण के कारण वे यहां आए और ध्यान एवं योग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार से 2007-2009 में यौगिक विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि भी प्राप्त की। भारत से लौटकर वे ईरान के कई शहरों में ध्यान की कक्षा लगाते हैं और लोगों को ध्यान के महत्व के बारे में बताते हैं। भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों को देखने के उपरांत उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने का निश्चय किया था। विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्ति के दौरान वे पूर्ण रूप से शाकाहारी रहे। विश्वविद्यालय में भारतीय वेशभूषा पहनना अपेक्षित है। सो, उन्होंने जब तक अध्ययन किया पजामा-कुर्ता ही पहना। उनका मानना है कि भारतीय संस्कृति ही विश्व में शान्ति एवं सम्पन्नता ला सकती है। इसके प्रसार और विस्तार की आवश्यकता है। वे कहते हैं, 'भारतीय योग शान्ति और सम्पन्नता की कुंजी है। लोगों को आज इन्हीं की सबसे ज्यादा तलाश है। इसी उद्देश्य से मैं ईरान में लोगों को ध्यान का प्रशिक्षण देता हूं।'
विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम पूर्ण करने के उपरांत हर विद्यार्थी को अनिवार्य रूप से 'इंटर्नशिप' करनी होती है। फरशाद ने इसे औपचारिकता की बजाय चनौतीपूर्ण अवसर की तरह लिया। उन्होंने ईरान में ही एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें भारतीय विद्वानों के साथ-साथ बड़ी संख्या में वहां के आम लोगों ने भी भाग लिया। भारतीय संस्कृति पर उनकी बेहद आस्था और विश्वास है। वे 'वीडियो एनिमेशन' के माध्यम से भी लोगों को ध्यान के प्रति जाग्रत करते हैं। उन्हें फिनलैण्ड में सम्पन्न हुए सातवें वाइल्डलाइड वास अंतरराष्ट्रीय नेचर फिल्म उत्सव में एनिमेशन खण्ड में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
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